अहंकार तो रावण का भी नहीं रहा  – मीनाक्षी सिंह

जब सुमन स्नातक में पढ़ती थी तो उसकी एक प्रिया नाम की सहेली थी ! वो बहुत ही खूबसूरत थी ! लंबे लंबे बाल ,गोरा रंग,पतली सी सुराही जैसी गर्दन थी उसकी ! दिमाग की भी तेज भी पर पढ़ने में उतना ध्यान नहीं देती थी ! और दूसरी तरफ सुमन मोटी,सांवले रंग की और इतनी आकर्षक भी नहीं थी ! हर समय  बस पढ़ाई ही घुमती रहती सुमन के दिमाग में !

सुमन के  भी पापा आर्मी में थे और प्रिया के भी ! उन दोनों के क्वार्टर आमने सामने थे ! वो कॉलेज में हर दिन 2-3 क्लास बंक करती  और लड़कों से गप्पे मारने के  लिए गार्डन में बैठ जाती ! और अपने हुस्न का जादू बिखेरती ! कॉलेज के सब लड़के उसके दीवाने थे ! वो सुमन से भी कहती कि यहीं उमर हैं मौज मस्ती करने की ! जी ले ज़िन्दगी ! देख सब मुझे कितना पसंद करते हैं ,और मेरी खूबसूरती की वजह से कोई मुझे कुछ नहीं कहता !

और दूसरी तरफ तू पढ़ने में भी इतनी होशियार हैं फिर भी तेरी तरफ मक्खी भी नहीं देखती ! और प्रिया जोर जोर से हंसने लगी ! पर सुमन पर प्रिया की बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता !

वो बस मुस्कुरा देती और कहती – जीवन में पढ़ाई लिखाई की जगह कोई नहीं ले सकता प्रिया ! एक दिन तुम्हे पछतावा होगा !

कॉलेज में निखिल नाम का एक लड़का था ! जो  बहुत ही स्मार्ट ,टाल ,हैंडसम था ! कोई भी उसे देखें तो नजरें उसके चेहरे से हटने का नाम ना ले ! आँखें अजय देवगन जैसी नशीली ! कुल मिलाकर बहुत ही सुन्दर था !

प्रिया से उसकी सहेलियों ने कहा अगर तू निखिल को  अपने हुस्न का दीवाना  बना दे तो मान जायें तेरी खूबसूरती को ! प्रिया ने कहा- मैने  अच्छे अच्छों को घायल कर दिया हैं ! निखिल क्या चीज हैं !

और सच में प्रिया ने कुछ ही दिनों में निखिल को अपना बना लिया ! पर निखिल बहुत ही समझदार ,सच्चा लड़का था ! वो प्रिया को समझाता की क्लास में जाया करो और पढ़ाई पर ध्यान दो ! वो जबरदस्ती प्रिया का हाथ पकड़ के उसे क्लास में ले जाता और उसे पढ़ाता ! पर प्रिया तो प्रिया हैं ,वो कहाँ पढ़ने वाली !

स्नातक का फाईनल रीजल्ट आया ! सुमन प्रथम आयी और निखिल दूसरे नंबर पर रहा ! और हमारी कहानी की प्रिया फेल हो गयी ! फिर भी उस पर कोई असर नहीं हुआ ! निखिल उसे खूब पढ़ाता उसका पूरा ध्यान रखता ! किसी तरह प्रिया स्नातक में अगले साल पास हो गयी !

सुमन जब निखिल को प्रिया का इतना ख्याल रखते हुए देखती और वो प्रिया को कभी गलत  स्पर्श भी नहीं करता ! बस उसे दिल से प्यार करता ! ये सब देखकर सुमन सोचती – ऐसे ही राजकुमार का सपना तो मैने देखा हैं ! वो मन ही मन निखिल को बहुत चाहती थी ! पर खुद को बदकिस्मत मानकर बस पढ़ाई में लगी रहती ! और आई.ए. एस अधिकारी बन ने सपना देखती रहती !


