“दुर्गा -दुर्गा” – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

निधि जब से ब्याह कर आई थी,देखती थी,कि पति के नौकरी पर जाते समय सासू मां दरवाजे तक आकर दुर्गा -दुर्गा जरूर बोलकर मां दुर्गा को मन ही मन हांथ जोड़कर प्रणाम करती थीं।ऐसा मायके में कभी मां को नहीं देखा करते।शादी के एक महीने बाद ही सासू मां ने कहा निधि से”पति जब नौकरी … Read more

हैप्पी मेन्स डे पापा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

गर्वित ने अपना बचपन कभी खुलकर जिया ही नहीं।एक कारपेंटर थे उसके पापा। फर्नीचर की दुकान पर दिन रात काम करते और मालिक के स्टोर रूम में बीवी -बेटे के साथ रहते थे वे। हांथ में सफाई का हुनर दिया था भगवान ने।मालिक के घर में भी तीन बच्चे थे।बेटा गर्वित से दो साल बड़ा … Read more

रोज़ी का फौजी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शारदा आज बीना जा रही थी। कान्वेंट स्कूल में ओरियेंटशन प्रोग्राम था। काउंसलिंग कोर्स और चाइल्ड साइकॉलजी के नियमित अध्ययन से यह एक नई उपलब्धि थी शारदा के लिए।एक शिक्षक के तौर पर पिछले चौबीस वर्षों से अध्यापन करते हुए ,पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को मानवीय मूल्यों का महत्व समझाती रही थी शारदा।अब विभिन्न विद्यालयों … Read more

अम्मा का आशीर्वाद – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

36″भाभी ओ भाभी,कल घाट पर चलना होगा आपको।हमारे सोनू ने निमंत्रण भेजा है आपको बिनती के साथ।” पिंकी बड़े उत्साह से चहकती हुई बोली।पिछले बीस सालों से उसे काम करते हुए देख रही थी मृदुला।सोनू (उसका बेटा)तब आठ साल का रहा होगा,जब पिंकी ने आकर मृदुला से कहा था”भाभी,अम्मा कह रही थी कि आपको अपने … Read more

कर्तव्य – शुभ्रा बनर्जी : Moral Stories in Hindi

शांति त्रिपाठी के पति कम्युनिस्ट दबंग नेता थे।समाज में उनका रुतबा था बहुत।दो बेटे थे उनके।बड़े बेटे को विदेश भेजकर पढ़ाया था उन्होंने,और छोटे बेटे को भी फार्मेसी करवायी थी उन्होंने।बड़ा बेटा स्वदेश लौट कर अच्छी नौकरी करने लगा था।छोटे बेटे की नौकरी भी घर के पास लग गई थी। बड़े चाव से छोटे बेटे … Read more

मैं हर जन्म ईश्वर से बेटी ही मांगूगी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सीमा पढ़ाई में शुरू से ही बहुत होशियार थी।सभी कक्षाओं में प्रथम स्थान पर आती थी।रमेश जी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था,बेटी की कुशाग्र बुद्धि और विवेक देखकर। हायर सेकंडरी की परीक्षा समाप्त होते ही उस क्षेत्र के विधायक‌ ने रमेश जी से विनती की कि सीमा उनके नाती को घर पर … Read more

अमावस – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

रिद्धि घर से निकलते समय अपने गहने साथ नहीं लाना चाहती थी,पर सौरभ ने जोर देकर कहा था लाने को।आदत नहीं थी मम्मी की आलमारी खोलने की,तो जैसे ही लॉकर खोलने गई धड़ाम से आवाज आई।सकपका कर जल्दबाजी में गहनों का बक्सा निकालकर अपने कॉलेज के बैग में डालकर पलटी ही थी कि मम्मी भागती … Read more

सबसे मंहगा जेवर – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

“गोमती को वादा किया था मैंने,इस बार मंगलसूत्र के लॉकेट को थोड़ा और वजनी कर दूंगा।पता है माधवी,कितना वजन बढ़ाने को कहा था उसने?अपने माथे की बड़ी सिंदूरी बिंदी जितना।करवा चौथ तक रुक नहीं सकती थी क्या तुम्हारी आई?ऐसे बिना मुझसे बोले तो कभी ,कहीं नहीं जाती थी।इस बार कैसे चली गई?वो भी हमेशा के … Read more

दायित्व का हस्तांतरण – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

इस बार दुर्गा पूजा में,तिथियां जल्दी पड़ रहीं थीं।एक दिन में ही दूसरी तिथि भी पड़ जा रही थी।हमारे बंगाली पूजा में जिला मुहूर्त में अष्टमी समाप्त होकर नवमी तिथि लगती है,उसे संधि पूजा कहतें हैं।ब्याह के बाद संधि पूजा के प्रति सासू मां की तत्परता देखी थी मैंने कभी-कभी सुबह चार बजे भी मुहूर्त … Read more

संकोच की बेड़ियां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुदीप्ता घर की छोटी बेटी थी। मम्मी-पापा और दो साल बड़ा एक भाई थे परिवार में।पिता ने कड़ी मेहनत से कस्बे में अपना व्यवसाय स्थापित किया था,जिसमें अब सुदीप्ता के भाई(आशीष)भी अपना योगदान दे रहे थे। सुदीप्ता पढ़ने में शुरू से होशियार थी।परिवार की  किसी भी बेटी को बाहर पढ़ने नहीं भेजा गया था। सुदीप्ता … Read more

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