आस का बंधन – मीना माहेश्वरी 

आज सोसाइटी में बहुत रौनक थी, झिलमिलाती रोशनी में सजी धजी, सुहागनों के चूड़ियों की खनखनाहट और खिलखिलाती हंसी से पूरा वातावरण संगीतमय हो गया था,,,,,,,,,, आज हरतालिका तीज की पूजा थी, सभी तैयारियां हो गईं थी, गानेबजाने का कार्यक्रम जोर_शोर से चल रहा
था…… फुलेरा की शोभा देखते ही बनती थी,,,, ,,,, देवों के देव महादेव, महाशक्ति मां पार्वती, प्रथम वंदनीय रिध्दी_सिध्दी के दाता गणेश,अपने भ्राता कार्तिकेय के साथ शोभायमान हो रहे थे | पूजा शुरू होने वाली थी,,,,,,,,,,,,, लेकिन सभी की आंखें किसीका इंतजार कर रही थी,,,…………. और वो सोलह सिंगार किए, पूजा का सजा थाल लिए ,अपने दो नन्हें मुन्नो को साथ लेकर आ गई थी, उस का चेहरा अनोखे तेज से चमचमा रहा था, …….. लग रहा था,,,, , साक्षात मां गौरी आई हो,,,,,, ,,
पूजा का कार्यक्रम शुरू हुआ, सभी सुहागनों ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पूजा , आरती की ईश्वर से अपने सुहाग की रक्षा और लंबी उम्र का वरदान मांगा, सब अब अपने _अपने घर जाने को तैयार थे,,,,,,,,,,, “श्वेता”, अब भाई
साहब की तबियत कैसी है? “,,,,,,, होश आ गया उन्हें,,,,,,,नीरू ने पूछा,,,,,,,,,,,,” अभी तो नही आया है, लेकिन आज जरूर आ जाएंगा, मुझे पूरा विश्वास है,” श्वेता ने धीमें से लेकिन दृढ़ता से कहा……… उसकी आवाज में संकल्प, निष्ठा और विश्वास कूट_कूट कर भरा था,,,,,,,,,

श्वेता और रमण इसी सोसाइटी में रहते थे, रमण एक मल्टी नेशनल कंपनी में बड़े ओहदे पर था, उनके पांच और तीन साल के प्यारेप्यारे दो बच्चे थे, बुजुर्ग माता पिता साथ ही रहते थे, रमण और श्वेता दोनों ही बहुत सुलझे हुए और समझदार थे, बच्चों और घर की देखभाल के लिए श्वेता ने अपना जॉब छोड़ कर घर पर रहने का फैसला लिया था, पैसों की कोई कमी नहीं थी,, ,, , ,, ,,, घर में सारी सुख सुविधाएं थी, बड़ी गाड़ी थी,,,,,,,,, श्वेता पूरी जिम्मेदारी से, घर, बच्चों सासससुर का ध्यान रखती, रमण निशचिंत रह कर अपना काम करता, ,,,,,,,,,,,,,,,,,, जिंदगी हंसी खुशी से गुजर रही थी,
श्वेता जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही गुणी और समझदार, सोसाइटी में कोई भी फंक्शन हो, श्वेता बगैर अधूरा,,,,,,,, हर फंक्शन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती, डांस तो इतना सुंदर करती,,,, कि बस देखते रहें,,,,,,,,,,, और उसकी वो प्यारीसी
मुस्कुराहट तो सबका मन मोह लेती, घर में भी सभी लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते,,,,,,,,, सासू मां की तबियत अक्सर ठीक नहीं रहती थी, ससुर जी को भी चलने _फिरने में दिक्कत होती थी,,,,,,,,, लेकिन श्वेता की प्यार भरी देखभाल
से उन्हें बड़ा सुकून मिलता, ,,,,,,,,,, ,, श्वेता डांस और पेंटिंग की हॉबी क्लासेस भी लेती थी, सोसाइटी की सारे ही लोगों से उसकी अच्छी बनती थी, रमण भी हंसमुख और मिलनसार था, जब भी समय सोसाइटी क्लब, जीम, और फंक्शन में जरूर जाता, पति पत्नी दोनों की अच्छी प्रतिष्ठा थी, सभी के दुख सुख में हमेशा शामिल होते, किसी को जरूरत हो कभी पीछे नही हटते,,,,,,,, सब कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था,,,,,,,,,

