आपकी पत्नी कोई अनूठी या हुरपरी नहीं हैं समझे !! – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

 तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरी पत्नी को धक्का मारा इसिलिए बड़ा किया था क्या तुमको कि तुम एक दिन अपनी ही मां को मारो , तुम्हारी मां से पहले यह मेरी पत्नी हैं समझे आलोक जी ने गुस्से में अपने छोटे बेटे मीतांश से कहा !!

पापा , यह क्या मेरी पत्नी , मेरी पत्नी लगाकर रखा हैं , आपकी पत्नी कोई अनूठी या हूर परी नहीं हैं , जब से आए हैं एक ही रट लगाकर रखी हैं , कि इस घर में हिस्सा नही देंगे , इन पैसों पर तुम्हारा कोई हक नहीं हैं , मैं मेरे घर की अलमारी भी नहीं खोल सकता क्या ?? मां मुझे अलमारी खोलने से रोक रही थी इसलिए मुझे मजबूरी में उन्हें धक्का देना पड़ा , आखिर इस घर पर हमारा भी अधिकार हैं छोटा बेटा मीतांश अपने पिता आलोक जी से बोला !! आलोक जी ने खींचकर एक तमाचा छोटे बेटे के गाल पर जड़ दिया और गुस्से में बोले तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी कल्याणी के साथ ऐसा करने की ?? छोटी बहू सीमा तमक कर बोली पापाजी आपको शर्म नहीं आती अपने शादी – शुदा बेटे पर हाथ उठाते हुए , भूलिए मत अब यह आपके बेटे से ज्यादा मेरे पति हैं , अब इन पर आप दोनों का कोई अधिकार नहीं !! अरे , आपको पता भी हैं आज यह कितने बड़े आदमी हैं ?? आप जैसे कितने लोग इनके पैरों में गिड़गिड़ाकर भीख मांगते हैं , तो आपकी क्या औकात हैं तभी एक झन्नाटेदार तमाचा बहू के गाल पर पड़ा , कल्याणी जी ने जिंदगी में पहली बार किसी पर हाथ उठाया था !! अपनी पत्नी का साहस देखकर आलोक जी की आंखों में चमक आ गई !! कल्याणी जी गुस्से में बोली खबरदार बहू , अगर मेरे पति का अपमान करने की कोशिश भी की तो और जब हमारा तुम लोगों पर अधिकार ही नहीं रहा तो किस मुंह से अपना हक मांगने चले आए हो , नहीं दूंगी तुम्हें एक फूटी कौडी भी , अब जाओ सड़क पर भीख मांगो !!

मां का ऐसा रूप देखकर चारों बेटे – बहू सन्न से खड़े रह गए !!

कल्याणी जी बड़ी बहू से बोली क्या कह रही थी तुम बहू ऐसा करो आज तुम अपने भाई को बुला ही लो !!

खैर छोड़ो , तुम तकलीफ क्यों लेती हो ?? यह काम भी मैं ही कर देती हूं तभी आलोक जी के दोस्त का बेटा अजय वहां एक पेपर लेकर पहुंचा और साथ में दो पुलिस वाले भी थे !! पुलिस को सामने देख कर बड़ी बहू नेहा की आंखें फटी की फटी रह गई !,उसे तो दिन में भी चांद – तारे नजर आने लगे थे क्योंकि पुलिस की वर्दी में कोई ओर नहीं बल्कि उसका बड़ा भाई राजेश था !! भाई को हित में करने के लिए बडी बहू भाई को गले लगाने आगे बढ़ी तो राजेश दूर से ही हाथ का इशारा करते हुए बोला इस वक्त में ड्यूटी पर हुं , ना यहां कोई किसी का भाई हैं और ना बहन !!

