मर्यादा के नाम पर…. संगीता त्रिपाठी

 लल्ला को जी भर कर कूटने के बाद भी पिता रामप्रसाद का जी नहीं भरा, पैरों से धकेल एक घूँसा और जड़ दिया। बचाने आई पत्नी और बड़ी बेटी तन्वी को भी कई हाथ पड़ गये। लल्ला के आँसू सूख गये, आखिर किस बात पर पिता ने उसे मारा, क्या कसूर था उसका। क्या बहन … Read more

‘एहसास अपनों का!’ – प्रियंका सक्सेना

“मम्मी, विनीत का स्थानांतरण अहमदाबाद हो गया है, इसी महीने हम लोग शिफ्ट कर जाएंगे।” सुनंदा ने सरला जी को  बताया “बेटा, अभी तुम लोगों को लखनऊ आए एक साल ही हुआ है और फिर से ट्रांसफर हो गया?” आश्चर्य से सरला जी ने कहा “मम्मी, आप तो जानती ही हों, विनीत की सेंट्रल गवर्नमेंट … Read more

मतलबी रिश्ते – प्रियंका सक्सेना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi सुधा ने ऑफिस से लौटते वक्त घर में सब के लिए अलग-अलग फ्लेवर की आइसक्रीम ले ली। माॅ॑, मोना, नवीन सबको आइसक्रीम में अलग-अलग स्वाद पसंद हैं। घर में घुसते कि उसने मोना को आवाज लगाई और कहा ,” आइसक्रीम को फ्रिज में रख दो।” मोना बोली, “जी दीदी,अभी रखती  हूॅ॑।” … Read more

यादों का पिटारा – प्रियंका सक्सेना

आधी रात को फोन आया और सब कुछ खत्म हो गया… मोहित का काॅल आस्था ने ही रिसीव किया और सुनकर वो सदमे में खड़ी की खड़ी रह गई। अखिल ने लपककर फोन लिया और जैसे ही मोहित से सुना कि माॅ॑ गुजर गईं उसे धक्का लगा, अपनी सासु मां से अखिल को बेहद लगाव … Read more

‘भागोंवाली अभागी!’ – प्रियंका सक्सेना

‘बड़े भागों वाली’ हां सब यही तो कहते हैैं, सुहासिनी भाभी को। बड़ी हवेली के जमींदार महाशय  के इकलौते बेटे लखनपाल की पत्नी सुहासिनी एक बराबर के समृद्ध परिवार की बेटी हैं। दस साल पहले विवाह उपरांत राजनगर आईं थीं। कुम्भलनगर के जमींदार की बेटी सुहासिनी बड़े लाड़-प्यार और नाजों से पली हैं। मैं, इमली … Read more

‘शरद् पूर्णिमा और चावल की खीर’- प्रियंका के रसोड़े से

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं।  पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि  शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता  है। इस दिन उत्तर भारत में चावल की खीर बनाकर रात … Read more

 माँ तुम मेरे बच्चों से दूर ही रहो  – प्रियंका सक्सेना

“पिंकी बेटा, सोने का समय हो गया है। दूध पीकर सीधे अपने रूम में जाना, सुबह स्कूल है।” रीना ने किचन में दूध छानते हुए अपनी छह वर्षीय बेटी से कहा| “आई मम्मा।” पिंकी कूदती फांदती आई और दूध पीकर दादी के रूम में चली गई। अंदर से पिंकी और उसकी दादी दमयंती जी के … Read more

माॅ॑ का जाना – प्रियंका सक्सेना

“सुधा, बेटा माॅ॑ को दूसरा अटैक आया है…” सुबह-सुबह फोन का रिसीवर उठाते ही कानों में पापा की आवाज़ पड़ी तो अश्रुधारा अनायास ही कब नेत्रों से बहकर आंचल भिगोने लगी, पता ही नहीं चला। पास में सोए अमर की नींद भी मुंह अंधेरे बजती फोन की घंटी से टूट चुकी थी, लपककर फोन सुधा … Read more

दो मीठे बोल! – प्रियंका सक्सेना

“मामू, बहुत दिनों बाद चक्कर लगा यहां का?” फेरी वाले अनवर की आवाज़ सुनकर लपककर घर से बाहर आई गुंजन “हां, बिटिया। अपने गाॅ॑व गए रहे हम, इस बार ज्यादा वक्त लग गया।” फेरी वाले अनवर  ने अपनी पेशानी पर झलकते पसीने को गमछे से पोंछने हुए कहा उसे फिक्र नहीं थी कि किस्मत की … Read more

वुमन इन डेंजर’ – प्रियंका सक्सेना

सेमेस्टर ब्रेक होते ही सभी छात्र-छात्राएं घर जाने के लिए बसों से निकल पड़े। आस्था के साथ उसके दो सहपाठी भी थे।  डेढ़ घंटे बाद उन दोनों का गंतव्य आ गया।  वे बस से  उतर गए। आस्था‌ के लिए आगे का तीन  घंटे का सफर काटना कोई  मुश्किल नहीं था । सिर सीट से टिकाकार … Read more

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