वाह – लतिका श्रीवास्तव

“वाह वाह आपका गला भी इतना अच्छा है ये तो आज ही पता चला….”अब बताओ भला ये भी कोई तारीफ हुई !!अरे भई गला सुरीला होता है मधुर होता है अगर गाने की तारीफ कर रही हो ,अच्छा गला मतलब तो सुडौल गला सुंदर गला हुआ ना ! सौरभ ने उसकी ग़ज़ल गायकी की तारीफ करती हुई रिचा की चुटकी ली तो रिचा झेंप सी गई,तभी उसकी सहेली प्राची ने आगे बढ़ कर कहा ,”अरे  रिचा का गला भी बहुत अच्छा है आप लोगों को पता ही नहीं है …. चल रिचा आज कुछ सुना ही दे…सुनकर सौरभ तुरंत रिचा के गले को गौर से देखने लगा तो सभी ठठा कर हंस पड़े….रिचा ने धीरे से कहा “अरे नही आज मेरा गला बैठा हुआ है! ….”अरे तो तुम भी बैठ कर गा लो “सौरभ की इस बात पर  फिर सब के ठहाके गूंज उठे…!अब तो रिचा को गुस्सा आ गया भला ये भी कोई बात हुई ,एक तो इतने सारे लोगो में से सिर्फ उसने ही गायकी की इतनी तारीफ की   तो उल्टा खुश होने के बजाय धन्यवाद देने के बजाय ,उसीका मज़ाक बनाया जा रहा है….गुस्से के मारे वो तुरंत वहां से अपनी मम्मी के पास जा के बैठ गई।

  ” ये सब आपकी वजह से होता है मम्मी, उसने नाराजगी जाहिर की आपने ही सिखाया सबकी तारीफ खुले दिल से करना चाहिए,सबके सामने करना चाहिए ,तो तुम्हारी भी तारीफ होती है और अपना मन भी खुश हो जाता है ” ऊंह देख लो कितनी तारीफ हो रही है मेरी,मेरा मन कितना ज्यादा खुश हो रहा है !!है ना मम्मी….”..मम्मी उसकी चिड़चिड़ाहट समझ रही थीं उन्होंने मुस्कुरा कर उसे शांत किया “अरे नही मेरी रानी बेटी बहुत उदार दिल की है सबकी अच्छी बातें ही देखती हैं,किसी से इसको कोई चिढ़ या ईर्ष्या है ही नही कोई समझे या ना समझे…”पर आज रिचा का पारा ज्यादा हाई हो गया था बोली “जानती हो मम्मी आज कॉलेज में क्या हुआ! आज मेरी नई प्रोफेसर पहली बार क्लास ले रही थीं बहुत रोचक तरीका था उनका पढ़ाने का ,मुझसे नहीं रहा गया,क्लास खत्म होने के बाद मैं उनके पास गई और अपनी इसी आदत के मुताबिक उनकी टीचिंग की बहुत तारीफ कर दी मैंने कहा” मेडम आप बहुत ही बढ़िया पढ़ाती हैं,मैं आपसे बहुत प्रभावित हो गई …..”सारी क्लास मुझ पर हंसने लगी ये बटरिंग कर रही है इंटरनल मार्क्स बना रही है ,अरे पूरा आधा किलो वाला भी अमूल बटर लगाएगी ना तब भी ये मेडम तेरी चापलूसी में नही आने वाली….और सब मुझे अमूल बटर बोल बोल के मजा लेते रहे…!



v
   और सुन लो कल जब मैं फल की दुकान से फल ले रही थी तो उसकी दुकान में फल रखने के व्यवस्थित तरीके की मैंने तारीफ कर दी तो तुरंत उसने मुझसे फलों के दाम बढ़ा कर बता दिए…..ऐसे ही जब उस दिन अपनी सहेली की नई ड्रेस की तारीफ की तो वो बोलने लगी रिचा तेरे पास नहीं है ना इतनी महंगी ड्रेस तेरी भी इच्छा हो रही होगी लेने की ..चल मैं तुझे गिफ्ट कर दूंगी……और वो बगल वाली आंटी जी उस दिन इडली सांभर बना कर खिलाने लाई थीं अब वो बिचारी इतनी खुशी से खिलाने लाई थीं  तो मैने अच्छी ना होते हुए भी इडली की तारीफ कर दी “वाह आंटी जी आपके जैसी इडली तो कोई नहीं बना सकता लगता है खाते ही जाओ….”ओहो ..बस तब से तो आए दिन वो  मुझे इडली खिलाती रहती हैं …मम्मी ये वाह से मेरी आह निकल आती है …मेरी तो कभी कोई तारीफ करता ही नहीं अच्छे मार्क्स लाती हूं तो कहते हैं लाना ही चाहिए….कुकिंग अच्छी करती हूं तो कहते हैं तुम्ही कर लिया करो छोटी बहन से  क्यों करवाती हो तुम्हारी तो अब काम करने की आदत हो गई है….सबकी तारीफ भी करती हूं तो सोचते हैं इससे कुछ नही बनता इसीलिए सबकी तारीफ ही करती रहती है बेवकूफ है …. सब अपने आपको मुझसे ज्यादा होशियार समझने लगते हैं ….”  ।उसकी भुनभून शांत ही नहीं हो पा रही थी …देखना मम्मी अब से मैं भी किसी की कोई तारीफ नहीं करूंगी बड़े आए सबकी वाह वाह मेरी हाय हाय….!

   मम्मी ने समझाया बेटा,”सबकी तारीफ करने की तुम्हारी आदत बहुत बढ़िया है इस आदत में कुछ गलत नहीं है हां आदतें तो इन लोगों की अच्छी नहीं हैं जो तुम्हारी तारीफों का गलत मतलब निकालते हैं । तुम्हारी तारीफ ना करने के पीछे भी इन लोगों की असुरक्षा की भावना है, अहम भाव ही है,तारीफ ना करके ये अपने आपको सुरक्षित करते हैं ….पर दिल के अंदर कहीं ये तुम्हारी ही तरह खुल कर तारीफ करने की ख्वाहिश भी रखते हैं… रिचा बेटा अच्छी आदत तो अच्छी ही रहेगी कोई माने या ना माने” …फिर उसके हाथों को अपने हाथो में लेकर मम्मी ने कहा,बेटा ये “वाह “दो अक्षरों का शब्द जरूर है पर इसे बोलने वो भी सही जगह पर बोलने के लिए भी कलेजा चाहिए, जिसका दिल साफ होता है उसीकेे मुंह से वाह निकलती है ….. “…..”वरना तो आह की कमी नहीं है ” मम्मी की बात बीच में ही काट कर रिचा ने जोर से हंस कर मम्मी को गले से लगा लिया,” वाह  मेरी मम्मी वाह!!”

   सादर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!