अपने भाई की रौबदार आवाज से बड़ी बहू नेहा एक किनारे खड़ी हो गई !! आलोक बाबू ने वह पेपर वकील से लिया और बेटे – बहू की तरफ पकड़ा दिया , जिसे देखकर बेटे – बहू के पैरो तले जमीन खिसक गई !! चारो बेटे – बहु बस आलोक जी के चेहरे को निखारने लगे !! आलोक जी अजय और राजेश के साथ सामने वाले कमरे में चले गए और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया , चारो बेटे – बहू सोफे पर धम्म से बैठ गए और आने वाले तूफान से थर – थर कांपने लगे , जिसका अंदाजा उन्हें पहले से ही लग गया था और उस दिन को कोसने लगे जब उन्होने पिछली बार यहां आने की खबर अपने पिता को दी थी !!

कहां हो भाग्यवान ?? अभय और मीतांश का फोन आया था , वे लोग यहां गांव आने के लिए ट्रेन में बैठ गए हैं !!

दूसरे दिन कल्याणी जी  रह – रहकर घड़ी देखती और पति आलोक जी से पूछती – फोन करके पूछो तो सही दोनों बेटे और बहूएँ कहां तक पहुंचे ?? अब तक आए नहीं !! आलोक जी बोले – अरे भाग्यवान , सब्र करो आ जाएंगे !! तुम दो घड़ी चैन से बैठ जाओ अब , सुबह से तरह – तरह के पकवान बनाए जा रही हो !! कल्याणी जी बोली सबकी पसंद का खाना बनाया हैं आज , देखना खाना खाते ही खुश हो जाएंगे सब !! पूरे दो साल बाद देखूंगी आज सबको ………. आंखे तरस गई हैं अभय और मीतांश को देखने !! आलोक जी बोले कल्याणी दोनों का काम ही ऐसा हैं , सुबह नौ से शाम सात बजे की ड्यूटी ऑफिस मे बजानी ही पड़ती हैं। कैसे समय दे पाएंगें हमको ? इसलिए तो दो साल बाद आ रहे हैं !! कल्याणी जी बोली फोन पर कह रहे थे दोनों इस बार हमें भी अपने साथ शहर ले जाएंगे , वैसे भी अब अकेले नहीं रहा जाता , घर काटने को दौड़ता हैं !!

आलोक जी और कल्याणी जी के दोनों बेटे अभय और मीतांश शहर में नौकरी करते थे !! दोनों की पत्नियां नेहा और सीमा भी शहर में उन्हीं के साथ रहती थी !! आज पूरे दो साल बाद दोनों बेटे और बहुएँ अपने गांव आ रहे थे, जिनका बेसब्री से आलोक जी और कल्याणी जी इंतजार कर रहे थे !! कल्याणी जी बोली सुनिए , मैंने तो हम दोनों के कपड़े भी बैग में भरकर रखे हैं। क्योंकि अभय कह रहा था कि वे लोग सिर्फ यहां दो दिन ही रुकेंगे !!

आलोक जी बोले तुम भी हद करती हो भाग्यवान !! बेटे – बहू से पूछे बिना तुमने पैंकिंग भी कर ली !!

कल्याणी जी बोली आप तो रहने ही दिजिए , आपसे तो बात करना ही बेकार हैं , हमेशा उल्टा ही बोलते हो !!

जब एक बार वे लोग कह चुके हैं कि इस बार हमें साथ शहर ले जाएंगे तो बार – बार उस बात को क्या दोहराना ??

उतने में गाड़ी के हॉर्न की आवाज बज उठती हैं !! कल्याणी जी और आलोक जी खुश होकर बाहर बेटे- बहू के स्वागत के लिए जाते हैं !! आलोक जी और कल्याणी जी को देखकर बेटे बहू उनके पांव तक नहीं छूते हैं !! कल्याणी जी मन ही मन सोचती है बेचारे बहुत थक गए होंगे इसलिए पाँव छूना तक भूल गए !! चारों अंदर आकर फ्रेश होते हैं और फिर खाना खाने बैठते हैं !! छोटा बेटा मीतांश खाना खाते-खाते बोला वाह मां तुम्हारे हाथों में आज भी वही स्वाद है जो सालों पहले हुआ करता था !! कुछ भी कहो मां, सीमा तुम्हारे जैसा खाना कभी नहीं बना सकती !! सीमा एक पल गुस्से से मीतांश को देखती है

