अब से बहू की शिकायत ना बाबा ना…- रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज सुबह से मानसी का मन कर रहा था माँ से बात कर लूँ….. कब से कह रही थी पोते पोती से मिलने का मन कर रहा है..इतने दिनों बाद भाई भाभी के पास गई है तो मैं भी हर दिन फ़ोन नहीं करना चाहती ….पता नहीं भाभी ये ना सोच बैठे माँ उससे उनकी शिकायत कर रही है… 

फिर भी आज बहुत मन कर रहा बात करने का सोचते हुए मानसी ने माँ को फ़ोन लगा दिया ।

“कैसी हो माँ….भाई भाभी और बच्चे सब ठीक तो है ना..इतने दिनों से तुम्हारा मन था पोते पोती के साथ वक़्त गुजारने का अब जितनी मर्ज़ी उनके साथ रहो और खुश रहना।”  मानसी  ने अपनी माँ से कहा 

“ हाँ बेटा अभी तो आए पाँच ही दिन ही हुए है यहाँ …नया शहर है ना तो बहू  रिद्धि के लिए भी सब नया नया ही है यहाँ पर….बच्चे दिन भर घर में उधम मचाते रहते हैं….अभी तो घर भी पूरा सेट नहीं हुआ है …अब आ गई हूँ तो बहू और मैं मिलकर सब कर लेंगे…तेरा भाई तो बस ऑफिस में ही परेशान रहता है….अच्छा सुन फोन रख वो कुहू रो रही है, देखूँ क्या हुआ?” कहकर मनोरमा जी ने फोन रख दिया

मानसी  के दो भाई हैं। उसकी माँ बारी बारी से दोनों बेटों के साथ रहती हैं क्योंकि दोनों ही नौकरी करते हैं और अलग अलग शहरों में रहते हैं। बहुत दिनों से उसकी माँ छोटे भाई के पास ही दो साल से रह रही थी। 

कुछ समय पहले ही बड़े बेटे का स्थानांतरण मुम्बई हो गया,तब उसने माँ को भी अपने पास बुला लिया था। 

अभी सास बहू मिल कर घर सेट करने में व्यस्त रहती ,बीच बीच में पाँच साल के कुश और दो साल की कुहू का भी ध्यान रखना पड़ता था।

मानसी जब भी माँ से बात करती तो वो माँ की एक आदत से हमेशा परेशान रहती।माँ यूँ तो अपनी दोनों बहुओं को मानती खूब है पर गलती पर जब डाँट लगा देती और बहु मुँह बना लेती तो फिर उसकी शिकायत करते हुए चुप ना होती।

कभी कभी जब वो दोनों बहुओं की तुलना करने लगती तो मानसी  बहुत गुस्सा हो जाती ।

वो हमेशा कहती,‘‘ माँ तुम भी ना कमाल हो, जिसके  पास रहोगी उसकी बुराई देख कर शिकायत करती हो और दूसरे की तारीफ करती रहती हो, इसका मतलब तुम्हारी दोनों बहुएँ या तो अच्छी ही है या खराब…तुम खुद ही सोच लो क्या है….बेकार इन बातों में पड़ती हो.. अरे तुम्हारा ख्याल रखती हैं ….मान करती है …यही बहुत बड़ी बात है….सोचो तुम मुझे बोल रही हो सुन लेगी तो क्या सोचेगी? माँ बेटी से शिकायत करती रहती है.. नही माँ मुझे तुम्हारी बात ही नहीं सुननी  कहकर अक्सर मानसी  फोन काट देती थी।

एक दिन मनोरमा जी रिद्धि को चाय बनाने बोली वो बहुत देर तक बना कर नहीं लाई ….अब तो मनोरमा जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।

वो रिद्धि से बोली,‘‘ देखो रिद्धि मैं तुम लोगों का काम करने यहाँ नहीं आई हूं.. माँ हूँ जितना होता है उतना मदद कर रही हूँ… इसका मतलब ये तो नही कि तुम मुझे चाय भी बना कर नहीं दे सकती हो….या वो भी मैं ही बना कर पीऊँ…..मैं खाना मन से बना लेती हूँ उसको लिए मैं खुद ही तैयार रहती हूँ ….पर एक चाय ही है जिसके लिए तुमसे बोलती हूँ क्या वो भी तुम नही दे सकतीं हो…क्या करती ही हो मेरे लिए? मेरे पैर में दर्द हो तो कौन सा दबा देती हो?”मनोरमा जी ना जाने आज कौन सी धुन में थी जो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

तभी छोटी बहू का फोन आ गया,फिर क्या था वो लगी उसको भी सुनाने…।

जब रिद्धि को कुछ समझ नही आया तो लगा एक मानसी ही है जो मम्मी जी को चुप करा सकती उसने अपने फोन से मानसी को फोन कर दिया।

‘‘ मानसी जी, आज मम्मी जी बहुत गुस्से में है, चुप ही नहीं हो रही मैं कुहू को सुला रही थी ….जब मम्मी जी चाय के लिए बोली वो मुझे बंद कमरे में सुनाई नही दिया और बस वो बोल रही क्या करती हो मेरे लिए?? प्लीज़ आप उनसे बात करिए और शांत करवाइए उनके कहीं वो ग़ुस्से में तबियत ना बिगाड़ ले।‘‘