और एक दिन आफिस से लौटते वक्त रमण का एक्सीडेंट हो गया, “हीट एंड रन” का केस था, श्वेता के पास रमण के मोबाइल से किसी अजनबी का फोन आया,,,, कि इस इस लोकेशन पर इस मोबाइल के मालिक का एक्सीडेंट हो गया है,,,,,,, श्वेता को विशवास नही हो रहा था,,,,,,,,,,, कहीं किसी की बदमाशी तो नही,,,,,,, ,, वो तुरंत सोसाइटी के कुछ लोगों के साथ वहाँ पहुचीं,,,,,,,,,, तब तक पुलिस और एम्बुलेन्स आ चुकी थी, शायद किसी ने खबर कर दी थी,,,,,,,,, गाड़ी का ज्यादा नुकसान नही हुआ था, लेकिन,,,,,,, रमण,,,,, श्वेता के मुहं से आवाज़ नही निकल रही थी,,,,,,,,, रमण के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी,,,,,, श्वेता का दिल बैठा जा रहा था, सब की सहायता से रमण को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, खबर मिलते ही सोसाइटी से अन्य लोग भी पहुंच गए, सब श्वेता को ढाढ़स बंधा रहे थे,,,,,,,

डॉक्टर के मुताबिक रमण को “ब्रेन इनजुरी” हो गयी थी, शरीर के बाकी हिस्सों में मामुली चोटें थी, उसकी हालत बहुत क्रिटिकल थी, अगले पाँच_छः दिनों तक कुछ कहा नहीं जा सकता था,,,,,,,,,,

लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है, नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता, श्वेता ने अपने आप को संभाला, पूरी सोसाइटी के लोग उसका परिवार बन कर उस के साथ खड़े थे, सब एक साथ कह रहे थे, रमण को कुछ नहीं होंगा,,,,,,,,,,

खबर मिलते ही श्वेता के मम्मी ,पापा भाई, भाभी, रमण के भैया, भाभी सब पहुंच गए,,,,,,,,,,,,,, सोसाइटी और घर पर सब अपने अपने तरीके से रमण की सलामती के लिए दूआयें मांग रहे थे पूजा पाठ कर रहे थे,,,,,,,,,,,,,,

श्वेता ने अपने आप को पूरी तरह संभाला हुआ, था, ईश्वर पर पूरी श्रध्दा और आस्था रख कर वो सारी परिस्थितियों से एक कुशल योध्दा की तरह मुस्कुरा कर लड़ रही थी, इसी आस में कि वो जितेंगी, जरूर जितेंगी,,,,,,,,,,,,,,
उसकी सकारात्मक सोच का प्रभाव होता दिखाई दे रहा था, सब का प्यार और दुआएँ अपना काम कर रही थी, श्वेता को पूरा विश्वास था, भोले बाबा और माँ पार्वती आज जरूर कोई चमत्कार करेंगे, इतने सारे लोगों की सामुहिक प्रार्थनाओं के बंधन में बंध कर ईश्वर को इस आस को बनाए रखना होंगा

श्वेता ने तैयार हो कर पूरी श्रध्दा से हरतालिका तीज की पूजा का समापन किया, प्रसाद और जल लेकर अपने अमर सुहाग का आशीर्वाद ले, हॉस्पिटल पहुंची,,,,,,,,,,,,

आज छः दिनों बाद रमण ने आंखें झपकाई, डॉक्टर ने हरी झंडी दिखा दी, रमण ने रिसपांड करना शुरू कर दिया था, सभी का विश्वास अब और भी पक्का हो गया था कि रमण जल्दी ही पूरी तरह स्वस्थ हो कर घर आ जाएंगा ऻ

मीना माहेश्वरी स्वरचित
रीवा मध्यप्रदेश

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