गौरव का हाथ अपने हाथों में लिए थी सीमा और एकटक उसे देखे और रोए जा रही थी..इतनी सी बात
समझने में पूरी उम्र निकाल दी तुमने? मैं तड़पती रही, इंतजार करती रही और तुम समझे भी तो आज, इतने
समय बाद..??
तुम बोल भी तो सकती थीं सीमू! गौरव कांपती आवाज़ में बोला.. प्लीज! मुझे माफ कर दो..बीता समय लौटा
तो नहीं सकता मैं पर वादा करता हूं तुम्हारा एक एक आगामी पल बेशुमार खुशियों से भरने का प्रयास
करूंगा।
दरअसल गौरव और सीमा एक ही कॉलेज में संग संग पढ़ते थे।दोनो के बीच प्यार हुआ, खूब कसमें खाई
दोनो ने संग संग जीने मरने की, खूब लड़ाई की परिवार वालों से कि शादी करेंगे तो एक दूसरे से नहीं तो
जिंदगी भर कुंआरे रह जाएंगे, आखिरकार परिवार वाले भी झुक गए उनकी जिद के आगे।
शादी की डेट्स फिक्स हो गई थी, कार्ड्स बंट चुके थे लेकिन इसी बीच कातिल कोरोना की दूसरी लहर आई
और सीमा को अपनी चपेट में ले लिया। सीमा क्वारंटाइन हो गई, किसी से मिलना जुलना सब बंद..असर तो
कुछ कुछ गौरव पर भी था पर वो थोड़े बहुत उपचार से जल्दी ठीक हो गया, परिवार वालों के दबाव में आकर
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सीमा से इस बीच फोन तक पर कॉन्टैक्ट न कर पाया और उधर बीमारी और कमजोरी में मानसिक रूप से
टूटी हुई सीमा के परिवार वालों ने उसके दिमाग में ये बात बैठा दी कि गौरव उससे सारे संबंध तोड़ना चाहता है
क्योंकि उसे ये खतरनाक बीमारी हुई है।
सीमा सिहर गई, उसे लगा सच ही तो कह रहे हैं ये सब..क्या वो मुझसे मिलने भी नहीं आता? मिलना तो दूर
उसने मुझे फोन भी नहीं किया?खुद में सिमट के रह गई थी वो।सबसे दूरी बना ली,कितने समय तक तो ठीक
ही न हुई..शायद मन से ठीक होना ही नहीं चाहती थी…उसे रह रहकर एक ही बात अखरती कि गौरव उससे
सच्चा प्यार नहीं करता था तभी तो उसकी बीमारी की वजह से वो दूर हट गया।
उधर गौरव के पेरेंट्स ने भी उसे गलत तस्वीर दिखाई और वो सीमा से नहीं मिला, उसे लगा कि सीमा उससे
दूरी बनाना चाहती है तो वो पहल क्यों करे?
दोनों के दिल में प्यार आज भी था एक दूसरे के लिए।परिवार के कहने में आ जरूर गए थे पर किसी और से
शादी को तैयार नहीं हुए।गौरव को लगता जब इतना टूट के सीमा को चाहा और वो ही मेरी न हो सकी तो
कोई दूसरी क्या होगी?
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ठीक वैसा ही सीमा, उसके लिए सोचती। कई बार उसे ये भी लगता कि ठीक ही हुआ,लोग कहते हैं कि एक
बार जिसे ये घातक बीमारी हुई वो ठीक होकर भी ठीक नहीं होता,बाद में उसे हार्ट अटैक वगैरह हो सकता है..