और सभी हंस पड़ते हैं !! थोड़ी देर सभी लोग बातें करते हैं और फिर बाद में बेटे बहू अपने अपने कमरे में आराम करने चले जाते हैं !! शाम को कल्याणी जी सभी के लिए चाय बना कर लाती हैं। तभी अभय, मीतांश से कहता है मीतांश परसो शाम की टिकट बनवा देता हूं हम चारों के वापस जाने की !! मीतांश भी सहमति दे देता है !! कल्याणी जी बोली बेटा इस बार तो तुम मुझे और तुम्हारे पापा को भी साथ ले जाने वाले थे ना ………. इतने में अभय की पत्नी नेहा बोली मम्मी जी अभी तो हमने नया फ्लैट लिया है , अभी तो फ्लैट में काम कराना भी बाकी है !! कल्याणी जी बोली अरे कोई बात नहीं इतने दिन हम मीतांश के घर रह लेंगे !

! मीतांश की पत्नी सीमा बोली मम्मी जी आप तो जानती हैं मैं और मीतांश सुबह ऑफिस के लिए निकल जाते हैं और फिर देर रात घर आते हैं। अभी हमारी इतनी इनकम नहीं है कि हम कुक और मेड लगा सकें , मेरे घर में तो राशन का भी सामान जमा नहीं रहता है। और ऐसे में आप बूढ़े लोगों के खाने- पीने का ध्यान मैं नहीं रख पाऊंगी !! हम दोनों तो कुछ भी खाकर गुजारा कर लेते हैं मगर आप लोगों को तो कुछ भी नहीं खिला सकते ना !! अभय और मीतांश ने भी अपनी पत्नियों की बात में सहमति दिखाई और बोले – मम्मी जी पापा जी, अभी हम लोग खुद ही वहां सेट नहीं हुए हैं एसे में आप लोगों को वहां ले जाकर कोई मतलब नहीं है !! यह सब सुनकर कल्याणी जी तो रोने ही लग गई और बोली बेटा, तुम लोगों के बिना मेरा यहां दिल ही नहीं लगता है , खाली घर मुझे काटने को दौड़ता हैं !! हम दोनों बुड्ढे तो बस तुम लोगो के साथ रहना चाहते हैं !!

अभी तो शरीर में इतनी ताकत है कि मैं घर का सारा काम भी कर सकती हूं !! उनकी बात सुनकर बेटे बहुओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी !! नेहा अपने कमरे में जाकर अभय से बोली तुम्हारी मां तो पीछे ही पड़ गई है शहर आने के लिए… मगर मैं कह देती हूं मुझसे इनकी सेवा चाकरी नहीं होगी !! तुम तो जानते हो वहां अकेले हमारी कितनी अच्छी लाइफ है !! अभय बोला हां तो मैं भी कौन सा उन्हें अपने साथ शहर लेकर जा रहा हूं ? दूसरी और सीमा भी मीतांश से बोली यह दोनों गांव में रहे वही अच्छा है!! वरना वहां आकर हमारी जिंदगी में इंटरफेयर करने लगेंगे !! मीतांश बोला डोंट वरी यार !! हम दोनों के इतने सारे शौक हैं कि हमसे हमारा ही खर्चा उठ जाए वही बड़ी बात है। इन दोनों को वहां लेके जाकर मुझे अपना खर्चा नहीं बढ़ाना !! दरअसल बेटे बहू उन लोगों को अपने साथ शहर ले ही नहीं जाना चाहते थे

