आजादी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

मिहिर दो  भाई एवं एक बड़ी बहन से छोटा होने के कारण वह सबका लडला था  खासतौर से दादी के तो उसमें प्राण बसते थे।सो ज्यादा  लाड प्यार पाकर वह कुछ जिद्दी हो गया। अपने मन की करता किसी  की नहीं सुनता। पाढ लिख गया एक अच्छी में एम एन सी मैं साफ्टवेयर इंजिनीयर की … Read more

बेटी बनाम बहू – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

यदि हर सास अपनी बहू को एक साधारण इंसान समझ ले जिसको दर्द होता है,थकती है, भूख-प्यास लगती है,कड़वी बातों से उसका स्वाभिमान  चोटिल होता है, वह भी हाड मांस की बनी इंसान है कोई रोबोट या मशीन  नहीं जो केवल चौबीस घंटे काम करती  रहेगी।सुबह पाँच बजे से उठकर रात ग्यारह  बजना तो मामूली … Read more

मन का रिक्त कोना – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

मेघना  बैठी सोच रही थी कि मैंने अपने  बाइस साल पूर्ण रूप से तन मन से समर्पित हो साहिल को और इस घर को सजाने संवारने  में दिये। बच्चों को पाल-पोस बडा किया। अब उम्र के इस पड़ाव पर जब बच्चों  के कैरियर का पीक समय है उन्हें सेटल करने का समय है, पति-पत्नी को … Read more

बुआजी की सीख – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

 ध्रुवी की शादी को अभी महिनाभर ही हुआ था। वह ससुराल में सबको जानने समझने की कोशिश कर रही थी। किन्तु कैसे समझे किसे किसे समझे इत‌ना बडा परिवार था इतने लोग उसे लगता जैसे कहीं भीड़ में खड़ी हो। वह एकल परिवार से आई थी जिसमें उसके मम्मी-पापा, और एक छोटा भाई और यह … Read more

जब बेटे ने मम्मी-पापा को दिखाया आईना – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रोहन आपने दोस्त के जन्मदिन की पार्टी  में गया था। वहां उसने देखा कि पर्व के नाना-नानी के साथ -साथ  दादा-दादी भी आये थे। वे उसे बहुत प्यार कर रहे थे  एवं  एक सुन्दर सी साईकिल उसे उपहार में दी। रोहन यह सब देखकर सोचने लगा कि उसके तो केवल नाना- नानी ही आते हैं, … Read more

आखिर कब तक – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

विपुल जी एवं विभा जी अपने दोनों बच्चों के साथ दिल्ली में तीन बेडरूम फ्लैट में रहते थे। बच्चे क्रमशः बेटा मितेश बारह वर्षीय एवं दस वर्षीय बेटी मिताली । दोनों ही बच्चे स्कूल में सातवीं  एवं पांचवीं कक्षा में  पढ़ रहे थे। आज की इस महंगाई के जमाने में उच्चमध्यवर्गीय परिवार के सामने दोहरी … Read more

सुलक्षणी बहू – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

माधवी जी का बेटा पढ लिख नौकरी में लग गया था। अब उन्हें उसकी शादी की चिन्ता हुई। सोचने लगी कि पहले का जमाना तो रहा नहीं जो लड़कों के रिश्ते घर बैठे आ जाते थे। छोटी  उम्र  की लड़कियां होती थीं  जो ससुराल में सामंजस्य बैठा ही लेतीं थीं। किन्तु अब परिस्थितियां  भिन्न हैं। … Read more

पाप का घड़ा – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रघु एक छोटी फर्म में लेखाकार  का काम करता था। वह बहुत ही मन लगाकर ईमानदारी से अपने काम को अंजम देता था। काम चोरी, हेराफेरी से उसे सख्त नफरत थी । फर्म मालिक सेठ गोवर्धनदास जी उसके काम  से बहुत प्रसन्न थे। वह स्वाभिमानी एवं मेहनती लड़का था। उसे किसी की टोका टाकी अपने … Read more

बाबुल की गलियां – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रिया की उम्र करीब पैंतालीस हो गई थी वह स्वयं दो प्यारे से बच्चों की माँ बन गई थी किन्तु अभी भी मायके की याद आते ही उसका मन विचलित हो उठता। बार-बार वह बाबूल के घर, उन गलीयों में स्कूल की यादों में खो जाती और वहां  जा कर एक बार फिर से उन्हें … Read more

अधूरी खुशी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

अनु का अपराध बस इतना था कि उसने अपने मम्मी-पापा से एक विजातीय लड़के से शादी करने की अनुमति मांगी थी। वह शैलेश से प्यार करने की गल्ती जो कर बैठी थी। किन्तु उसे खुद नहीं पता कब साथ-साथ काम करते दोस्ती प्यार में बदल गई ।दोनों इंजिनीयर थे और एक ही एम एन सी … Read more

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