दोहरा चेहरा – समाज के लिए कुछ अपनों के लिए कुछ – संगीता अग्रवाल

” अरे तुम रीमा हो ना पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ?” सुगंधा ने अपने कॉलेज की दोस्त को एक सस्ती कपड़ो की दुकान के बाहर खड़े देख पूछा। ” सुगंधा तुम अचानक यहां ?” रीमा खुश होते हुए अपनी दोस्त के गले लगती हुई बोली। ” हां वो मेरे पति का ट्रांसफर … Read more

कौन घर का चिराग़ – उषा गुप्ता

“बधाई हो ,आपको पुत्री रत्न प्राप्त हुआ है ।”डॉक्टर ने प्रसव के बाद आशा को बधाई देते हुए कहा।यह वह अस्पताल था जहाँ पुत्री के जन्म पर पूरे अस्पताल में मिठाई बाँटी जाती थी। आशा ने प्यार से बेटी का माथा चूम लिया।तभी सासु मां और पति अंदर आकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे-” फिर से … Read more

वो एक माँ ही कर सकती है – ज्योति अप्रतिम

“अरे कहाँ हो भाई ।एक पखवाड़ा बीत गया है ,कोई बात नहीं हो पाई।सब ठीक तो है न !”मैंने किरण ,अपनी अभिन्न मित्र से फ़ोन पर पूछा। “हाँ ,सब ठीक ही है।” उदास सा स्वर सुन कर ही समझ आ गया कुछ तो दाल में काला है ! “स्पष्ट बताओ डिअर ! क्या हुआ ?”मैंने … Read more

लौटती जिंदगी – तृप्ति शर्मा

 छोटी आज सुबह से परेशान है ,बहुत प्यारी सफेद रंग की काली आंखों में मासूमियत और सब का प्यार पाने को लालायित। बच्चों का खिलौना, बच्चे कैसे भी उसके साथ खेलते वह कुछ भी ना कहती, सब के घर की रोटी की पहली हकदार छोटी। तीन बार मां बन चुकी थी पर उसका खुद का … Read more

ये है ज़िन्दगी  – मीनाक्षी सिंह

एक बार मैं अपने पतिदेव और दो बच्चों (5साल का बेटा अनय और 2 साल की बेटी अनिका ) के साथ ट्रैन की य़ात्रा कर रही थी ! कुछ ऐसी ईमरजेंसी थी कि उस दिन हमें स्लीपर से जाना पड़ा ! वैसे ज्यादातर एसी का ही सफर करते हैँ ! ये मैं इसलिये बता रही … Read more

ये जीवन हैं – गुरविंदर टूटेजा 

  रीमा क्या कर रही हो अभी गिरती तुम…अजय ने जोर से चिल्लाया..!! तुम्हें तो पता है ना कि इस दिन का मैं कब से इंतजार कर रही थी..आज भूमि पूजन हैं हमारा घर बननें जा रहा हैं…हमें ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी मिल रही है…!! हाँ भाई पता है मुझे व बच्चों को सबको पता … Read more

जिन्दगी की खुशियां – माता प्रसाद दुबे

शाम के 7,बज रहे थे। रामप्रसाद अपनी ड्यूटी पूरी करके अपने घर पहुंच चुका था। वह राज्य सरकार  में सरकारी ड्राइवर के पद पर कार्यरत था। दिन भर गाड़ी चलाने के उपरांत वह थक कर चूर हो चुका था। मगर यह तो उसकी रोज की दिनचर्या थी। आज वह मानसिक तौर पर परेशान नजर आ … Read more

खुशियों की बहार – पुष्पा जोशी

जिंदगी बहुरंगी होती है, सुख-दु:ख का मेला है.मनुष्य सुख की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है.कई बार समझ ही नही पाता कि सच्चा सुख कहाँ है?कहाँ मिलेगा? उसकी तलाश में भटकता रहता है,  जैसे वह नायाब हीरा हो और उसे वह खोज रहा हो.कई बार इस खोज में ही सारी जिन्दगी बीत जाती है, क्योंकि … Read more

यही तो है जिंदगी – गोमती सिंह

moral story in hindi

सरिता इकहरे बदन की गौर वर्ण की बहुत ही खुबसूरत लड़की थी।  तीखे नयन नक्स, कमर तक लटकती लंबी मोटी सी छोटी जो सुन्दर सुन्दर बालफूल से सुसज्जित होती थी । माथे पर दमकते बिन्दी तथा मांग सिंदूर से सुशोभित होते थे हांथों पर सुर्ख चूड़ियों की खनक से पूरी गृहस्थी गुंजायमान होती थी ।  … Read more

नई जिंदगी – डाॅ उर्मिला सिन्हा

   शिल्पा ने दोपहर में गेहूं अपने हाथों से  साफ कर आटा पिसवाया  था  फिर रोटियां  किन-किन कैसे हो गई .सब्जी भी उसने बडी़ मन से बनाया था फिर उसमें मिर्चे कहां से आ गयी।शिल्पा ने जरा सा तोड़कर रोटी सब्जी चखा …मुंह का स्वाद बिगड़ गया।रोटी में कंकड़ और सब्जी कड़वी थू थू।      आज फिर … Read more

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