, अपनी आजादी भरी जिंदगी में वे लोग कोई खलल नहीं चाहते थे !! जब चाहे मर्जी से पार्टी करना , बाहर घूमने जाना , रात को देरी से घर आना यह सारे शौक वे लोग शहर में आराम से कर रहे थे। मगर मां पिताजी को यही बताते कि वे लोग अभी सेट नहीं है ताकि कहीं उन्हें मां पिताजी को शहर ना ले जाना पड़ जाए !! दो दिन बाद बेटे और बहुओं के शहर वापस जाने का समय आ गया… कल्याणी जी की तो आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे !! वे फिर से एक बार बोली मैंने तो हम दोनों के कपड़ों का बैग भी तैयार कर रखा था !! अभय मां की बात को काटते हुए बोला – मां अब हमें जाने दो , यह क्या जाते वक्त रोना-धोना लगा कर रखा हैं ?? पीछे पीछे राहुल भी बोला हां मां आप लोग शांति से यहां रहो… वैसे भी शहरी जीवन आप लोगो के लायक नहीं है कह कर वे लोग स्टेशन जाने गाड़ी में बैठ गए !! आलोक जी तो सब कुछ समझ चुके थे मगर नहीं समझी तो वह कल्याणी जी थी !! थोड़ी ही देर में बोली सुनिए घर बिल्कुल खाली खाली लग रहा है , बेटे बहुओं के बिना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है और फिर से जोर-जोर से रो पड़ी !!

आलोक जी कहना चाहते थे कल्याणी अब तेरे बेटे बदल चुके हैं , वे हम दोनों बुढ़ो को अपने साथ नहीं रखना चाहते… मगर कल्याणी  जी को लगातार रोते देख वे कुछ नहीं बोले !! अब कल्याणी जी खोई खोई सी रहने लगी , खाना भी ढंग से नहीं खाती थी , उनके चेहरे की झुर्रियां और अधिक गहरी हो चुकी थी !! आलोक जी कल्याणी जी को बहुत समझाने का प्रयत्न भी करते मगर कल्याणी जी की आंखों पर तो बेटे बहू के मोह की अंधी पट्टी चढ़ी हुई थी !! इसलिए कल्याणी जी अब बीमार रहने लगी थी ….. एक रोज कल्याणी जी अपने बरामदे में बैठी हुई थी कि उन्हें बाहर से आवाज आई साड़ियां ले लो साड़ियां !! कल्याणी जी ने नजर उठाकर देखा तो एक वृद्ध महिला करीबन सत्तर साल की होंगी वह साड़ियां बेच रही थी !! उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट लगातार दिख रही थी !! उसे देखकर मानो ऐसा लग रहा था जैसे वह अपनी जिंदगी से बहुत खुश हो !!

कल्याणी जी ने उसे बुलाया और साड़ियां देखने लगी …… कल्याणी जी बोली आप इस उम्र में भी घर-घर जाकर साड़ियां क्यों बेच रही है ?? क्या आपका कोई नहीं इस दुनिया में ?? वृद्ध महिला पहले तो हंसी फिर बोली बहन मेरे चार चार बेटे हैं जो शहर में रहते हैं !! अपना पेट पालकर उन्हें पढ़ाया – लिखाया ,शहर में नौकरी लगते ही उनकी शादियां भी करवाई। मगर अब चारों में से किसी के घर में मेरे लिए कोई जगह नहीं !! पति का साथ भी जवानी में ही छूट गया था !! ऐसे नालायक बेटो पर आश्रित रहने से बेहतर मैंने छोटा ही सही मगर अपना व्यवसाय शुरू किया !! घर – घर साड़ियां बेचने जाती हुं , उससे मेरा खर्चा भी निकल जाता हैं और चार लोगों से मिलकर थोड़ा हंस – बोल लेती हुं तो दिल को भी सुकुन मिल जाता हैं !! कल्याणी जी को इस वृद्ध महिला की बात सीधे दिल पर लग गई , वह सोचने लगी दोनों बेटो और बहुओं ने वापस शहर जाकर मुझे फोन तक नहीं किया। जबकि वे लोग मुझे यहां देखकर गए थे कि मेरा उन लोगों के जाने के कारण रो – रोकर बुरा हाल हैं !! मुझसे तो यह वृद्ध महिला बेहतर है जो बेटो को भूलाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं !!

