women lib. – अनु ‘ इंदु ‘

उस दिन कॉलेज में पेपर रीडिंग कॉन्टेस्ट था । सुहासिनी का बी. ए. का दूसरा साल था । सुहासिनी को women lib.  पर बोलना था । बहुत सी लड़कियों ने इस के हक़ में अपने विचार रखे थे ।उसने भी पूरी तैयारी की थी।

सुहासिनी की बारी आई तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा । उसने dias पर आकर माइक हाथ में लिया और बोलना शुरू किया :

“women liberation यानि औरत की आज़ादी का विदेशों में चाहे जो भी अर्थ रहा हो, लेकिन भारत के संदर्भ में इसका अर्थ सिर्फ़ इतना ही है कि औरत को भी इंसान समझा जाये।उन के साथ लिंग के आधार  भेदभाव न किया जाये। बराबर काम के लिये बराबर वेतन मिले। उन्हें शिक्षा और जायदाद पर बराबर का अधिकार मिले। बराबर अधिकारों काम तलब यह नहीं कि औरत मर्दों का बुरा आचरण भी अपना ले।निजी तौर पर मुझे औरत का मर्द से मुकाबला करना  अच्छा नहीँ लगता ‌।

औरत की सुंदरता उसके औरत बन कर रहने में ही है। मर्दों जैसा व्यवहार उसके आकर्षण को  कम कर देता है। अपने अपने कर्तव्य निभाते हुये भी दोनों अपनी अपनी जगह पर रह कर भी उतने ही सशक्त हो सकते हैं।

न तो औरत मर्द से कमतर है और न ही मर्द कोई खुदा है। पहले औरत को शिक्षा से वंचित रखा जाता  था ,इसलिये वह अपने अधिकारों के प्रति  सचेत नहीं थी।उसके पास कोई और option नहीं था इसलिये वो मर्द को ख़ुदा समझती थी क्यूंकि घर में सिर्फ़ मर्द ही कमा कर लाते थे।औरत जुल्म सहती रहती थी…

औरत अपने biological डिफरेन्स की वज़ह से मर्द से कमज़ोर भले ही हो , वो भी शायद इस लिये कि बचपन से ही सब भारी काम भाई या पिता कर रहे होते हैँ ,और शादी के बाद पति और बेटा । इसलिए उन्हें इसकी आदत नहीं रहती ।वरना कई औरतें भी भारी भरकम मजदूरी के काम भी कर रही होती हैं।

गृहस्थी चलाने के लिये भी औरत का शिक्षित होना उतना ही जरूरी है जितना मर्द का।  शिक्षा आपके दिलो दिमाग को रौशन करने के लिये बहुत जरूरी है।बच्चों कोअच्छे संस्कार मिलें इसके लिये भी माँ का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है।


औरत अगर गृहस्थी संभालती है तभी मर्द सकून से बाहर काम कर पाते हैं।गृहस्थी तो सुविधा अनुसार काम बांटने से ही चलती है।

उसे liberation चाहिये तो दकियानूसी सोच से जो उसे देवी बनाकर बलि का बकरा बनाये रखती है।

क्या औरत की भावनाएं मर्दों से अलग होती हैं? औरत भी इंसान है ।उसे देवी बना कर उस पर जुल्म नहीं करें।औरत में भी वो सब कमजोरियां हो सकतीं हैं जिन्हें मर्द अपने बड़े फख्र के साथ गिनवाता है और ख़ुद ही उनको justify करके अपने आपको माफ़ भी कर लेता है मगर औरत भूल कर भी अपने साथ हुई ज्यादती का ज़िक्र भी कर दे तो मर्द उसी को जिम्मेदार समझता है। रिश्ता एक दूसरे को नीचा दिखा कर नहीं चलता बल्कि ,साथ  चलने से चलता है ,एक दूसरे का सम्मान करने  से चलता है।”

जैसे ही उसने बोलना खत्म किया , तालियों की गड़गड़ाहट से पता चल रहा था कि उस कॉन्टेस्ट का पहला इनाम उसे ही मिलेगा । और हुआ भी वैसा ही , प्रथम इनाम उसे ही मिला ।

नलिन तो उससे बहुत ही प्रभावित था । उसी का सहपाठी था वो मगर आज़ से पहले उसने कभी उस ख़ामोश सी रहने वाली लड़की को बोलते नहीँ सुना था । क्लास में हमेशा अव्वल आती थी  ।

क्लास में पहली सीट पर अकेली बैठी होती थी।उसे कभी हंसते नहीँ देखा था नलिन ने । चेहरे पर हमेशा गंभीरता रहती थी उसके । आखिर सुहासिनी की graduation पूरी हुई । उसके बाद आगे पढ़ने के लिये उसे दिल्ली भेज दिया गया । सुना है आजकल वहाँ के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रिन्सिपल के पद पर है ।

लेकिन एक बात की  आज़ तक समझ नहीँ आई कि नलिन ने उससे  शादी क्यूँ नहीँ की । जब कि वह उसे पसंद करता था और शायद वो भी उसे चाहती थी ।

शायद इसलिये कि औरत की जो qualities मर्द को शादी से पहले प्रभावित करती हैं  वो शादी के बाद उसे चुभने लगती हैं। office में boss type की औरत से वह तब तक ही प्रभावित रहता है जब तक वह उसकी पत्नी नहीं बनती।

मर्दो में औरत पर हुकूमत करने की आदत एक दिन में नहीं जायेगी।

अनु ‘ इंदु ‘

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