आज रचना की शादी थी । उसने एक बार चारों तरफ नजर घुमा कर देखी। शानदार इंतजाम था ।
ऐसी शानो शौकत वाली शादी करना उसके मां-बाप सोच भी नहीं सकते थे । वह एक मध्यवर्गीय परिवार से थी। स्कूल में शिक्षिका थी और उसकी शादी जिस इंसान से हुई थी वह अमीर ही नहीं बहुत अमीर कहा जा सकता है ।
पांच सितारा होटल में उसकी शादी एक परी कथा के समान हो रही थी। पैसा पानी की तरह बहाया गया था पर उसका पति अशोक उससे तो बस वह 2 दिन पहले ही मिली थी। इतनी जल्दबाजी में उसकी शादी क्यों हो गई वह समझ नहीं पा रही थी पर अपने माता-पिता से यह पूछने का समय भी उसे नहीं मिला।
रचना 28 वर्ष की हो गई थी और एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका थी ।एक आम सी जिंदगी बिताना उसे बहुत पसंद था ।जब उसे महंगे जूते सस्ते में मिल जाते तो बड़ी खुश हो जाती ।छोटी-छोटी दुकानों पर जाकर भावनाओं करके सामान लेना उसे बहुत पसंद था ।पर वह जानती थी उसकी शादी जिस घर में हो रही है वहां यह सब करना उसके लिए अब मुमकिन नहीं था ।
तभी अचानक एक आवाज से उसका ध्यान आकर्षित हो जाता है ।वह अशोक था उसका पति ।उसे अपनी शादी पर चंद शब्द कहने के लिए माइक दिया गया था ।अशोक ने कहा “तो आखिरकार मेरी शादी हो ही गई “उसके घर के लोग पीछे खड़े जोर से हंसने लगे ।
रचना को यह बात कुछ अजीब लगी लेकिन वह करती भी क्या वह भी धीरे से मुस्कुरा दी । फिर अशोक ने ढेरों ऐसे लोगों के नाम गिनाए जिन्हें रचना जानती भी नहीं थी और अशोक ने उन्हें शादी करवाने के लिए धन्यवाद दिया। अंत में उसने अपने परिवार को धन्यवाद दिया और स्टेज से नीचे उतर आया ।
रचना असमंजस की स्थिति में थी उसने तो रचना का नाम ही नहीं लिया ना ही उसे स्टेज पर बुलाया। यह कैसा नीरस पति मिला था उसे ।क्या यह रिश्ता अशोक के लिए अनचाहा था ?
उधर अशोक स्टेज से उतरकर सीधे अपने दोस्त राघव के पास चला गया उसके संग बैठकर शराब पीने लगा ।राघव और अशोक दोनों आपस में हंसी मजाक कर रहे थे तभी अशोक थोड़ा गंभीर हो गया और बोला राघव वह कॉन्ट्रैक्ट मैंने अच्छे से पढ़ा है ।राघव अशोक की तरफ बड़े ध्यान से देखने लगा वह जानता था वह किस कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बातें कर रहा है।
” पापा ने मेरे लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा है ,मैं उसे तलाक नहीं दे सकता ,सिर्फ वह चाहेगी तभी हमारा तलाक हो सकता है “राधव अशोक की तरफ बड़े गौर से देखने लगा। “तू यह क्या बात कर रहा है , आज ही तेरी शादी हुई है और तू तलाक की बात कर रहा है !अभी तो तूने रचना को जाना भी नहीं है शायद तुझे अच्छी लग जाए और तू अपनी बाकी की जिंदगी उसके साथ गुजारना चाहे”
” नहीं राघव तू नहीं जानता यह एक अनचाहा रिश्ता है ,बहुत दिनों तक नहीं चलेगा और तू क्या समझता नहीं एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की ने मुझसे शादी क्यों की? सोच पैसों के लिए ! तो वह तलाक देने के लिए भी आसानी से राजी हो जाएगी। वैसे भी मेरे पिता ने यह शादी मेरे ऊपर थोप दी है सिर्फ 2 दिनों के अंदर शादी करने के लिए कौन सी लड़की तैयार हो जाती है मैं बहुत अच्छे से जानता हूं ऐसी लड़कियों को ,टीचर है ना स्कूल में ,बहुत होशियार है चल कोई बात नहीं मैं उसके जल्दी छुटकारा पा जाऊंगा” आगे का हिस्सा पढ़ने के नीचे लिंक पर क्लिक करें।
अनचाहा रिश्ता भाग 2- गरिमा जैन