बस उसी क्षण कल्याणी जी ने भी कठोर फैसला लिया कि वह ऐसे बेटे – बहू के लिए आंसू नहीं बहाएगी जिन्हें उनकी बिल्कुल भी चिंता नहीं हैं !! आलोक जी घर लौटे तो देखा कल्याणी जी ने आज उनकी मनपसंद का खाना बनाया था और वे बोली आप मुझे कट पीस के टुकडे लाकर देंगे , मैं अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहती हुं !! सिलाई – कढ़ाई में तो कल्याणी जी बचपन से निपुण थी !! आलोक जी को कल्याणी जी को खुश देखकर बहुत खुशी हुई और वे बोले कल्याणी तुममें यह बदलाव कैसे आया ?? कल्याणी जी ने उस वृद्ध महिला से मिली सीख रामचरण जी को बतलाई। तब आलोक जी बोले कल्याणी मैं तो यह बात पहले ही समझ चुका था जो बात तुम्हें देरी से समझ आई। क्यूंकि तुम बेटे- बहू के मोह में अंधी हो चुकी थी खैर देर आए दुरुस्त आए कहकर वे कल्याणी जी के लिए कट पीस के टुकड़े लाने चले गए !! यहां कल्याणी जी ने सिलाई – कढ़ाई कर अपने हुनर को अपना हथियार बना लिया और धीरे – धीरे उनका व्यापार जोरों में चलने लगा !! कल्याणी जी अब अपने व्यापार में इतनी व्यस्त हो गई थी कि उन्हें बेटे – बहुओं को याद करने का भी समय नहीं था !!

वहां शहर में अभय – मीतांश और उनकी पत्नियां आज मिले तो मीतांश बड़े भाई अभय से बोला भैया रोज यह नौ से सात की नौकरी करके थक गया हुं और महिने की वही नार्मल सैलेरी जिससे अब गुजारा भी नहीं होता !! अभय बोला मीतांश तुने तो मेरे मुंह की बात छिन ली… मेरा भी कुछ यही हाल हैं !! मै भी यही सोच रहा था क्यूं ना हम दोनों मिलकर कोई व्यवसाय करें…. जिससे आमदनी बढ सके मगर व्यवसाय करने ज्यादा पैसे चाहिए होंगे वह कहां से लाए ?? मीतांश की पत्नी सीमा बोली अरे गांव में आपके मां – पिताजी इतने बड़े घर में रह रहे हैं वह घर कब काम आएगा ?? उस घर को बेच देते हैं , उससे जो पैसा आएगा उससे आप लोग नया व्यवसाय शुरू कर सकते हो !! अभय और मीतांश को भी यह तरकीब सही लगी , वे सभी लोग गांव पहुंचते हैं !! गांव जाकर जब अपनी मां का नया व्यवसाय देखा तो चारों को बहुत आश्चर्य हुआ !!

अभय की पत्नी नेहा बोली जब हम लोग यहां से गए तो बुढ़िया ऐसे रो रही थी जैसे हमारे बिना मर ही जाएगी और यहां देखो तो अपना नया कारोबार कैसे जमाकर बैठी हैं ?? सीमा बोली , चलो बुढिया के पैरो में गिर जाते हैं शायद बुढिया हमें माफ कर दे !! कल्याणी जी पीछे से अपनी बहुओं की बातें सुन कर बोली इसकी कोई जरूरत नहीं और तुम लोग चिंता मत करो ,अब तुम्हारे साथ शहर आने वापस रोऊंगी नहीं… शायद उस वक्त मैं तुम लोगों से कभी दूर नहीं होना चाहती थी इसलिए तुम्हारे सामने गिड़गिड़ा रही थी, मगर तुम लोगों ने मुझे उस अवस्था में छोड़कर जिंदगी का नया पाठ सिखा दिया !!

