मैं ऐसी क्यों हूं? – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“कब तक चुप रहूं “क्या मुझे बोलना चाहिए•••? पिछले 10 सालों से मेरी जुबान बोलने से लड़खारती रही•• ना मैंने अपना दर्द  किसी को बताया और ना ही कभी किसी ने मुझसे पूछा•••! २२ साल की काव्या उदास सी कमरे में  चहल कदमी रही थी।  #अनकहा दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था।  बड़ी … Read more

ढलती शाम – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“पापा••• अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता “मैं••• सब कुछ छोड़-छाड़—  मुन्ना को ले घर आ रही हूं••• ! पर ये समय अंश पर गुस्सा करने का नहीं बल्कि हिम्मत से काम लेने का है••मेरी बच्ची•• ! जैसा तुम बता रही हो उस हिसाब से मुझे लगता है कि अंश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं••!  पर … Read more

घर की इज्जत – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

यशोदा•••! जहां तक•• मैं समझता हूं– तो•• तिलक सही कह रहा है•• एक बार हमें उसके कथन पर विचार करना चाहिए••!  देखो जी•••” मैं तो बिल्कुल भी इस बात के लिए राजी नहीं हूं•• यदि गांव वालों को पता चला तो क्या इज्जत— इज्जत जाएगी नहीं•• बल्कि” घर की इज्जत”घर में ही रहेगी•••! बीच में … Read more

शक का कीड़ा-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

बस दीदी बस•• बहुत हो गया ••अब इतनी भी बेज्जती मत करो मेरी•••! मैं तो यहां सिर्फ तुम्हारे लिए आई  और तुमने मेरे कैरेक्टर पर ही सवाल खड़ा कर दिया •••? मममममम•• मेरा•• मतलब कहने का ये नहीं था छोटी••!  कहते हुए रजनी के हाथ पैर ठंडे हो गए। वह अंदर ही अंदर कांपने लगी … Read more

टर्निंग पॉइंट कभी भी आ सकती है – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“मैंने••• तुझे कितनी बार कहा कि•• मत खेला कर उनके साथ पर तू है की सुनती ही नहीं•••! गीता अपनी बेटी सेजल से बोली। पर मां••!” मैं क्यों नहीं खेल सकती उनके साथ•••? आखिर वो मेरे भाई-बहने हैं•••! 1४ साल की सेजल बड़ी-बड़ी आंखों को मटकाते हुए गीता से ही सवाल जड़ दिया।  एक बार … Read more

रिश्तों में कुछ देख कर भी अनदेखा करना होता है-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

शादी ,हनीमून खत्म हुआ••• अब आर्या अपने जाने जहां हर्ष नौकरी करता था, की तैयारी शुरू करने लगी। देखो•• कल की ट्रेन है•• सारी पैकिंग हमें आज ही करनी होगी•• ताकि कल तक हम निश्चित हो सके। कहते हुए हर्ष आर्या को अपने बाहों में भर लेता है।  पर इतनी सारी पैकिंग क्या कल तक … Read more

जन्म दिया है तो जिम्मेदारियां भी निभानी होगी – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“आज पूरे 20 दिन बाद बर्न हॉस्पिटल में विद्या को अपने जिंदा होने का एहसास हुआ”। अब वह पहले से काफी ठीक थी– सामने पति प्रभात और अपने माता-पिता ,भाई को देख आंखों से बरबस ही अश्रु धारा निकल पड़े फिर प्रभात की तरफ देखते हुए धीरे से कुछ बोलने की कोशिश की परंतु ४0% … Read more

एक अल्हड़ एक परिपक्व – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज मधु जी  जिम्मेदारी से मुक्त हो गई ।  सबसे छोटे बेटे गोपाल की शादी अपने पसंद की लड़की रागिनी से किया ।‌ मधु जी के दो बेटे थे बड़ा बेटा आलोक जो स्वयं बैंक में कार्यरत था और अपनी ही सहकर्मी प्राची जो अंतर जाति थी, से” लव मैरिज” की । हालांकि घर वाले … Read more

सबका समय एक सा नहीं होता – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“ऐ—- तुम जानते नहीं— मैं किसका बेटा हूं”! अगर उन्हें पता चला कि तू बड़ा इस क्लास में इतराते फिरता है— तो फिर तेरी खैर नहीं•••••• ! विकास सारांश को धमकाते हुए बोला  ।  “मैं तुम्हारे पापा को नहीं जानता••• वैसे वह जो कोई भी हो मैंने कुछ किया ही नहीं तो फिर मुझे क्यों … Read more

ममता का आंचल – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“आपका दिमाग तो ठिकाने पर है ना मां जी”——-? 50000 का चेक आप हर 6 महीने में अनाथालय भिजवाती हैं— हमने कभी कुछ नहीं कहा परंतु आज तो आपने हद ही कर दी पूरे 5 लाख का चेक काटा है•••• प्रॉपर्टी आपकी है इसका मतलब यह नहीं कि हमारा कोई अधिकार नहीं•••••! शीतल ऊंची आवाज … Read more

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