Monday, May 29, 2023
Homeकुसुम पाण्डेयआपबीती - कुसुम पाण्डेय

आपबीती – कुसुम पाण्डेय

आज मैं जो कुछ भी आप सभी से कहने जा रही हूं इसके लिए शायद मुझे फिर उन्हीं सब से गुजरना होगा जो मेरे ऊपर बीती है,, मेरा डेली का रूटीन है मैं सुबह 4:00 बजे उठती हूं और फिर 8 किलोमीटर रनिंग करने के बाद योगा क्लास लेती हूं, रोजाना की तरह मैं सुबह 4:30 बजे रनिंग कर रही थी, मैं अपने ही धुन में दौड़ी चली जा रही थी, तभी मुझे लगा शायद मेरे पीछे कोई आ रहा है पीछे मुड़कर देखा तो कोई इस 30 या 32साल का लड़का मेरा पीछा कर रहा था।।

मैंने सोचा शायद वह अपनी गाड़ी से जा रहा है,, पर मेरा सोचना गलत था उसने अपनी मोटरसाइकिल मेरे पास से निकाली और कुछ ऐसे अपशब्द कहे कि शायद मैं यहां पर कह भी ना पाऊं,, उस समय अंतर मन में आग सी लग गई ,अपने आप से ऐसे लगने लगा जैसे मेरी आत्मा को किसी ने गंदा कर दिया हो,, पर फिर मैंने उसे अनदेखा करके आगे दौड़ना स्टार्ट किया ,पर वह दुष्ट फिर भी मेरे पीछे-पीछे आ रहा था,, उसने कुछ अपशब्द फिर कहे तो मैंने उसे पुलिस की धमकी दी और कहा कि अभी मैं सौ नंबर डायल करती हूं पर वह नीच फिर भी नहीं माना और पीछे पीछे आता रहा,,

उस समय मेरा दिमाग कुछ भी सोचने समझने की शक्ति शायद खो चुका था इतनी गुस्सा आ रही थी कि मैं क्या बताऊं ,,मैंने सोचा अगर मैंने अपना रास्ता रोक दिया या मैं वापस चली गई, तो यह सोचेगा कि मैं डर गई

मैं लगभग अपना दौड़ पूरा कर चुकी थी और योगा क्लास लगभग 1 किलोमीटर ही बचा था ,,मुझे लगा मैं दौड़कर शायद अपनी योगा क्लास पहुंच जाऊं,,


मैंने जब उसे दो चार बातें सुनाई तो वह कुछ पल के लिए गायब हो गया ,,यही सबसे बड़ा मौका था मेरे आगे बढ़ने का।

रास्ते में एक तिराहा पड़ता है मेरी योगा क्लास बीच में रास्ते से जाती है ,उसने सोचा कि मैं दूसरे साइड से गई हूं

और वह दूसरे रास्ते से चला गया मैं किसी तरह अपने योगा क्लास पहुंच गई ,,और वहां की महिला मित्रों से मैंने कहा कि आज बहुत ही बड़ा हादसा होते-होते रह गया और मुझे बहुत ही गुस्सा आ रही है।।

मेरी सभी सहेलियों ने मेरा साथ दिया और उन्होंने कहा चल कर देखते हैं कि कौन था वह और पीछा कर रहा था

इत्तेफाक से वह मोड़ पर ही मिल गया और मेरी सहेलियों ने उसे बहुत ही गालियां दी,, तो डर के मारे वह अपनी मोटरसाइकिल भगा कर चले गया।

हम लोगों ने गाड़ी का नंबर भी नोट कर लिया,, उसके बाद मैं क्या कहूं मेरा योगा सिखाने में भी बिल्कुल भी मन नहीं लगा ,,और मैं क्लास आधे में ही छोड़कर घर आ गई ।घर आकर दिनभर इतना बुरा लग रहा था कि मैं उस व्यथा को बता नहीं सकती, मेरे बेटे ने भी पूछा मम्मा क्या बात है आज बहुत उदास हो कुछ बोल नहीं रहे हो, पर मैं बच्चे से क्या कहती , मैंने कहा कुछ नहीं हुआ और शाम को एक दीदी का फोन आया जो कि योगा सीखने आती है उन्होंने पूछा मैम क्या कंप्लेंट करनी है कि नहीं।।


और उनसे बात करते मेरे बेटे ने सुन लिया और उसने मुझसे जोर देकर पूछा कि मम्मा क्या बात है, तब मैंने उसे सारी कहानी बता दी।।

तब मेरे बेटे ने कहा मम्मा अभी तक आप सवेरे से उदास थी और आपने अभी तक मुझे बताया नहीं ,,आखिर मेरे रहने का क्या फायदा कि मेरी मम्मा को कोई कुछ बोल कर निकल जाए, उस दिन वह रात भर नहीं सोया ,और सुबह से ही उसने मुझे उसी रास्ते पर जाने के लिए कहा और फोन से कनेक्ट रहने के लिए कहा।।

मैंने भी हिम्मत करके उसी रास्ते पर दौड़ना स्टार्ट किया मेरा बेटा फोन द्वारा पूछते जा रहा था कि मां आप कहां पहुंचे,,

और दूसरे दिन आखिरकार वह फिर दिख गया और उसने इस बार अपनी मोटरसाइकिल रोक दी, मेरा बेटा फोन से सारी बातें सुन रहा था ,,और वह पीछे से मोटरसाइकिल लेकर आ गया फिर हम दोनों ने उसकी ऐसी पिटाई की ऐसी पिटाई की ,,कि वह जिंदगी भर याद रखेगा, मेरे बेटे ने उसे घसीटते हुए पुलिस कंट्रोल रूम ले गया,, उस दिन जाकर मुझे लगा कि मेरी आत्मा साफ हो गई है और मैं खुश हूं ,,अब आप यह सोचिए कि जब एक 38 साल की महिला सुरक्षित नहीं है, तो हमारी बहू बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगे ,सरकार की इतने कानून बनाए जाने के बाद भी इन दरिंदों को अकल नहीं आती, जब मुझे उसने अपशब्द कहे तो मेरे ही आत्मा इतनी दुखी हो गई कि, जब इसके बोलने से मुझे इतना गंदा लग रहा है  तो जिसके ऊपर बीती होगी उसका क्या हाल होता  होगा मुझे निर्भया वाली कहानी याद आ गई थी,, भगवान से प्रार्थना है कि ऐसे दरिंदों को नर्क में कड़ाही में भूनकर मारे

**कुसुम पाण्डेय**

*स्वरचित*

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is protected !!