अभय और मीतांश बोले मां दरहसल हम अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते थे जिसके लिए पैसों की जरूरत हैं अगर आप …… कल्याणी जी बीच में ही बात काटकर बोली आज वापस दो साल बाद तुम लोग गांव आए हो… बीच में तुम लोगों को हमसे फोन पर तक बात करने का समय नहीं मगर आज पैसे मांगने मुंह उठाकर चले आए !! तुम जैसे नालायक बेटो की हमें कोई जरूरत नहीं !! तुम लोग जैसे आए हो वैसे ही वापस चले जाओ !! मेरे पास तुम्हें देने के लिए अब ना तो घर है ना पैसे हैं और ना ही मां की ममता हैं !! आलोक जी बोले कल्याणी बिल्कुल सही कह रही है !! तुम लोग वापस यहां से चले जाओ , हम समझेंगे कि हमारे कभी बेटे थे ही नहीं !!

उतने में आलोक जी को उनका नौकर चंदू पुकारता हैं !!

बड़ा बेटा अभय मां कल्याणी जी से बोला क्या कहा चले जाएं , ऐसे कैसे चले जाए मम्मी ?? इस घर पर हमारा भी अधिकार हैं , इस घर में हम हमारा हिस्सा लेकर ही रहेंगे !! अभय की पत्नी नेहा बोली बिल्कुल सही कह रहे हैं आप , अभी मेरे भाई राजेश को बुलाती हुं और इन बुढ़ो पर घरेलू हिंसा का इल्जाम लगा देती हुं , फिर देखती हुं कैसे हमें घर में से हिस्सा नहीं देते यह लोग !!

छोटा बेटा मीतांश जबरन अलमारी की चाबी लेकर अलमारी खोलने का प्रयास करता हैं उतने में कल्याणी जी आकर उसके हाथ से चाबियों का गुच्छा खींचती हैं और मीतांश उनको धक्का दे देता हैं !!

आलोक जी यह देखकर तमतमा उठते हैं और मीतांश को एक थप्पड जड़ देते हैं !!

आलोक जी और कल्याणी पहले ही वकील अजय और राजेश को सब बता चुके थे इसलिए उन्होने उन दोनों को बुला लिया !! अजय ने जो पेपर बेटे – बहुओं को पकड़ाया था उसमें साफ लिखा था कि जो बेटे – बहुएं माता- पिता की सेवा नहीं करते , उनका माता – पिता की प्रापर्टी पर भी कोई अधिकार नहीं हैं !!

थोड़ी देर में दरवाजा खुला और आलोक जी , अजय और rराजेश बाहर आए !! नेहा का भाई राजेश बोला अगली दफा तुम चारों में से किसी ने भी आलोक जी और कल्याणी जी को परेशान करने की कोशिश की तो तुम चारो को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और नेहा तुम , वहां मायके में भी अपनी भाभी को परेशान करती थी जिस वजह से मम्मी – पापा ने तुम्हारी शादी जल्दी करवा दी थी और अब यहां ससुराल में अपने सास – ससुर की भी सेवा नहीं हुई तुमसे , सुधर जाओ अब तो , वर्ना ससुराल तो ससुराल मायके से भी हाथ धोना पड़ेगा तुम्हें !! अभय , मीतांश और इनकी पत्नियां आलोक जी और कल्याणी से माफी मांगते हैं मगर आलोक जी और कल्याणी जी उन्हें माफ नहीं करते हैं और सभी बेटे – बहू इतना सा मुंह लेकर वापस शहर चले जाते हैं !!

दोस्तों , माता – पिता अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करते हैं मगर वही बच्चे बड़े होकर माता – पिता की प्रोपर्टी और पैसों से तो प्रेम करते हैं मगर अपने माता – पिता से नहीं… आखिर क्या माता – पिता का प्रेम उनके लिए कोई मायने नहीं रखता हैं !! जो माता – पिता अपने दोनों बेटो को पालकर एक साथ बड़ा करते हैं, क्यूं बडे होकर वही बेटे दोनों के अलग – अलग घर में भी अपने माता – पिता को नहीं पाल पाते !! आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताइएगा !!

आपकी सखी

स्वाती जैंन

#बुढ़ापा

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