मैं आपकी बेटी जैसी हूं – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

आज फिर राधा जी ने ठीक से खाना नहीं खाया तभी उनका उदास चेहरा देखकर उनकी बहू रागिनी बोली मां जी क्या बात है तीन-चार दिन से आप ना ही ठीक से खाना खाती है और बहुत उदास रहती है l अगर तबीयत ठीक नहीं है तो डॉक्टर के पास चलते हैं l

मैं बोली नहीं बेटी ऐसी कोई बात नहीं है मैं बिल्कुल ठीक हूं l

रागिनी उनकी बात से संतुष्ट नहीं हुई परंतु वह अपने काम में व्यस्त हो गई l

उसके दिमाग में चल रहा था की कुछ ना कुछ बात तो अवश्य है सुहानी भी कोई कोई सी रहती है l मैं उसकी बड़ी भाभी हूं वह अपनी परेशानी मुझे बता सकती है l विचारों में कोई रागनी पूरे दिन अपने घर का काम निपटाती रही l

रात को जब है अपने कमरे में जा रही थी तो उसे राधा जी के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी तो वह दरवाजे के पास चुपके से खड़ी हो गई l

सुधा जी अपनी बेटी सुहानी से रोते हुए कह रही थी कि तूने हमारी इज्जत मिट्टी में मिला दी ll हमें मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं छोड़ा l समाज में हमारी बहुत इज्जत है और सभी यहां पहचानते भी हैं तेरे बड़े पापा भी यहीं रहते हैं इसलिए मैं तुझे किसी डॉक्टर के पास भी नहीं ले जा सकती l वह लड़का भी तुझसे शादी नहीं कर रहा है l अब आत्महत्या करने के सिवाय कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा है कहते हुए वह सुहानी की पिटाई भी कर रही थी l सुनकर रागिनी के पैरों तले से जमीन खिसक गई उसे सारी बात समझ में आ गई l

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उनकी बातें सुनकर रागिनी को डर लग रहा था कि आज रात को ही कुछ अनहोनी ना हो जाए l यह सोचकर वह किसी बहाने से अपनी सास से बात करना चाहती थी l

वह किचन में बर्तन गिरा कर बोली की बिल्ली घुस गई है मां जी मुझे बिल्ली से डर लगता है आप जल्दी आए l

आवाज सुनकर राधा जी ने दरवाजा खोला उनका रोता हुआ चेहरा देखकर रागिनी बोली मां की कुछ नहीं है मैं आपसे बात करना चाहती हूं और कमरे के अंदर जाकर बैठ गई और राधा जी को भी अपने पास बिठा लिया l

रागिनी बोली की मां जी आप रो रही हैं मैं आपकी बेटी जैसी हूं और इस घर की बहू भी आपको मेरी कसम है आप सारी सच्चाई मुझे बताइए l आपके बेटे आज देर से घर आएंगे l आप मुझे पूरी बात बताइए शायद मैं आपकी मदद कर सकूं इतना सुनते ही राधा जी फूट-फूट कर रोने लगी l वह बोली बेटी अपनी कसम मत दे मैं तुझे सब सच बताती हूं l

उन्होंने बताया की सुहानी का एक लड़के से अफेयर था और उसने शादी का वादा भी किया था लेकिन अब वह मना कर रहा है l सुहानी 2 महीने की प्रेग्नेंट है l यहां सभी जानते हैं इसलिए कोई डॉक्टर के यहां भी नहीं जा सकती l तुम ही बताओ अब हम क्या करें l

रागिनी ने उन्हें शांत बना देते हुए कहा की मां जी आप चिंता ना करें कानपुर में मेरी बुआ जी डॉक्टर हैं उनके दोनों बेटे विदेश में रहते हैं l सुबह मैं उनसे बात करूंगी l और सुहानी को इस परेशानी से छुटकारा दिलाऊंगी l आप मुझ पर विश्वास रखिए l और आराम से सो जाइए l आपके बेटे का आने का समय हो गया है मैं अपने कमरे में जाती हूं अपना ध्यान रखना और सुहानी का भी l

रागिनी अपनी सास को कमरे में चाय देने गई तभी उसने बताया की मां जी मैं बात कर ली है मैं सुहानी को लेकर कानपुर जाऊंगी l परंतु पहले उसे लड़के से मिलना होगा उसके मोबाइल से सारी सुहानी की सारी डिटेल डिलीट करनी होगी l जिससे आगे जाकर कोई परेशानी ना आए l

कानपुर जाने के लिए आपके बेटे से झूठ बोलना पड़ेगा वह मैं कर लूंगी l फिर उसने सुहानी से कहा कि तुम उसे लड़के से कहो कि मिलना चाहती हो l वह कहां मिलेगा lp

सुहानी और रागिनी जब उससे मिलने पहुंची तो वह साफ मुकर गया बोला मुझे क्या पता है किसका बच्चा है l

