चल ना यार अमित… कब तक ऐसे ही बैठा रहेगा कितने दिन हो गए अरे जब भाभी को तेरी फिक्र नहीं है तो तू क्यों उसकी याद में मरा जा रहा है चल आज दोनों दोस्त बैठकर कहीं रात भर जश्न मनाएंगे! राहुल और अमित दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे दोनों अलग-अलग कंपनी में काम करते थे पर जब भी मौका मिलता दोनों एक दूसरे से मिलते रहते थे! नहीं यार…
सच में मेरा कहीं भी जाने का मन नहीं कर रहा! राहुल के मना करने के बावजूद अमित उसे जबरदस्ती एक कैफे में ले गया, काफी देर वहां बैठने के बाद अमित ने राहुल से पूछा यार…. तुम दोनों के बीच में इतना सब कुछ चल रहा था तुम दोनों तो एक दूसरे को प्रेम भी करते थे तुम्हारे घर वालों ने शादी में भी कोई एतराज नहीं किया फिर अचानक ऐसा क्या हुआ की तेरी यह हालत हो गई
और बात तलाक तक आ पहुंची, अभी तो एक ही साल हुआ है तुम्हारी शादी को! अमित के बहुत कुरेदने पर आखिरकार राहुल ने अपने बारे में बताना शुरू कर दिया… तुझे पता है अमित मैं कितनी बड़ी कंपनी का मालिक था रूपए पैसे घर परिवार किसी चीज की मुझे कोई कमी नहीं थी मैं दिखने में भी बहुत आकर्षक व्यक्तित्व का हूं कोई भी लड़की मुझे अपना बनाने के लिए बेताब रहती है
किंतु मैं उसे बेवफा स्नेहा के प्यार में ऐसा फंसा की दोबारा उससे बाहर निकल ही नहीं पाया, मुझे तो उसके अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता था उसने मेरे तन मन को अपने वश में कर लिया था मुझे क्या पता था वह मुझ से नहीं मेरी दौलत से प्यार करती है वह मेरी कंपनी में मेरी एक सेक्रेटरी बन कर आई थी और धीरे-धीरे उसने अपनी मासूमियत के नाटक से मुझे अपने प्रेम जाल में फंसा लिया
और पता नहीं कैसे मैं अपना सब कुछ धीरे-धीरे उसके नाम करता चला गया! शादी के 3 महीने तक वह मुझे इसी तरह का प्रेम करती रही और मुझे लगता शायद में दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति हूं जिसे इतना चाहने वाली पत्नी मिली है, किंतु मुझे पहला झटका तो तब लगा जब कोर्ट की तरफ से नोटिस आया की आपको यह मकान खाली करना होगा
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क्योंकि आपकी पत्नी ने आपके खिलाफ केस दर्ज किया है कि आप उनके मकान में गैर कानूनी तरीके से रह रहे हैं जब मुझे उसकी चाल समझ में आने लगी तब तक बहुत देर हो चुकी थी, धीरे-धीरे उसने मेरी कंपनी पर भी कब्जा कर लिया और पता नहीं क्या साजिश रची कि वह मेरी जगह खुद ऑफिस की बॉस बन बैठी, मैं अभी तक उसके प्यार में अंधा था बेवकूफ था
जो उसकी एक भी चाल समझ ही नहीं पा रहा था वह तो बाद में कोर्ट में जाकर पता चला उसने मुझसे प्यार के नशे में सभी कागजातों पर मेरे साइन करवा लिए और मैं कहीं का ना रहा, उसके बाद उसने मुझे तलाक के पेपर भेज दिए मैं उसके सामने रोता रहा गिरगाड़ता रहा किंतु उसे मुझ पर तनिक भी दया नहीं आई मैं बहुत टूट गया हूं अमित, मैं इस सदमे से बाहर निकल ही नहीं पा रहा,
ऐसा लगता है हर समय अकेला रहूं कभी-कभी तो मन में आत्महत्या तक का भी ख्याल आ जाता है कि मैं इतना होशियार समझदार होकर कैसे एक लड़की की बातों में आ गया और अपना सब कुछ उसे देता चला गया, स्नेहा को भी पैसे का शौक था “यह धन संपत्ति ना अच्छे अच्छे का दिमाग खराब कर देती है” और यही स्नेहा के साथ हुआ उसने मेरी धन दौलत देखकर मुझसे शादी रचाई
और सब कुछ हड़प कर मुझे बेसहारा छोड़कर चली गई, यार.. क्या जो सब कुछ मेरा था वह स्नेहा का नहीं था वह इतनी लालची कैसे हो गई, क्या ज्यादा संपत्ति होना गुनाह है?, राहुल की बातें सुनकर अमित बोला…. नहीं भाई ऐसा कुछ भी नहीं है तू तो शुक्र मना कि वह खाली तेरी धन दौलत लेकर चली गई कम से कम तुझे तो छोड़ दिया और तेरे पास तो इतने प्यारे मम्मी पापा भाई बहन सब हैं
फिर तू एक लड़की के पीछे क्यों अपनी जिंदगी खराब कर रहा है, चल उठ अब नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत कर, जो हो गया उसे काला सच समझकर भूल जा और अब अपनों के लिए जीना शुरु कर, तेरी वजह से तेरे परिवार वाले भी कितने दुखी रहते हैं कभी सोचा है! हां यार….
तू सच कह रहा है अब मुझे उस औरत के बारे में बिल्कुल नहीं सोचना और दोबारा से उस मुकाम पर पहुंचना है जहां मैं पहले था और फिर दोनों दोस्त अपने-अपने घर आ गए!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
वाक्य प्रतियोगिता “यह धन संपत्ति ना अच्छे अच्छे का दिमाग खराब कर देती है”