स्नातक  करने के बाद सभी लोग प्रतियोगिता की तैयारी में लग गए ! प्रिया ने एक बड़े घराने के लड़के को अपने जाल में फंसा लिया ! पर इस बात की खबर निखिल को नहीं थी !निखिल प्रिया से कहता हम दोनों आई .ए.एस बन जायेंगे तब शादी कर लेंगे ! और अपना प्यारा सा घर बसायेंगे ! प्रिया चालाक लड़की थी ! वो बस हाँ में सिर हिला देती ! निखिल की भावनाओं के साथ खेल रही थी !

आई ए एस की परिक्षा का दिन आ गया ! निखिल का सेंटर दूसरे शहर में पड़ा था ! सुमन ने भी ये परिक्षा दी ! निखिल पेपर देकर आया तो सीधा  प्रिया के पास आया ! प्रिया अपने नए प्रेमी की बाहों में लिपटी हुई थी ! निखिल का दिल टूट चुका था ! पर उसने प्रिया को एहसास नहीं दिलाया ! निखिल ने पूछा तुम्हारा पेपर कैसा हुआ प्रिया ,अच्छा हुआ निखिल ! जबकि प्रिया पेपर देने ही नहीं गयी थी ! अब  निखिल प्रिया से दूर दूर रहने लगा ! सुमन को लाईब्रेरी में पढ़ता हुआ देखता निखिल तो उसके पास आकर बैठ जाता ! और घंटों दोनों साथ में मिलकर पढ़ाई करते ! सुमन अंदर से बहुत खुश होती कि जिसके सपने देखती थी वो आज मुझसे इतनी बाते करने लगा हैं ! वो निखिल को प्रिया का ही मानती थी इसलिये उस से पढ़ाई तक ही सीमित रहती थी ! प्री का रीजल्ट आया ! निखिल और सुमन दोनों पास हो गए थे ! अभी मंजिल मिली नहीं थी ! मेंस भी एक कड़ी चुनौती थी ! अब निखिल और सुमन पढ़ाई में जी जान लगाने लगे थे ! उन्हे खाने पीने किसी बात का होश नहीं रहता ! प्रिया ने जब निखिल और सुमन को इतना समय साथ  बिताते हुए देखा तो उसे जलन होने लगी ! उसने एक चाल चली ! सुमन कमरे में अकेली थी ! प्रिया ने अपने नए प्रेमी को सुमन की इज्जत पर दाग लगाने के लिए भेजा ! जिस से निखिल सुमन से नफरत करने लग जाए ! और उस से दूर हो जाये ! भले ही प्रिया निखिल से प्यार नहीं करती थी पर अपनी इस्तेमाल की हुई चीज को किसी को सौंपने को भी तैयार नहीं थी !

सुमन कमरे में अकेली बैठी पढ़ रही थी ! निखिल बहुत ही चरित्रवान लड़का था ! कोई सुमन  को गलत ना समझे इसलिये कभी उसके साथ रात को नहीं पढ़ता था और ना ही आजतक रात को वो प्रिया के पास जाता था ! सुमन को किसी की आहट सुनायी दी ! वो कुछ सोचती उस से पहले ही वो लड़का उसके साथ जबरदस्ती करने लगा ! सुमन चिल्ला रही थी कोई बचा लो मुझे !

