रिश्तो का मेकअप – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

बहुत दिनों से संध्या के दिल और दिमाग में एक लड़ाई चल रही थी.. अजय को छोड़ती है तो बच्चों का क्या होगा? कैसे अकेले परवरिश कर पायेगी? कैसे समाज में अपने को सुरक्षित रख पायेगी? कई प्रश्नों के जाल में उलझी संध्या को चैन नहीं मिल रहा। करवटे बदलते रात गुजरी। सुबह फिर काम … Read more

रिश्ते भी बिकते हैं.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

उसने  अद्वैत से पूछ ही लिया कि आखिर मुझमें क्या कमी हैं? ” अद्वैत और  आलिवा की शादी धूमधाम से हुई.। आलिवा बहू बन, अलकनंदन  निवास में प्रवेश कर गई.। सासुमां अलका ने बेटे -बहू की आरती  कर, गृहप्रवेश कराया।अलका जी के दो बच्चें अद्वैत और ऐश्वर्या थे.। ऐश्वर्या छोटी थी, हॉस्टल में रह कर … Read more

बिना प्रेम के कोई किसी की मदद नहीं करता – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज सावित्री की बेटी कलेक्टर बन गई… कितनी तपस्या के बाद आज का दिन देखना नसीब हुआ… बेटी ने कलेक्टर बनते ही माँ को बोला, अब तुम काम नहीं करोगी। नहीं पारो एक घर में तो मुझे करना ही है.. कुसुम मैडम को मैं नहीं छोड़ सकती….उनकी बदौलत ही तुम आज कलेक्टर बन पाई हो। … Read more

अब तो तुम शादी कर लो – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पीहू की पढाई ख़त्म होते ही, सारे मित्र, रिश्तेदार पीछे पड़ गये अब क्या करना है? अब तो इसकी शादी कर ही दो। साधना जी बहुत परेशान हो गईं सबकी मुफ्त की सलाह से| आते-जाते लोग बाग रिश्ता भी बता जाते। पीहू से भी वो कहीं भी जाये शादी ब्याह में लोग कहते अब तो … Read more

देर आए दुरुस्त आए – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

घंटी की तेज आवाज सुन गीता की नींद टूट गई, इस समय कौन आया होगा सोच दरवाजा खोलने चली गई, दरवाजा खोलते ही आश्चर्यचकित हो गई। सामने गोद में कम्बल में लपेटे गिन्नी को लिये नील और नेहा खड़े थे। चेहरे की रंगत ही बता रही दोनों कई दिनों से ठीक से सोये नहीं।दोनों की … Read more

ये कैसा प्यार है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“रश्मि इधर सुन, तुझसे कुछ बात करनी है “भाई सुदेश ने रश्मि को पुकारा। रश्मि के साथ उसके पति मोहित भी आ गये।”बोलिये भैया क्या बात है “मोहित ने हँस कर पूछा।”आपसे नहीं रश्मि से बात करनी है “सुदेश जी बोले। सुदेश के घर का गृहप्रवेश होने वाला था अतः सुदेश रश्मि से पूछ कर … Read more

रिश्ते हमेशा बराबर वालों से बनाने चाहिए.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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रत्ना और किशोर जी ने सीमित आय में भी अपने दोनों बेटों अमित और सुमित की पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आने दिया। खुद की जरूरतों को अनदेखा कर बच्चों की परवरिश अच्छी तरह की। जब अमित पढ़ाई खत्म कर जॉब में आया तो रिश्तों की बाढ़ सी आ गई। आये भी क्यों ना, अमित … Read more

एक कदम – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अजीब सी चुप्पी थी घर में.., तूफान के बाद का सन्नाटा, वैसे भी कष्टकारी होता है। महेश को घर में घुसते ही समझ में आ गया, कुछ अनहोनी तो हुई है। रसोई की बत्ती भी बंद थी, घड़ी में समय देखा, “सात बजे ही रसोई में सन्नाटा “..। माँ के कमरे में झांका, माँ किताब … Read more

स्वार्थ का चश्मा उतर गया – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

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” इतनी देर क्यों कर दी रति,कब से सब लोग तेरा इंतजार कर रहे थे, कि तू आये फिर चाय पी जाये “, अनीता ने थोड़ा खींझ कर कहा। “अरे भाई संयुक्त परिवार में रहती हूँ तो देर होना स्वाभाविक है, अभी भी सब्जी लेकर आ रही हूँ , तुम लोगों के मजे हैं,एकल परिवार … Read more

आखिर कब तक चुप रहूंगी… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हें कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा।  “सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा। “तुम्हारी वजह से मैं ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो … Read more

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