मैं क्यों गौरव की जिंदगी खराब करूं?उसे मुझसे बेहतर कोई मिल गई होगी।
ये इस तरह की अनकही बातें मन में एक गांठ बना देती हैं और इस तरह की चुप्पी बहुत खतरनाक होती
है..कई बार जब दो लोगों के बीच संवाद खत्म हो जाते हैं और उम्मीद इस तरह की बढ़ जाती है कि अगला हमें
समझ नहीं रहा तो स्थिति विस्फोटक हो जाती हैं जो सीमा और गौरव के साथ हुआ।
दोनों को एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत थी और चुप थे।सीमा को ये बात खाए जाती कि गौरव उससे एक बार
मिलने नहीं आया,शायद उसने अपना दिमाग बना लिया होगा कि वो ऐसी लड़की से विवाह कर अपनी
जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता तो वो उसकी राह का रोड़ा नहीं बनेगी और गौरव को लगता कि उसे बीमारी
हुई उससे सीमा के पेरेंट्स ने उस पर दवाब बनाया होगा कि वो उससे दूर रहे,इसीलिए वो उससे मिलने से
कतराती है।फिर वो उसे मजबूर नहीं करेगा।
बहरहाल एक अबोले,संवादहीन रिश्ते का जो हश्र होता,वो ही उनके साथ हुआ।दोनो ने उस जगह को ही छोड़
दिया और अपने परिवार के साथ कहीं दूर चले गए।
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अब अचानक दस वर्ष बाद, एक फंक्शन में दोनों आमने सामने पड़ गए।
सीमा इतने वर्षों बाद भी उतनी ही खूबसूरत और संतुलित लगी गौरव को..लेकिन इसकी सादगी बता रही है
कि ये जैसे अभी भी पुराने ढंग से ही रहती हो..न गले में मंगलसूत्र,न माथे पर बिंदिया या कोई अन्य सुहाग
चिह्न…
कहां हो?कैसी हो?और सब कहां हैं?गौरव ने पूछा।
जहां तुम छोड़ के गए थे,वहीं खड़ी हूं..आज भी..बिल्कुल वैसे ही…..छोड़ो!!तुम अपने परिवार से मिलवाओ। वो
बोली।
तुम मेरे साथ नहीं थीं तो मेरा परिवार कैसे बनता सीमा?गौरव ने कहा तो वो भौंचक्का हो गई..तो इसका
मतलब तुम आज भी सिंगल हो?
नहीं… तुम्हारी अनगिनत यादें,फोटोग्राफ्स,तुम्हारी मुस्कराहट और नोंकझोंक सब मेरे साथ आज भी रहती
हैं।वो हंस के बोला।
तो मुझसे मिलने क्यों नहीं आए थे जब मैं बीमार पड़ी थी?सीमा ने बेचारगी से कहा।
तुम ही तो मुझसे मिलना नहीं चाहती थीं..आया था एक बार पर तुम्हारे घर से बेरंग लौटा दिया गया ये सुन कर
कि तुम किसी से मिलना नहीं चाहती।
पता नहीं ये समाज,परिवार क्यों प्यार के दुश्मन बन जाते हैं हर युग में?हमें दिग्भ्रमित किया गया और उन्हें क्या
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मिला?हमने जुदाई सही एक दूजे से..मेरे मन में ये गांठ बन गई कि तुम नहीं आए और तुम्हारे मन में ये फांस
चुभ गई कि मैं तुमसे मिलना नहीं चाहती।
सारी गलती मेरी ही है..गौरव रोते हुए बोला,मुझे बार बार आना चाहिए था,जब भी तुम्हें फोन किया, हमेशा
एक ही बात सुनने को मिलती..दिस नंबर इज़ नॉट एक्जिस्टेड।मुझे लगता तुमने जानबूझकर नंबर भी बदल
लिया है जिससे मुझसे बात न कर सको।
उफ्फ…कैसी त्रासदी रही हमारी..हम अलग अलग तड़पते और रोते रहे।
लेकिन जब जागो तभी सवेरा..गौरव बोला..हम कल भी साथ थे,आज भी हैं और आगे भी रहेंगे..क्या तुम मेरी
बनोगी?
मैं तो सदा से तुम्हारी थी और रहूंगी..लेकिन इस उम्र में शादी करें अब? मैं फोर्टी फाइव की हो गई..सीमा के
चेहरे पर असमंजस था।
तो मैं ही कौन सा थर्टीज़ में हूं?इस उम्र के रोमांस की बात ही कुछ और है सीमा..गौरव ने कहा तो सीमा ने
मुस्करा के उसे देखा और अपनी रजामंदी दे दी।
आज दोनों की मन की गांठ खुल गई थीं,संवाद हीनता उनके बीच से क्या गई उनके दिल के सारे कलुष बहा
के ले गई,आज अब वो दोनो मौन होकर भी एक दूसरे की आंखों से बहुत कुछ बोल,कह सुन रहे थे,आखिर
इतने वर्षों की इकट्ठी बातें जो करनी थीं उन्हें एक दूसरे से।
प्रिय पाठकों!क्या आपको नहीं लगता संवाद हीनता अच्छे भले रिश्तों को समाप्त कर देती है,इसलिए
बातचीत कर बहुत सी समस्याओं को होने से रोका जा सकता है इसलिए कभी भी रिश्तों में मौन नहीं पनपने
देना चाहिए।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
# मन की गांठ