सुनिये सबकी करिये मन की – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

चित्रा के घर किट्टी पार्टी थी। फरवरी का महीना था, वैलेंटाइन वीक चल रहा था तो किट्टी की थीम भी वही थी। रोज डे पर सबको लाल ड्रेस पहनना था। सब लोग सज धज कर आ गये सिर्फ काव्या अभी तक नहीं आई। उसका इंतजार करते हुये सब गपशप कर रहे थे तभी गुस्से से … Read more

जब तक साँसों की डोर है, कर्मो का नहीं कोई छोर – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पिताजी के गुजरने के बाद देव माँ को अपने पास शहर ले आया।हर समय बोलने वाली माँ कुछ तो पति के गम में और कुछ अकेलेपन की वजह से खामोश हो गईं।माँ का चेहरा दिन-प्रतिदिन पीला पड़ता जा रहा था।रीना और देव माँ की हालत देख चिंतित हो उठे। “पता नहीं क्यों माँ को कोई … Read more

बड़ा बेटा – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“माँ,आज फिर आपने आशु भैया को खाने पर बुला लिया, कब समझोगी आप “। रिया फिर गुस्सा हो गई। “बेटे उसकी तबियत ठीक नहीं हैं, तो वो भी यहीं खा लेगा। बाहर का खाना उसको नुकसान करेगा”. ऊषा ने बेटी को समझाया। “पर आपकी तबियत भी ठीक नहीं, ऊपर से आप आशु भैया के रूममेट … Read more

दोनों बहुओं में अंतर क्यों सासुमां – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज छोटे बेटे अजय की शादी थी।  अंजना बहुत व्यस्त थी।  खुश तो बहुत थी शादी से पर एक बात कचोट रही थी कि छोटी बहू थोड़ा सावंले रंग की है।  बेटा अजय तीनों बच्चों में सबसे सुन्दर है। पर वही जिद पकड़ लिया कि वह इसी लड़की से शादी करेगा। बड़ी बहू प्रीता गोरी … Read more

एक पुरवैया.. मायके की…. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

हर औरत में वो कितनी भी बड़ी हो जाये एक बच्ची जिन्दा रहती हैं। जो अपने मायके के घर आँगन में आ अपना बचपना खोजती हैं… पिता का प्यार ढूढ़ती हैंमाँ की डांट और भाई की छेड़खानी। प्यार सब करते पर अंदाज जुदा-जुदा हैं। ऐसे ही इस बार जब जुही आई तो घर के हर … Read more

“ये क्या बहुरिया, अब तुम सास बन गई तो लापरवाह हो गई हो ” – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“अरे बहुरिया, कहाँ हो अभी तक खाना नहीं बना क्या “बरामदे में पटले पर बैठी सावित्री जी जोर से चिल्लाईं। ऊषा सर पर पल्लू ठीक करती थाली में खाना ले, सासु माँ के पास पहुंची।खाना सासु माँ के सामने रख किनारे खड़ी हो गई। सब ,डाइनिंग टेबल खाना खाते हैं, पर इतनी उम्र हो जाने … Read more

क्यों माँ का मायका, माँ का ही रह जाता… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   दादा जी पूजा ख़त्म हो तो इधर आइये, हम, आप और पापा तीनों की एक सेल्फी तो बनती हैं..। कह अवि दादा जी के साथ सेल्फी लेने लगा..। आज दिवाली हैं… सब लोग पूजा करने के बाद फोटो लेने लगे.। दादा जी के साथ मग्न, अवि को देख आज संध्या को अपने पिता की … Read more

मम्मी को क्या पसंद है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

विभु ने नेहा से बोला “कल मम्मी का जन्मदिन है, कुछ सरप्राइज देते हैं मम्मी को|” नेहा बोली “हाँ भैया, मैं भी यही सोच रही थी।” दोनों किशोरवय से युवा अवस्था की ओर थे| रात बच्चों ने पापा अमित के साथ बैठ मम्मी के जन्मदिन का प्लान बनाया। क्या गिफ्ट देंगे, कैसे सरप्राइज देंगे वगैहरह| … Read more

मेरी बेटी सर्वगुण संपन्न हैं – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 आधुनिका  राधिका की शादी एक रूढ़िवादी  परिवार में हुई….. कुछ दिन तो शादी के बाद के रस्मों में निकल गए….. सब मेहमान चले गए और राधिका –  रमन  हनीमून से वापस आ गए …. अब असली परीक्षा  शुरू हो गई…. राधिका संपन्न घर की  बेटी थी.।   थोड़ा बहुत खाना बना लेती थी पर यहाँ … Read more

पराये धन की रौनक… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

short story in hindi

बेटियां तो पराया धन होती हैं… हर लड़की ये सुनते सुनते बड़ी हो जाती हैं और एक दिन पराया धन बन चली जाती दूसरे की तिजोरी में…..उनलोगो ने संभाल कर रखा तो अहो भाग्य… और नहीं संभाला तो हतभाग्य … पर क्या किसी के जिगर का टुकड़ा पराया धन हो सकता  हैं …                          ना … Read more

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