एक माफी ने बिगड़ने से पहले रिश्ते सुधार दिए – शैलेश सिंह “शैल,, : Moral Stories in Hindi

वो मेरी जीवन संगिनी थी, मेरी सबसे अच्छी दोस्त और सबसे अच्छी सुख दुख की साथी। पर मैंने या उसने.. एक गलती की थी किसी ने, शायद उसी ने की थी। हाँ पक्का उसी ने की थी और फिर हम दोनों अलग हो गए।  वाह अनिकेत…! गलती किसी की भी रही हो उसका फैसला अलग … Read more

उपहार – शैलेश सिंह “शैल,, : Moral Stories in Hindi

कुमार जी शहर में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करते थे। शहर में ही उनका बंगला था और उनके पास सभी तरह की शहरी सुख सुविधाएँ थी। बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे और एक अच्छा जीवन जी रहे थे। वर्ष में एक दो बार कुमार जी का  परिवार के साथ गाँव आना जाना हो … Read more

रिश्ते- स्नेह प्यार और परिवार – शैलेश सिंह “शैल,, : Moral Stories in Hindi

संयोगिता का विवाह  एक बड़े घराने में तय हो हुआ था। घर में रौनक ही रौनक थी। लड़के वालों को जैसी लड़की चाहिए थी संयोगिता बिल्कुल वैसी ही थी। संयोगिता के दूर के फूफा जी ये रिश्ता करवा रहे थे। बार-बार पूछने के बाद भी अभी तक फूफा जी ने राजेश जी को दहेज का … Read more

*बेनजीर – बूढ़ी माई – शैलेश सिंह “शैल,, : Moral Stories in Hindi

माँ बहुत भूख लगी  है  खाना है, मैं घर मे घुसते ही माँ  को बोला ।    शाम के पांच बजे जब मैं खेलकूद कर आया तो माँ इंतजार ही कर रही थी हाथ मे डंडा लेकर ,”  हां आओ खाना तो मिलेगा ही साथ मे बोनस भी,, और डंडा लेकर मेरे पीछे – पीछे और … Read more

अपमान बना वरदान – शैलेश सिंह “शैल : Moral Stories in Hindi

देखो बहू… हमारे खानदान में कभी किसी महिला ने नौकरी नहीं की है। हम इतने रसूखदार पहले से ही थे कि किसी को कभी जरूरत ही नही पड़ी। रही बात शिक्षा की तो सभी महिलाएँ शिक्षित हैं। मैंने खुद ने अपने समय में मास्टर किया था। तुम्हारी दादी सास भी बारहवीं तक पढ़ी थी। रमा … Read more

मैं बेटी की मोह में सही -गलत भूल गई। – शैलेश सिंह : Moral Stories in Hindi

रत्ना नाम था उस प्यारी सी बहु का। वर्मा जी के घर जब वो बहु बनकर आई तो ऐसा लगा जैसे घर में रत्नों की बहार आ गई। एक निजी कंपनी में कार्य कर रहा उनका लड़के भावेश का अचानक प्रोन्नति हुआ और वो मैनेजर बन गया। सभी ने माना कि घर मे लक्ष्मी के … Read more

बहु चाहे कितना भी करले बेटी नहीं बन सकती – शैलेश सिंह : Moral Stories in Hindi

ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और मौलिक है। मेरी खुद की उपज इस कहानी का उद्देश्य ही है समाज मे अपने पन का एहसास हो। वाह भाभी ! आप तो बड़ी सयानी हो गई हो…! रमा अपने मायके आई थी और रात को अपनी भाभी को माँ का पैर दबाते देखा तो गर्व … Read more

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