“स्वार्थी संसार ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

कल रात मैंने नींद की बहुत सारी गोलियां खा ली।थोड़ी देर बाद जोरों की प्यास लगी, एक हिचकी आई और पिंजरे का पंछी उड़ गया ।मै अब उन्मुक्त आकाश की ओर जा रही हूँ ।मेरा शरीर निर्जीव हो कर पड़ा है ।सुबह घर के लोग आकर देखेंगे तो हाय तोबा मचेगी, फिर रोने धोने का … Read more

दिखावे की जिंदगी – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

रमा कान्त जी अकेले चले जा रहे थे ।मंजिल का कोई अता-पता नहीं है ।पत्नी एक महीने पहले ही गुजर गयी है ।दो बेटे हैं ।शादी शुदा ।अपनी गृहस्थी में मगन ।जब नौकरी में थे तभी पत्नी सरला के बहुत कहने पर एक छोटा सा आशियाना बना लिया था ।साधारण पोस्ट पर ही थे वह। … Read more

आँसू बन गये मोती – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

दो साल बीत गए ।तुम चली गई थी ।हमेशा के लिए ।ईश्वर को यही मंजूर था ।तब से मै लगातार आँसुओ के समंदर में डूबती इतराती रही ।जीने का कोई मतलब नजर नहीं आता था क्या करें?कैसे जिएं? जिंदगी एकदम नीरस हो गई थी ।न खाने का होश था न सोने की सुधि थी।कहीं आना … Read more

एक फैसला आत्म सम्मान के लिए – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज फिर आफिस में त्याग पत्र दे आया ।घर पहुंचा तो किरण ने सवाल किया “इतनी जल्दी आ गये सुबोध, बात क्या है “?”हाँ आज फिर नौकरी छोड़ दिया ” आत्म सम्मान के लिए ही यह फैसला किया है ।नहीं बेच सकता मै अपना आत्म सम्मान ।” पर हुआ क्या “? बताओ भी? चीफ मैनेजर … Read more

बड़ी बहू – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

 मै आरती, बी ए में थी सिर्फ उन्नीस साल की।बड़ी बहू बनकर अपने ससुराल आ गई ।सुना था अच्छे लोग हैं, छोटा परिवार है ।पिता जी साधारण पोस्ट पर थे।साधारण लेनदेन करके बेटी को विदा कर दिया ।आर्थिक स्थिति चाहे बहुत अच्छी न रही हो पर माता पिता का प्यार, दुलार बहुत मिला । इस … Read more

“टूटते रिश्ते जुड़ने लगे” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

।हमारे घर में इतनी अधिक मेल मिलाप थी कि लोगों को मिसाल दी जाती थी कि देखो,फलाँ के घर कितना अच्छा परिवार है, कितनी मेल मिलाप है ।पर अचानक न जाने किसकी नजर लग गई कि सबकुछ गड़बड़ हो गया ।समीर दो भाई और दो बहन थे।सम्मिलित परिवार में सबकी रसोई एक ही थी। जब … Read more

पैसे का गुरूर – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

हमारे मुहल्ले में सप्ताह में दो दिन हाट लगता था।मंगल और शुक्रवार को ।हमलोग अक्सर हाट से एक हफ्ते की सब्जी खरीद लेते थे।उसदिन मंगल वार था और मेरे पति आफिस से खाने के लिए दोपहर में आये तो कहा “लाओ थैला और पैसे, सब्जी ले आता हूँ ।अभी ताजी ताजी सब्जी मिल जायेगी ।मैंने … Read more

“ढलती सांझ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

बाल कनी मे बैठ कर रमा चिड़ियो को देख रही है ।जो इस ढलती सांझ को अपने बसेरे पर लौट रहे हैं ।सोच रही है वह ,उसकी जिंदगी की भी तो यह ढलती सांझ ही है, पता नहीं कब उड़ने को तैयार होना पड़े ।चाहे जीवन कितना भी आगे बढ़ जाये, अतीत कहाँ पीछा छोड़ता … Read more

मोहताज – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

मै इन्दु, मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हूँ ।बहुत उम्र हो गई है ।लेकिन पता नहीं कबतक कष्ट भोगना लिखा है ।पन्द्रह साल की थी तब पिता जी ने एक अच्छा घर वर देख कर ब्याह दिया ।ससुराल में सब अच्छे थे।सासू माँ  नहीं थी।ससुर जी थे।लेकिन और चचेरे परिवार ने खूब प्यार दिया ।मै … Read more

भाभी – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

वह मेरी भाभी थी।जबसे भैया उन्हे ब्याह कर के लाए, तब से वह परिवार के लिए समर्पित ही रही।मै चंडीगढ़ में नौकरी कर रहा था एक साल से ।सबकुछ ठीक चल रहा था कि आज भैया ने फोन किया ” तुम्हारी भाभी नहीं रही “।मेरी पत्नी निशा ने तुरंत चलने की तैयारी करने के लिए … Read more

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