लौटती जिंदगी – तृप्ति शर्मा

 छोटी आज सुबह से परेशान है ,बहुत प्यारी सफेद रंग की काली आंखों में मासूमियत और सब का प्यार पाने को लालायित। बच्चों का खिलौना, बच्चे कैसे भी उसके साथ खेलते वह कुछ भी ना कहती, सब के घर की रोटी की पहली हकदार छोटी। तीन बार मां बन चुकी थी पर उसका खुद का बचपना और प्यार पाने की ललक खत्म नहीं हुई थी।

  हमारी गली में कुछ प्लाट खाली है और एक खंडहर का मकान भी है,हमारी गली के पालतू आवारा कुत्तों का ठिकाना है वह मकान। गली में जितने घर हैं सब उन कुत्तों को खाना खिलाते हैं। पानी के लिए हर दो-तीन घर के बाद साफ पानी भरा टब रहता है। जिसकी बकायदा सफाई होती है इसलिए हमारी गली के तीन आवारा कुत्ते कभी-कभी पालतू  की श्रेणी में आ जाते है। बीमार होते हैं उनकी दवा का इंतजाम भी कर दिया जाता है। कुल मिलाकर इंसानियत का उदाहरण हमारी गली में हर जगह दिखाई देता है। वैसे भी कुत्तों से ज्यादा वफादार जानवर नहीं है उनमें से एक है “छोटी”।

    आज सुबह घर का दरवाजा खोलते ही नाश्ते का इंतजार नहीं था उसकी आंखों में ।दयनीय ,करुणा भरी दुख भरी आंखें थी। मैं समझ नहीं पाई, थोड़ा प्यार किया खाने को दिया पर आंखों की स्थिति में बदलाव नहीं आया। इस बार उसने 8 बच्चों को जन्म दिया था बहुत ही प्यारे सफेद काले रंग के छोटे-छोटे पप्पीस सबको साथ लेकर घूमती इधर-उधर।




    ध्यान देने के बाद देखा कि एक बच्चा कम है, सोचा शायद कोई ले गया होगा दोपहर होने तक खंडहर मकान से बच्चे के दर्द भरे रुदन सुनाई देने लगे।

 जाकर देखा तो वह वहीं था उसका एक हिस्सा  हिल नहीं रहा था पता नहीं कैसे उसे चोट लगी थी कुछ समझ नहीं आया ।दूध पिलाने की कोशिश की सब बेकार ,अब जाकर छोटी की स्थिति समझ पाई मै मां तो मां ही होती है ना चाहे कोई भी हो ,समझ नहीं आया क्या करूं।

 दो-तीन लोगों को बुलाया सबकी सलाह से उसका इलाज कराने वेटरनरी डॉक्टर के पास ले गए। इस दौरान छोटी ने अपने बच्चे के साथ नहीं छोड़ा हमेशा हमारे पीछे पीछे रहती थी ।अब उसकी आंखों में रुदन के साथ आस भी दिखती थी कि शायद उसका बच्चा अब बच जाएगा लौटेगी उसके बच्चे की जिंदगी ।उसकी उस आस ,डॉक्टर के इलाज और हम सब के प्रयास के चलते बच्चे में धीरे-धीरे सुधार आना शुरू हुआ। पहले उसने अपना हाथ फिर पैर हिलाने शुरू किए ।दूध अब भी नहीं पिया जा रहा था पर एक अच्छी मां की तरह छोटी रोज उसके पास लेटती थी सूघती प्यार करती जीभ से सहलाती मानो जख्म सहला रही हो।

 कुछ दिनों के इलाज के बाद बच्चे ने सिर घुमाना शुरू किया तो थोड़ा दूध पिया जब तक गली में से कोई ना कोई उसे बोतल से दूध पिलाता था। 10,12 दिन बाद उस बच्चे की जान जैसे लौट के आई हो ।छोटी की आंखों में सबके लिए धन्यवाद तैरता नजर आया मानो कह रही हो मेरे बच्चे की जिंदगी लौटाने के लिए शुक्रिया।

#ज़िंदगी

तृप्ति शर्मा

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