कहते हैं ना दिल के तार दिल से मिल ज़ाते हैं ! निखिल ने सुमन को फ़ोन लगाया ! कई बार ना उठाने पर निखिल को कुछ अनहोनी का अन्देशा हुआ ! वो दौड़कर सुमन के कमरे पर आ गया ! और सुमन को एक तरफ  खींचते हुए उस लड़के को बेरहमी से पिटा !और पुलिस के हवाले कर दिया !  प्रिया सुमन को ऐसी हालत में देखकर खुश होना चाहती थी ! इसलिये वो भी आ गयी ! निखिल सुमन को चुप करा रहा था !और उसे समझा रहा था और कह रहा था – मेरी तरफ देखों सुमन, तुम्हारे साथ कुछ   गलत नहीं हुआ है ! सुमन बिलखकर रोने लगी और कहती – आज मेरे साथ कुछ गलत हो जाता निखिल तो मैं आत्महत्या कर लेती! निखिल सुमन  के होंठों पर ऊंगली रख कर  कहता – तुम्हे कुछ हो जाता तो मेरा  क्या होता सुमन ! तुम्हे तो मैं हर  रुप में स्वीकार कर लेता! मुझे गलत मत समझना सुमन  ! मुझे तुमसे प्यार हो गया हैं ,पता नहीं कब कैसे ,तुम्हारी सादगी  ,तुम्हारी सच्चाई ,तुम्हारा चरित्र ,तुम्हारी पढ़ाई के प्रति लगन ने मुझे तुम्हारा दीवाना कर दिया ! पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या  सोचती हो ! सुमन   कहती – तुम तो प्रिया से प्यार करते थे ना ! निखिल कहता – वो प्यार नहीं बस उसके रुप रंग का कुछ समय का मोह जाल था ! ज़िसे मैं धीरे धीरे समझ गया और उस से दूर होता गया ! तुम मेरी बनोगी सुमन ! मुझ जैसे अनाथ लड़के से शादी करोगी ! सुमन कहती- मुझे लग रहा हैं मैं सपना देख रही हूँ ! जिस लड़के को सपनों में अपने राजकुमार  के रुप में देखती थी आज वो मेरे सामने खड़ा हैं ! सुमन और निखिल एक दूसरे के गले लग गए !  सुमन और निखिल को साथ देखकर प्रिया ने आंव देखा ना तांव ,और सुमन को 2-4 थप्पड़ ज़ड़ दिये !


तू मुझसे मेरे निखिल को दूर करेगी ,कलूटी कहीं की ,मोटी भद्दी ! कोई तो तुझे घास डालता नहीं इसलिये तू अपने पढ़ाई के जाल से ,सती सावित्री बन कर उसे फांसने चली हैं ! आज तो मैं तुझे मार ड़ालूँगी !

निखिल कहता खबरदार घमंडी  लड़की ,तूने मेरी सुमन को हाथ भी लगाया तो ! तुझे तो कोई लड़का प्यार नहीं करेगा ! तू किसी के प्यार के लायक नहीं ! दूर हो जा मेरी नजरों के सामने से ! इतना प्यार किया तुझे तू मुझे ही धोखा देती रही ! मैं जा रहा हूँ अपनी सुमन  को लेकर ! खबरदार मेरा पीछा किया तो !

प्रिया ने निखिल का हाथ पकड़ा ! रुक जाओ निखिल मैं मर जाऊंगी तुम्हारे बिना !

निखिल सुमन का हाथ पकड़कर जाने लगा ! सुमन कहती निखिल ऐसे हाल में प्रिया को छोड़ना ठीक नहीं ! चाहे जैसी हो वो मेरी दोस्त रही हैं ! सुमन ने प्रिया को गले लगाया ! और उसे उसके घर छोड़कर आयी !

सुमन और निखिल ने आई ए एस का मेंस दिया ! दोनो सफल हो गए ! साक्षात्कार में भी पास हो गए ! और दोनों ने विवाह कर लिया ! और आज दोनों के दो प्यारे से बच्चे हैं !

आप सोच रहे होंगे प्रिया का क्या हुआ – प्रिया का अहंकार फिर भी कम नहीं हुआ ! उसके दो विवाह हुए दोनों में असफल रही ! और अंत में खाने के लिए भी मोहताज हो गयी और केंसर से उसकी मृत्यु हो गयी !

ये मेरे ही परिवार में घटित हुई एक सच्ची घटना हैं दोस्तों ! नाम काल्पनिक हैं ! कहते हैं घमंड तो बलशाली रावण का भी नहीं रहा तो इंसान क्या  चीज हैं ! ज्यादा उड़ोगे तो गिरोगे जरूर !  कहते हैं –

जलती लकड़ी देखकर मन में आया विचार,

तन की होनी यही गति फिर कैसा अहंकार !

स्वरचित

मौलिक

मीनाक्षी सिंह

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