वो रातें – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

बात उन दिनों की है जब मुझे जंगलात विभाग में फारेस्ट गार्ड की नौकरी मिली। मेरी पोस्टिंग दूसरे जिले में हुई मैं अपनी माँ और बीबी को लेकर बहां शिफ्ट हो गया। कुछ ही दिन हुए थे कि जंगल से खैर के पेड़ काटने की शिकायतें आने लगी काफी कोशिश करने के बाबजूद चोर पकड़ा नही गया था।

सीनियर अफसरों का दवाब लगातार बढ़ता जा रहा था ऊपर से आर्डर आए की किसी हालात में चोर को पकड़ो चाहे तो दिन रात जंगल मे रहो जबतक चोर पकड़ा नही जाता किसी भी हालात में चोर पकड़ना है। मैंने अपनी सरकारी बंदूक उठाई और जंगल की तरफ निकल गया। रात के ग्यारह साढ़े ग्यारह का समय हुआ

होगा मैं एक पेड़ के पीछे छुपकर बैठा था कि अचानक ऊपर रास्ते रोड से छन छन की आवाज आई मुझे लगा कि शायद चोर होंगे मैं चुपके से नीचे रोड में आ गया। मैं क्या देखता हूँ एक औरत सिर पर गठरी उठाये जा रही थी । इतनी रात को अकेली औरत देखकर मुझे हैरानी तो हुई मगर लगा कि शायद कोई मुसीबत की मारी होगी तो मैंने उसे आवाज लगाई की कौन है? इतनी रात को कहां जा रही हो।

बो एकदम रुकी और और पीछे मुड़कर देखने लगी अंधेरे में भी उसका गौरा रंग चमक रहा था। मैं कुछ देर उसे देखता रहा और पुछा कौन हो तुम यहाँ क्या कर रही हो।मगर उसने कोई जवाब न दिया एकटल खड़ी रही । मैं थोड़ा उसके नजदीक गया तो उसकी खूबसूरती को देखता रह गया । मैने फिर पूछा आप कौन हो तो बो धीरे से बोली कि मैं पास के   गांव में रहती हूं मेरे पति ने मुझे पीटकर। घर से निकाल दिया है

अब अपने मायके जा रही हूँ ये कहके रोने लगी। मैंने हाथ उसके कंधे पर रखके दिलासा देते हुए कहा कि कोई बात नही रो मत इतनी रात को कहां जाओगी चलो ऊपर गार्डखाना है जो सरकार की तरह से बनकर्मियो के रहने के लिए जंगल मे बनाया जाता है ताकि देर सवेर कभी जंगल मे रुकना पड़े तो हम बहां रात काट सकें। आज रात यहीं रुको सुबह होते ही चली जाना।ये सुनकर उसने शुक्रिया भरी नजरों से देखकर सिर हिलाकर हामी भर दी। हम ऊपर गार्ड खाने में चले गए उसको रोशनी में देखकर में दंग रह गया था किसी अफसरा सी खूबसूरत थी बो। मेने उसे बैठने को कहा तो बो बैठ गई खाना खाने को कहा तो बोली कि मैं खा ली हूँ

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अब नही खाऊँगी। मैं साथ मैं थोड़ी शराब लेकर गया था मैंने उसे कहा कि मैं खाना खाने से पहले थोड़ी सी लेता हूँ आदत है। उसने कहा ठीक है मैने जल्दी जल्दी दो तीन पेग घटक लिए। अब शराब अंदर जाते ही मैंअपने होश खो बैठा और खोता भी क्यों न बो थी ही इतनी खूबसूरत। उस रात हम दोनों में शारीरिक संबंध बने। सुबह होने से पहले ही बो ये कहकर चली गयी कि मेरा मायका यहां पास के ही गांव में है मैंने उसे कहा

कि अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ। उसने मेरी तरफ देखा तो मैने कहा कि क्या आप आज रात को भी आ सकती हैं दरअसल मैं अकेला होता हूँ तो आपका साथ मिल जाएगा। उसने जवाब दिया की मेरी माँ बाबा घर मे होते है उनके सोने के बाद ही मैं आ पाउंगी लगभग रात को ग्यारह बजे के बाद ही आन होगा और सुबह होने से पहले मुझे बापिस जाना होगा अगर आप रोज आते हो तो मैं रात को आ जाया करूंगी।

मेरे तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई थी। मैंने उसे कहा कि तुम पिझे अपना पता बता फो मैं तुम्हे लेने आ जाय करूँगा तुम रात को अकेले कैसे आओगी तो वो बोली कि नही गांव में अगर किसी ने आपके साथ देखा तो बदनामी होगी आप फिक्र मत करो मैं जैसे कैसे आ जाया करूँगी।

अब हर रोज मैं घर मे पेड़ चोरी का बहाना बनाकर बहां आने लगा और रोज हम लोग मिलते रहे लगभग 15 रातें गुजर गईं । रात को ड्यूटी दिन में जाकर सो जाना तो बीबी को शक होने लगा कि आजकल ये मुझसे उस तरह ब्यबहार नही कर रहे जैसे पहले करते थे। उसने मेरी माँ से मिलकर सलाह बनाई की मुझे लगता है कि ये रात को किसी और क पास जाते हैं हमे बेबकूफ बनाकर आज हम रात को इसका पीछा करेंगे कि आखिर ये जाते कहाँ है। 

