“यह कैसा समझौता” – ऋतु अग्रवाल

“सुरभि, आज तू अपनी भाभी के साथ बाजार चली जा, अपने लिए एक सुंदर सी साड़ी ले आ और थोड़ा पार्लर से भी अपनी ग्रूमिंग करा लेना।” उमा ने सुरभि से कहा।

      “पर क्यों माँ?” सुरभि ने पूछा तो मीरा हँस पड़ी। 

     मीरा सुरभि की भाभी है।

     “ननद रानी, वह इसलिए कि कल आपको देखने लड़के वाले आ रहे हैं और आपको उनके सामने सुंदर सा बनकर जाना है। समझी आप?” मीरा ने सुरभि के ठोढी ऊपर उठाते हुए कहा।

      सुरभि शरमा कर रह गई।

      अगले दिन सुबह से ही घर में गहमागहमी शुरू हो गई। तरह-तरह के पकवान बन रहे थे। खाने पीने की कुछ चीजें बाजार से भी मँगवाई गई। घर को अच्छे से साफ सफाई कर करीने से सजा दिया गया था।



        गुलाबी रंग की साड़ी में सुरभि बड़ी प्यारी लग रही थी। उमा तो उसकी बलाएँ लेती ना थक रही थी।

        “मेहमान आ गए” के शोर ने सुरभि को थोड़ा और लजा दिया।

       बातचीत और हँसी मजाक के साथ-साथ सब खाने पीने का लुत्फ ले रहे थे। तभी मीरा सुरभि को ले आई। सबकी नजरें सुरभि पर टिकी थी। अनुराग सुरभि को एकटक निहार रहा था। उमा और पुष्कर जी को लग रहा था कि यह रिश्ता जरूर पक्का हो जाएगा। लड़के वालों ने सुरभि से अच्छे से बातचीत की। सुरभि के चेहरे से भी पसंदगी जाहिर हो रही थी।

         “अच्छा पुष्कर जी! अब इजाजत दीजिए। मैं घर पहुँच कर आप से फोन पर बात करता हूँ।” कहकर अनुराग के पिता सुधांशु ने हाथ जोड़ दिए और इसी के साथ लड़के वाले अपने घर चले गए।

       सुरभि के घर में सब को पूरा यकीन था कि यह रिश्ता पक्का होगा ही होगा। पूरे घर में खुशी का माहौल था। बस अब तो सुधांशु जी के फोन का इंतजार था।

       “ट्रिन! ट्रिन!” की आवाज के साथ ही पुष्कर जी के चेहरे  की मुस्कुराहट चौड़ी हो गई।

     “जी, सुधांशु जी!यह आप क्या कह रहे हैं?….”

    “यह तो बहुत गलत बात है……”

     “हाँ जी! माना मेरी बेटी की हाइट थोड़ी कम है पर यह तो मैंने आपको पहले ही बता दिया था…….



   “नहीं, सुधांशु जी! आपकी यह बिल्कुल नाजायज है…..”

     “जी! आपका बेटा भी तो सांवले रंग का है पर मैंने तो कोई शर्त नहीं रखी….”

    “क्या कहा? समझौता करना पड़ेगा। माफ कीजिए सुधांशु जी, बीस लाख तो छोड़िए मैं बीस रूपये भी नहीं दूँगा। शायद आपको रिश्तों की समझ नहीं है। रिश्ते समझौते पर नहीं विश्वास और समर्पण पर टिके होते हैं। मैं अपनी बिटिया की शादी करने चला हूँ ,कोई समझौता करने नहीं” कहकर पुष्कर जी ने फोन काट दिया।

      सुरभि की आँखों में आँसू देख कर पुष्कर जी ने उसके सिर पर हाथ रख कर कहा,” बिटिया! मैं अपनी बेटी की शादी खुशी के साथ करना चाहता हूँ, किसी समझौते के साथ नहीं।” 

#समझौता 

स्वरचित

ऋतु अग्रवाल,मेरठ

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