किस्मत का खेल…(भाग 2)- रश्मि झा मिश्रा:Moral stories in hindi
ट्रेन स्टेशन पर रुकी तो अंधेरा हो चुका था…. नरोत्तम जी बच्ची का हाथ पकड़ घर की तरफ बढ़े… अंधेरे में कदम बढ़ाते उन्होंने कहा…” अरे बेटा तुम्हारा नाम तो पूछा ही नहीं… क्या नाम है तुम्हारा…” लड़की ने चेहरा उठाकर नरोत्तम जी की तरफ देखते हुए कहा…” मालूम नहीं….. नई मां तो कलमूंही ही … Read more