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अनजानें रिश्तें – गुरविंदर टूटेजा

अजय निधी पर चिल्ला रहा था कि…निधी तुम भी ना रोज एक नया रिश्ता बनाकर बैठ जाती हो…तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता कि ये दुनिया सिर्फ फायदा उठाती है…!!

   देखो अजय मैं वही जाती हूँ जहाँ कोई मजबूर होता है या जरूरतमंद होता है और मैं अकेली तो हूं नहीं हम पाँच है आप तो जानतें हैं….हम पैसों से तो नहीं कर सकते पर किसी को सांत्वना देना या उनका दर्द सुन लेना तो गलत नहीं है ना….??

 अभी कल हम मानसिक रोगियों के आश्रम गयें थे…वहाँ पर हम जब उनसे मिले तो वो बहुत खुश हुयें…हमसे बातें  की…तो कही बहुत दु:खी थे..सोचो तो जिनमें समझ या सुध ही नहीं वो दु:खी कैसे होगें पर ऐसा नही है…अपनों का इंतजार करते हैं…तरसतें है मिलनें के लिये…एक ने बताया कि…मेरी बेटी मुझे यहाँ छोड़ गयी….

सिर्फ इसलिए कि कभी खाना कपड़ों पर गिर जाता था..पानी का ग्लास गिर जाता था…मैं क्या करुंँ बेटा हाथ काँपतें है…यहाँ तो इतना गन्दा करतें है सब…यहाँ से तो कोई नहीं निकालता है…मैंने उन्हें प्यार किया…उनके बाल बनाये तो बहुत रोई और बोली कि तू मेरी बेटी बन जा…ज्यादा नहीं कभी-कभी मिलने आ जाना.…मैंने भी वादा कर दिया 

 कभी मिलनें चली जाऊँगी तो क्या हो जायेगा… बोलो..!!

   अजय की भी आँखों में आँसू आ गये..बोले जरूर जाना निधी…!!



और पता है एक उन्नीस साल की बेटी से भी रिश्ता जोड़ा मैंने सुनोगे तो रूह भी काँप जायेगी…एक कोने में खामोश बैठी थी..मैं गयी तो मुझे देखकर सहम गयी…मैंने सिर पर हाथ फेरा और बोला बेटा! ऐसे क्यूँ डर रही हो डरों नहीं बताओ मुझे तुम यहाँ क्यूँ हो…? तो मेरे गले लगकर बहुत रोई मैंने भी रोने दिया पता नहीं कितना दर्द उसने अपने अंदर दबाया था…सिसकियाँ लेते हुये बोली कि…मम्मी-पापा के निधन के बाद चाचा-चाची के पास रहती थी…

थोड़े दिन तो सब सही था पर बाद में उनका बेटा मेरे कमरे में एक रात आ गया और जबरदस्ती करने लगा तो मैंने शोर मचाया चाचा-चाची आ गये मुझे ही डाँटनें लगे तो मैंने कहा कि मैं सबकों बताऊँगी तो बहुत मारा और पागल बताकर यहाँ भिजवा दिया…मैं सच कह रही हूँ.. मैं पागल नहीं हूँ…आप मुझे यहाँ से बाहर निकलवाना…!!

   मैंने उससे वादा किया है और हम यही कोशिश कर रहें है कि उसको कही अच्छी जगह भिजवा दें कि उसकी ज़िन्दगी बन जायें तो मन को तस्सली मिलेंगी…!!

   अजय वहाँ अभी और भी बहुत दु:खी है और बहुत से अनजानें रिश्तें है जिनके लिये हम ज्यादा नहीं तो उनसे प्यार से बातें करें…उन्हें छोटी-छोटी खुशियाँ देंतें हैं तो मैंने देखा वो उनके लिये बहुत बड़ी होती हैं… बस मैं यही करना चाहती हूँ… अब बोलो तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है ना…??

   नहीं निधी मैं गलत था पर अब समझ गया हूँ और आगे से  मैं भी तुम्हारा साथ दूँगा…उसने निधी को बाँहों में भर लिया…!!!!



सुना है ज़िन्दगी कुछ रिश्तों 

बिन पूरी नहीं होती…!!!!

पर…..

ज़िन्दगी में कुछ रिश्तें ऐसे होतें हैं

जिनके साथ से अधूरी भी नहीं होती..!!!!

#दिल_का_रिश्ता

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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