रागिनी बोली कि हम चाहे तो तुम्हें पुलिस के हवाले कर सकते हैं लेकिन हम झंझट में नहीं पढ़ना चाहते इसलिए तुम अपने मोबाइल से सुहानी की सारी डिटेल डिलीट कर दो l

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वह बोला इसके लिए मुझे ₹200000 चाहिए l रागिनी ने कहा कि तुम हमें ब्लैकमेल कर रहे हो l

वह बोला की परिवार की इज्जत के लिए इतना तो कर ही सकती हो l

रागिनी ने कहा कि पैसे बहुत ज्यादा है कुछ काम करो बहुत बातचीत करने के बाद वह डेढ़ लाख पर तैयार हो गया l

रागिनी नहीं घर आकर अपने पिता की दी हुई 2 लख रुपए की एचडी निकालकर बैंक गई और उसको कैश कराया l दूसरे दिन डेढ़ लाख रुपए उसे देकर अपने हाथ से मोबाइल से सब डिलीट कर दिया l

रागिनी घर पहुंची तो राधा जी रोते हुए हाथ जोड़कर बोली की बेटी तुम कितना करोगी तुमने अपने पापा के दिए हुए पैसे भी खर्च कर दिए l

रागिनी बोली की मां जी पैसे तो फिर भी कमाई जा सकते हैं लेकिन इज्जत वापस नहीं आती l देवांश के आने का समय भी हो गया था l रागिनी चाय बनाने किचन में चली गई l चाय देकर वह देवांश से बोली कि मेरी बुआ जी का कानपुर से फोन आया था वह बाथरूम में फिसल कर गिर गई है और उनकी कमर में चोट है डॉक्टर ने बेड रेस्ट बताया है l उनके बेटे विदेश में रहते हैं और बुआ जी मुझे बहुत प्यार करती हैं क्या मैं कुछ दिनों के लिए उनके पास रह सकती हूं l

देवांश ने कहा ठीक है मां का ध्यान सुहानी रख लेगी l वह बोली की सुहानी को तो मैं अपने साथ ले जाना चाहती हूं क्योंकि घर पर मैं अकेली रहूंगी और हॉस्पिटल का काम भी रहेगा l

देवांश ने कहा कि यहां मां जी का ध्यान घर का पूरा काम और मेरे ऑफिस की तैयारी यह सब कौन करेगा l

वह बोली इसके लिए मैंने पूरे दिन के लिए नौकरानी का इंतजाम कर दूंगी जिससे सब लोगों को कोई परेशानी ना हो l आप हमारी दोनों की कल की कानपुर की टिकट करवा देना l

देवांश ने कहा कि ठीक है l

सुबह रागिनी ने सब जल्दी से अपनी और सुहानी की तैयारी की और देवांश ने स्टेशन छोड़ गया फिर ऑफिस चला गया l

रागिनी कानपुर अपनी बुआ जी के यहां सुहानी को लेकर पहुंच गई और सारी बात उन्हें बता दी l उन्होंने दूसरे ही दिन सुहानी का पूरा चेकअप करके गर्भपात कर दिया l फिर रागिनी से बोली कि मैंने चार-पांच दिन यहीं पर आराम करने दो l

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चार-पांच दिन में सुहानी स्वस्थ हो गई और रागिनी उसे लेकर अपने घर के लिए तैयार होने लगी तभी उसकी बुआ जी ने उसे एक कार्ड दिया और कहां कि यह मेरे दूर के रिश्तेदार हैं इनका बेटा कंपनी में इंजीनियर है अच्छा परिवार है l अपने घर वालों से कहना कि सुहानी के रिश्ते के लिए इसे देखना चाहे तो देख ले l

रागिनी ने घर आकर देवांश को लड़के के घर का पता दिया और कहा की सुहानी के लिए देख ले l

देवांश ने पूछा कि आप बुआ जी की कैसी तबीयत है रागिनी बोली ठीक है l

रागिनी राधा जी के कमरे में पहुंची और सभी हाल बताया राधा जी हाथ जोड़कर रागिनी से बोली की बेटी तुमने इस घर की लाज बचाई है भगवान ऐसी बहू सबको दे l रागिनी के सिर पर हाथ रखकर प्यार किया और गले से लगा लिया l

देवांश बुआ जी के दिए हुए पते पर लड़का देखने गया सभी कुछ ठीक लगा और सुहानी का संबंध वहां पर हो गया l

सॉरी औपचारिकताएं पूरी करके दोनों परिवारों की सहमति से सुहानी का विवाह विधि विधान के अनुसार संपन्न हो गया l राधा जी बहुत खुश थी l

तात्पर्य की महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन होती है चाहे सास बहू का रिश्ता हो देवरानी जेठानी का हो या नंद भाभी का l अगर महिलाएं चाहे तो इन प्यार से रिश्तों को खुशियों से सजा सकती हैं l और अपने घरों को मंदिर जैसा बन सकती हैं l

बिंदेश्वरी त्यागी 

स्वरचित 

अ प्रकाशित

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