अकेलापन “मेरा रहबर ” – कृष्णा विवेक

कविता ••• कविता ••••

“अरे निशांत तुमने देखा क्या वो कविता ही थी ना !!! “

शालिनी ने निशांत से कहा।

निशांत को भी आश्चर्य था वो कविता ही लग रही हमारी आँखे अपनी दोस्त को पहचानने में धोखा नहीं खा सकती  चलो पीछा करते हैं।

निशांत और शालिनी मॉल की पार्किंग से जल्दी अपनी गाड़ी निकालते है और उस गाड़ी के पीछे चल पड़ते है जो अभी कुछ क्षण पहले उनकी आवाज को अनसुना कर ना जाने किस जल्दी में चल पड़ी।

कुछ ही दूरी में कविता की गाड़ी रोड पर सरपट  भागे जा रही थी शालिनी भी उसी के पीछे  कार चलाती निशांत से कहती हैं “तुम्हें याद है कॉलेज के समय वह कितनी हँसती खिलखिलाती थी पर रमन के एक्सीडेंट के बाद जैसे उसने जीना ही छोड़ दिया और यहाँ का सब छोड़ लंदन चली गई यहाँ तक की हमसे भी इतनी दूरी बना ली इतने सालों में एक कॉल तक नहीं किया ना ही हमारे मैसेज का कोई जवाब दिया!!!!”

निशांत ने कहा तुम सही कह रही हो पर कविता भारत आई तब भी हमें क्यूँ नहीं बताया क्या वज़ह हो सकती है उसके वापस आने की और मुझे ऐसा लगा जैसे उसने हमें सुन कर भी अनदेखा किया।

शालिनी ने जवाब दिया नहीं उसने शायद हमें नहीं देखा हो वो किसी जल्दी में लग रही थी ••••

शालिनी को बात के बीच टोकते हुए निशांत बोला रुको रुको वो देखों कविता की गाड़ी एक हॉस्पिटल के आगे रुकी पर हॉस्पिटल क्यूँ??? दोनों विचारशील  निगाहों से हॉस्पिटल के गेट की तरफ नजरे टिकाए देख रहे थे।

 



गाड़ी को साइड में पार्क कर कविता का पीछा करते रिसेप्शन पर जा कर पूछे जी अभी अभी एक लेडी मिस कविता यहां आई क्या आप बता सकते हैं वो यहां क्यूँ••  मेरा मतलब कोई एडमिट है क्या उनका जान पहचान वाला??

रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया जी उनकी बेटी यहां एडमिट है। शालिनी बोली क्या आप रूम नंबर बता सकती है??

रिसेप्शनिस्ट- रूम नंबर 201।

शालिनी और निशांत दोनों साथ में थैंक यू सो मच ।

दोनों जल्दी ही रूम नंबर 201 में पहुंचते हैं और देखते हैं बेड पर कुछ  सात साल की एक बच्ची लेटी है और पास ही पड़े स्टूल पर कविता उदास  बैठी है।

उस बच्ची की हालत देखने में कुछ ठीक नहीं लग रही है ऐसा लग रहा है जैसे बस कुछ दिन की मेहमान हो शालिनी और निशांत दरवाजा खटखटाते हैं कविता धीरे से लहजे में उठ कर दरवाजा खोलती है।

अचानक से निशांत और शालिनी को देखकर वह कुछ क्षण तक स्तब्ध रह जाती है और फिर खुद को संभालते हुए पूछती है तुम दोनों यहां•••

निशांत कहता है हमने तुम्हें मॉल के बाहर देखा तुम किसी जल्दी में लग रही थी इतने सालों बाद तुम यहां कैसे?? और यह बच्ची कौन है???