मानसी ने माँ को फोन किया। वो तो अभी भी गुस्से में ही उबल रही थी।

‘‘ कैसी हो माँ? इतना सांस क्यों चढ़ा रखी हो? कुछ काम कर रही थी क्या?’’ मानसी अंजान बनकर पूछी

‘‘ वो  रिद्धि .. ’’कह कर कुछ देर चुप हो गई और फिर सारी बात बता दी।‘

‘‘ माँ क्या मिला गुस्सा कर के? भाभी कुहू को सुला रही थी, एसी में कमरा बंद था … वो तुम्हारी आवाज़ सुन नहीं पाई….इसके लिए इतना गुस्सा?” मानसी ने पूछा 

‘‘ वो मेरे लिए करती ही क्या है? मैं ही दिन भर रसोई और बच्चों में उसकी मदद करती रहती हूँ….वो मुझे एक कप चाय नहीं पिला सकती ?” मनोरमा जी बोलने लगी

“ किसने बोला नहीं पिला सकती …वो नहीं सुन पाई इसलिए तुमने इतना सुना दिया..माँ भाभी तुम्हारी ही बहु है , उसको जितना प्यार स्नेह  दोगी वो भी तुमको देंगी….मन में ऐसी छोटी छोटी बातों से कड़वाहट घोल कर तुम अपना रिश्ता क्यों खराब करती हो? मुझे समझाती हो सास का ध्यान रखना तो वो भी तुमसे स्नेह रखेंगी….तुम जो भी समझाती हो मैं करती भी हूँ….कभी कभी मेरी सास भी गुस्सा करती है पर वो ऐसे नही कि मुझे कुछ भी सुना दें,सोचो कल को अगर वो मुझे तुम्हारी तरह सुनाने लगी तो?‘‘ कहकर मानसी  माँ के जवाब का इंतजार करने लगी

‘‘ हम्म समझ रही हूँ…. तुम मेरी बेटी नहीं हो इसलिए भाभियों की तरफदारी करती रहती हो।‘‘ कहकर मनोरमा जी चुप हो गई

‘‘ माँ ऐसा कुछ नही है, बस मैं चाहती हूं मेरी माँ सास बहू के रिश्ते को समाज की दूषित मानसिकता में ना जकड़ कर प्यार और अपनेपन से सींचे ….कहते हैं ना जो बोएगा वही काटेगा ….तुम बहुओं के साथ प्यार बो माँ ….तभी तुम्हें भी प्यार सम्मान मिलेगा….वैसे भी मैं तो हमेशा कहती हूँ तुम जिस भी बहु के साथ रहो तुलना मत किया करो….सबका अपना व्यवहार होता किसी से भी दूसरे के जैसी उम्मीद करोगी तो अपने लिए ही मुसीबत मोल लोगी….दोनों बहुओं को अपने व्यवहार के साथ निखरने दो…अपना भी रिश्ता मधुर रखो और मेरा रिश्ता भी मधुर रहने दो, नही तो कल को दोनो  भाभियों की नजरों में ननद ही खराब बन जाएगी जो मुझे नही बनना…इसलिए अपना बहु पुराण मुझे तो कभी अब तुम सुनाना नही।‘‘ मानसी आज माँ को समझाने के मंशा से बोल रही थी

‘‘ बेटा कह तो तुम ठीक रही हो पर रिद्धि की कुछ आदतें मुझे पसंद नही आती क्या करूं।’’ मनोरमा जी ने कहा

‘‘ तुम्हारी भी कुछ आदतें उसे पसंद नही होगी पर वो बोली है क्या कभी….उसकी छोड़ो हम तीनों बच्चों की कितनी आदतों से तुम परेशान हो जाती थी तो क्या ऐसे व्यवहार करती थी? …नही ना बस वैसे ही बहु को अपना समझो….तुम भी बहू बन कर आई थी जो तकलीफ़ तुमने सही बहू को क्यों सहने देना….सोच बदलो माँ!!! ‘‘मानसी माँ से बोली 

‘‘ अच्छा बाबा आगे से ध्यान रखूंगी पर वो…।’’ मनोरमा जी कुछ बोलने ही वाली थी कि मानसी ने कहा ,”नो मोर बहु पुराण प्लीज़…. !”

‘‘ हाँ मेरी माँ !! अब से ध्यान रखूंगी .. जाने सब की बेटियां माँ को कैसे सुन लेती है …. एक मेरी बेटी है जो  बहू पुराण बोल चुप करवा देती… अब से तुमसे बहू की शिकायत करूँ ना बाबा ना… नहीं तो मेरी बेटी …..।”मनोरमा जी थोड़ा ग़ुस्सा दिखाते हुए और कुछ चेहरे पर आई मुस्कान के साथ बोली

 दोस्तों आप सब भी कोई बेटी ,कोई बहू तो कोई सास ही हो.. आपको क्या लगता है मानसी  अपनी माँ को एक बेटी के तौर पर सही सलाह दे रही थी या गलत? 

आप कैसे रिश्ते में रहना पसंद करेंगी? 

कैसी सास बहू और बेटी के रूप को जीना पसंद करेंगी? 

अपने विचार अवश्य बताएं।

आपको मेरी रचना पंसद आये तो कृपया उसे लाइक करे और कमेंट्स करें।

धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

#शिकायत

2 thoughts on “अब से बहू की शिकायत ना बाबा ना…- रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!