अनकहा बंधन (भाग–1) – रचना कंडवाल : Moral Stories in Hindi

“हां मुझे मोहब्बत है उससे” सतीश बहुत जोर से चिल्लाया।  ये सुनकर सावी तो जैसे किचन में जम कर पत्थर की मूरत बन गई। चाय का कप उसके हाथ से नीचे गिर कर टूट गया। उसकी सास बेहद कर्कश स्वर में छाती पीट पीट कर चिल्ला रही थी। सुनते हो  सतीश क्या कह रहा है???  बदतमीज बद दिमाग छोकरे तेरा दिमाग चल गया है। थप्पड़ की आवाज गूंज उठी। सतीश के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ चुका था। विजय के पापा ये सब आपकी करनी का फल है। मैं तो इस बेहया को इस घर में नहीं रखना चाहती थी। अगर मेरे विजय का अंश इसकी कोख में नहीं होता तो मैं इसे धक्के मारकर इस घर से निकाल देती।

ये मनहूस मेरे एक बेटे को खा ग‌ई।

अब डायन ने अपने मायाजाल में दूसरे को भी फंसा लिया है।

इसकी तो आज मैं अच्छे से खबर लेती हूं।

लता ने तेजी से अपने कदम किचन की तरफ बढ़ाए।

सतीश ने आगे बढ़कर लता को बीच में रोक लिया।

खबरदार जो सावी को हाथ भी लगाया। अच्छा तो अब तू भाभी से सावी पर आ गया।

“कब से चल रहा है ये सब??? मैं इसे छोडूंगी नहीं “

“क्या करेगा तू??? अपनी मां पर हाथ उठाएगा???”

सतीश के पापा जो अब तक बैठ कर तमाशा देख रहे थे। उठ कर आए और लता को डांट कर खींचते हुए अंदर ले जाने लगे। 

“ये क्या अनाप-शनाप बक रही हो।”

मुहल्ले पड़ोस के लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे???

“सुनने दो”उन्हें भी तो पता चले

तुम्हारी लाड़ली बहू की करतूत। लता सीधे अंदर चलो जगन्नाथ जी ने क्रोध से कहा।

लता भुनभुना कर पैर पटकती हुई कमरे में चली गई।

जगन्नाथ जी सिर पकड़ कर बरामदे में बैठ ग‌ए।

अचानक से उन्हें जैसे होश आया “सावी कहां है??”

सतीश किचन के बाहर खड़ा था वो सब बोल कर उसमें हिम्मत नहीं थी कि वो सावी के सामने खड़ा हो सके।

वो जगन्नाथ जी से बिना नजरें मिलाए सिर झुका कर अपने रूम में चला गया।

जगन्नाथ जी किचन में आए सावी को देख कर हतप्रभ रह गए।सावी किचन में फर्श पर बेहोश पड़ी थी।

जगन्नाथ जी ने पानी के छीटें मार कर उसे होश में लाने की कोशिश की पर वो होश में नहीं आई। वो बाहर आए उन्होंने सतीश को आवाज दी,

सतीश उनकी आवाज सुनकर घबरा गया।

दौड़ते हुए आया सावी को बेहोश देख कर उसके हाथ पैर सुन्न हो ग‌ए। सतीश ने सावी को बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया।

जगन्नाथ जी अपने मित्र डाक्टर मेहता को फोन करने लगे।

डाक्टर मेहता ने आकर सावी को चेक किया।

” जगन्नाथ बहू को हास्पिटल में एडमिट करना होगा।”

सिक्स मंथ्स प्रेगनेंट और हालत देखो इसकी कितनी वीक हो गई है।

बेचारी विजय की मौत ने इसे तोड़ कर रख दिया है। मैंने एंबुलेंस को कॉल कर दिया है।

“थैंक्यू सो मच”  तुम अपने बिजी वक्त के बावजूद यहां आए। सावी को अस्पताल में एडमिट कर दिया था।

लता ने तो कसम खा ली थी कि कल की मरती चुड़ैल आज ही मर‌ जाए मैं तो भूल कर भी उसे देखने  नहीं जाऊंगी।

 सतीश और जगन्नाथ जी दोनों उसका ख्याल अच्छे से रख रहे थे। सतीश के अंदर सावी का सामना करने की हिम्मत नहीं थी। क्योंकि उसे लग रहा था कि उसकी ऐसी हालत का जिम्मेदार वही है। क्यों उसने वो सब बोला?? सावी दवाई लेने के कारण गहरी नींद में थी। सतीश उसे चुपचाप देखने लगा उसका रुप उसकी मासूमियत सब कुछ कितना पवित्र था।जब विजय भैय्या की दुल्हन बन कर वो घर में आई थी तो सब कितना खुश थे। नाते रिश्तेदारों ने मोहल्ले पड़ोस वालों ने मम्मी को बधाई देते हुए कहा था कि बहुत सुंदर बहू आई है आपके घर में। वो अक्सर मजाक में सावी को कहता कि भाभी काश! आपकी कोई बहन होती तो मैं उसे आपकी देवरानी बना कर इस घर में ले आता। सावी मुस्करा देती कहती देवरजी आपकी दुल्हन मैं ढूंढ कर लाऊंगी। मेरी पसंद हमेशा अच्छी होती है। विजय इंजीनियर थे। सावी से उनकी मुलाकात किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में हुई थी। मुलाकातें बढ़ी तो विजय ने अपने माता-पिता को सावी के घर रिश्ता ले कर भेजा। सावी के माता-पिता बहुत अमीर नहीं थे जैसा सपना विजय की मां लता ने अपने समधियाने का देखा था उस कसौटी पर साधारण लोग खरे कैसे उतरते??? ऊपर से उनकी दो बेटियां थीं। विजय की मां लता ने अपनी अस्वीकृति जाहिर कर दी। दूसरी भी बेटी है भाई होता तो और बात होती। तुझे ही उनके परिवार का बोझ उठाना पड़ेगा।

इसके विपरीत जगन्नाथ जी को सावी पहली नजर में ही भा गई थी।

आगे क्या होगा इसके लिए अगला भाग प्रस्तुत करूंगी ??

सावी पर सतीश की बातों का क्या असर हुआ???

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अनकहा बंधन (भाग–2 )

अनकहा बंधन (भाग–2) : Moral Stories in Hindi

© रचना कंडवाल

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