 

कविता कहती है तुम दोनों अंदर आओ मैं सब कुछ बताती हूं तीनों अंदर जाकर बैठते हैं और कविता बोलना शुरू करते हैं तुम जानते हो रमन के एक्सीडेंट के बाद मैंने अकेले रहने का फैसला किया था ।

रमन की यादों से दूर लंदन चली गई वहां जाने के कुछ समय बाद मुझे पता चला कि मैं रमन के बच्चे की मां बनने वाली हूं और मैं उसकी यादों को ना चाहते हुए भी ठुकरा नहीं सकती थीं। मैंने इस बच्चे को जन्म देने का फैसला किया आज इतने सालों बाद मैं उसे अपनी धरती पर लेकर आई , कुछ महीने हो गए हैं हम दोनों को यहां आए हुए 2 दिन पहले हम मार्केट से आ ही रहे थे कि अचानक से हमारा एक्सीडेंट हुआ और विधि को एडमिट करना पड़ा मैं पहले ही एक्सीडेंट की वजह से अपने रमन को खो चुकी हूं अब विधि को नहीं खो सकती अकेली मां का भारत में रहना और वह भी बिन ब्याही , किसी को पसंद नहीं आता इसीलिए मैंने अपने अकेलेपन से दोस्ती करते हुए वहां रहने का फैसला किया था और मेरे अकेलेपन ने  विधि  को मेरा रहबर बना दीया।



शालिनी बोली इतना सब कुछ हो गया यहां तक कि तुम भारत आई फिर भी हमें कानो कान खबर नहीं होने दी  क्यूँ??

कविता बोली वह इसलिए क्योंकि अगर मैं तुम्हारे साथ रहती या तुम्हें कुछ बताती तो शायद तुम भी मुझसे दूरी बना कर रखते इतने में निशांत बोला तुम पागल हो गई हो क्या ? क्या-क्या सोचती हो तुम्हें क्या लगता है हम तुम्हारे दोस्त नहीं दुश्मन हैं अगर हमें पहले पता होता की एक नन्ही सी गुड़िया हमारा इंतजार कर रही है या हमें देख कर खुश होगी तो हम इतनी देर लगाते ही नहीं और तुमने हमारे मैसेज और कॉल का रिप्लाई देना भी तो छोड़ दिया था देखो इस दुनिया में दूसरों की पसंद से जीना आसान होता है। अपनी पसंद को तवज्जो देना बहुत ही मुश्किल तुमने तो मुश्किल काम को ही आसान बना दिया  अभी प्रॉमिस करो तुम यहां से कहीं नहीं जाएगी चाहे कोई कुछ कहे हमें फर्क नहीं पड़ता दुनिया क्या कहती है, अपनी पसंद भी तो कुछ मायने रखती है और इसमें गलती ही क्या है तुमने अपने प्यार को उसकी निशानी को  संभालने का निर्णय लिया और जी जान से प्यार करती हो। चिंता मत करो विधि जल्दी ही ठीक हो जाएगी कुछ भी काम हो कुछ भी जरूरत हो बेझिझक हमें याद करो।

कविता की आंखों से आंसू छलक आए उसके सिसकने की आवाज से विधि नींद से उठ गई और बोली   मम्मा आप कहां हो आप फिर से रो रहे हो कविता बोली नहीं बेटा देखो तुम से मिलने कौन आया है यह है निशांत अंकल और यह शालिनी आंटी कविता ने अपने दोस्तों का विधि से परिचय करवाया। विधि हंसते हुए बोली अरे मम्मा फिर से नहीं••••” हेलो डूड हेलो ब्यूटीफुल हाउ आर यू आई एम विधि नाइस टू मीट यू आप दोनों फ्रेंड हो ना मम्मी के अब तो आप ही समझाओ इन्हें छोटी-छोटी बात पर अपसेट हो जाती है मैं कितना समझाती हूं समझती ही नहीं है”।

निशांत ने हंसते हुए बोला बेटा तुम्हारी मम्मी हमेशा से ऐसे ही है अब कोई टेंशन नहीं है अब हमारे पास आ गई है ना हम मिलकर सब सही कर देंगे।

 

यह थी कहानी कविता की आप क्या सोचते है क्या कविता का सोचना गलत था या शालिनी और निशांत ने जो किया वह सही किया क्या एक मां अकेले अपने बच्चे को नहीं संभाल सकती शादी जरूरी है???

 

 स्वरचित कृष्णा विवेक

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