तेरे बदले मैं जमाने की कोई चीज ना लूं….. – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

बबिता जी आज बहुत उदास थीं। किसी काम में मन नहीं लग रहा था। जबसे अपने भाई के बीमार होने की खबर सुनी थी मन बहुत बेचैन था। तभी फोन की घंटी बजी। बबिता जी ने भागकर फोन उठाया।  ” ह… हैलो… भाभी , वहां सब कैसे हैं।भईया की तबीयत अब कैसी है ।,,  ” … Read more

मुझे सास के ताने सुनाई नहीं देते । – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 अनुपमा जी रसोई में सुबह का नाश्ता बना रही थीं। बेटे को आफिस जाना था इसलिए पहले बेटे का नाश्ता लगा दिया। इन दिनों लंच वो कैंटीन में ही कर लेता था इसलिए टिफिन बनाने का झंझट नहीं था लेकिन बहू के लिए अलग से नाश्ता बनाना पड़ता था क्योंकि वो जापे में थी। अनुपमा … Read more

कटोरी का लेन- देन तो पड़ोसी का हक है – सविता गोयल   : Moral Stories in Hindi

 “मम्मी बहुत भूख लगी है। जल्दी से खाना डाल दो।”  “हाँ बेटा अभी लगाती हूँ खाना, बस सब्जी बनने ही वाली है।”  “क्या सब्जी बना रही हैं आप?”  “आज तो लौकी बनाई है बेटा।”  “लौकी!!” लौकी का नाम सुनते ही रोहन ने बुरा सा मुंह बना लिया।  “और कोई सब्जी घर पर थी ही नहीं … Read more

जब ये घर तुम्हारा है तो मेहमानवाजी की उम्मीद क्यों ?? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

नीरा फटाफट नाश्ते का काम निपटकर आफिस के लिए तैयार हो रही थी कि दरवाजे की घंटी बजी… नीरा ने फटाक से भागकर दरवाजा खोला “अरे दीदी!! आप अचानक से!!! दरवाजे पर खड़ी अपनी ननद को बिना किसी खबर के अचानक से आया देख नीरा थोड़ा हैरान थी । ” क्यों भाभी , क्या अब … Read more

ये आपकी गलतफहमी है कि बदनामी सिर्फ लड़की वालों की होगी… – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” क्या हुआ बाऊ जी, किसका फ़ोन था?? ,, मेंहदी रचे हाथ लिए जब वसुधा कमरे में आई तो अपने पिता को फोन के पास परेशान बैठे देख पूछ बैठी। ” कुछ नहीं बेटा, बस यूं ही किसी रिश्तेदार का था …..! और तुम इधर उधर क्यों घूम रही हो बेटा… थोड़ा आराम कर लो … Read more

लक्ष्मी नहीं गृह लक्ष्मी – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 ” अरे समधी जी,आप आज अचानक से यहां!! सब खैरियत तो है??” विजय जी हाथ जोड़कर खड़े हो गए। चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन मन आशंकाओं से घिरा था।  ऊपर से तो खुश दिखाई दे रहे थे लेकिन मन की अशांति उनके माथे पर पसीने की बूंद के रूप में उभर आई थी।  ” क्यों … Read more

ये मेरी बहन है, नौकरानी नहीं. – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” बेटा, बाथरूम में बहुत से कपड़े पड़े हैं। आज धुल जाते तो कल तक सूख जाएंगे। ,, रमा जी ने मनुहार करते हुए अपनी बेटी प्राची से कहा। ” मां मैं तो बहुत थक गई हूं। आज मुझसे कपड़ों की मशीन नहीं लगने वाली…. ,कल देखूंगी। ,, कहते हुए प्राची कमरे की ओर चल … Read more

ससुराल से सम्पन्न मायका भी आफत बन जाता है – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” ये क्या शुभम!! तुमने कहा था शादी के बाद हम विदेश घूमने जाएंगे…. लेकिन ये मनाली की टिकट…. !!!!! तुम्हें पता है मेरे भईया – भाभी अपनी शादी के बाद स्विट्जरलैंड गए थे…. और मेरी फ्रैंड भी अपने हनीमून पर आस्ट्रेलिया गई थी । सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे….?? ,, पिहू नाराज होते … Read more

साथ रहकर अलग होने से अच्छा है अलग रहकर साथ रहें। – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

”  बड़ी भाभी सुना है आपका नया मकान बस बनने को हीं है। अब तो जब अगली बार आऊंगी तो लगता है आपके पास अलग से हीं आना पड़ेगा । बुलाएं तो गीं ना मुझे ??? ,,  ममता अपनी बड़ी भाभी रीति से बोली लेकिन उनकी बोली में एक तंज था। या फिर शायद अपने … Read more

बेटा श्रवन कुमार होना चाहिए लेकिन दामाद -सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” देखो बहुत साल गुजार दिए मैंने अपना मन मारते- मारते…. अब मुझे नहीं रहना इन सब के साथ…… आखिर मेरी भी कोई जिंदगी है या नहीं??  कब तक तुम्हारे मां बाप की सेवा करती रहूंगी ? ,,  आज अंकिता अपने पति उमेश के घर आते ही उसपर बरस पड़ी। ”  क्या बकवास कर रही … Read more

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