जैसे ही मैं घर से निकला बो दोनो छुपते छुपाते मेरे पीछे पीछे आने लगी। थोड़ी ही दूर पर यहां बो औरत मुझे मिलती थी मैं बहां पहुंचा तो बो मेरा इंतजार कर रही थी। जो मुझे अफसरा लगती थी बो उन दोनों को उसके असली रूप में दिख रही थी जो कि बहुत ही भयानक डराबना था। मगर उन्हें लगा कि अगर बो शोर मचाएंगी तो हो सकता है बो चुड़ैल मुझे नुकसान पहुंचाए। इसलिए बो चुपचाप रही जैसे ही हम गार्डखाना की तरफ गए बो दोनों भी हमारे पीछे पीछे आती रही। अंधेरी रात थी पूरी रात उन दोनों ने गार्ड खाने के बाहर गुजारी

सुबह चार बजते ही घर को लौट आईं। मैं भी सुबह छः बजे घर आ गया रोज की तरह नहा धोकर खाना खाया और सोने चला गया। मेरे जाते ही मेरी बीबी और मां पास में एक तांत्रिक था जो मन्दिर में बैठता उसके पास गईं और जाकर सारी बात बताई। तांत्रिक ने देखा और कहा कि बो औरत उसके अंदर बस चुकी है बो कहीं नही जाती हर पल उसके साथ रहती है अगर बो तुम्हारे पास आने भी चाहेगा तो बो आने नही देगी। इसका एक ही हल है किसी तरह अपने पति को मन्दिर तक ले आओ बाकी में संभाल लूंगा। और ये काम जल्दी ही करना होगा।

शाम को जैसे ही मैं सोकर उठा तो मेरी बीबी पास आई बोली कि आज मैं आपसे कुछ कहना चाहती हु प्लीज टालना मत आज के बाद में कुछ नही मांगूंगी । मैने कहा ठीक है बोलो तो। उसने कहा हमारी शादी को दो साल हो गए अभी तक बच्चा नही है मैंने पास के मंदिर में मन्नत मांगी है कि मैं पांच चौकियां करूंगी रविवार के रविवार कल पहला रविवार है आप मेरे साथ चलो प्लीज मना मत करना। मेरे टाल मटोल पर भी बो न मानी तो मैं जाने को तैयार हो गया। मैं अंदर गया तो बाबा न मुझे बिठाया और कहा कि शांत हो जाओ जो मैं कहूं ध्यान से सुनना डरना बिल्कुल नही ।

बिल्कुल घबराना मत मेरे रहते तुम्हे कुछ नही होगा। मैं हैरान था और पूछा कि आखिर बात क्या है। तो उसने मुझे बताया कि देखो जिस औरत से तुम हर रोज मिलते हो बो औरत नही बल्कि एक आत्मा है। बो तुम्हारे अंदर बस चुकी है उसको निकालने का एक ही तरीका है जैसा मैं कहूँ बैसे करना और डरना बिल्कुल नही। जैसे रोज मिलते हो

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आज भी बैसे ही मिलना। मैं बहीं गार्डखाने के आसपास रहूंगा तुम्हे कुछ नही होगा। मैं एकदम पसीना पसीना हो गया था और पूछा कि मुझे करना क्या है। तो उसने बताया कि ये मन्त्र की हुई धागे की रील है इसको अपने पास रखो और रात को जैसे ही उसके साथ संबंध बनाओ तो बिना उसे पता लगे उसके बालों में धागे की गांठ मार देना। बाकी मैं संभाल लूंगा और हां उसे शक बिल्कुल न हो न तुम डरना मत अगर उसे जरा भी शक हुआ तो बो छोड़ेगी नही।

मेरी टांगे कांप रही थी मगर जैसे कैसे खुद को मजबूत करके मंदिर से बाहर निकल कर नॉर्मल होने का नाटक किया घर गया रात को दस बजे मुझे निकलना था आज मैंने आधी बोतल पी ली मगर नशा नही हो रहा था। फिर भी थोड़ी सी हिम्मत आ गई मैं घर से निकला और उसी जगह पहुंचा जहां बो मुझे मिलती थी। उसे लेकर गार्डखाना में चला गया बहां जाकर फिर तीन पेग और लगाए अब मुझे नशा हो गया था अब डर कम हो गया था और सोच रहा था जो भी हो जाए धागा तो बांध ही दूंगा। हम बिस्तर ओर चले गए बो बाबा और माँ बीबी बाहर ही आसपास थे।

मैंने संबंध बनाते हुए धीरे से बो धागा उसके बालों में बांध दिया। मैं पूरी रात में सो नही पाया था। बस सोने का नाटक करता रहा। सुबह चार बजे बो उठी और बोली में जा रही हूं। जैसे ही बो निकली तांत्रिक और मेरी माँ बीबी अंदर आ गए। थोड़ा रोशनी होने का इंतजार करने लगे। सुबह 6 बजे थोडी रोशनी हुई तो हम उस धागे का पीछा करने लगे जो रील से निकल निकल कर झाड़ियों पेड़ो स होता हुआ एक नीचे नदी किनारे जाकर रेत में धंस गया था। 

बाबा ने फावड़ा मंगवाया और उस जगह को पहले मन्त्रो से कील दिया। अब बहां खुदाई शरू हुई तो बहां से मानव शरीर की हड्डियां निकलनी शुरू हुईं। उन हड्डियों को बाहर निकाला गया फिर मंत्रोच्चार से उन हड्डियों को जगाया गया तथा उस आत्मा को बुलाया गया। हालांकि हमने बो आत्मा नही देखी मगर बाबा ने बताया कि उस आत्मा ने बताया

कि बो उस राज्य के उस गांव की रहने वाली है कुछ लोगो ने उसको किडनैप किया था जिन्हें बो नही जानती मगर उन्होंने रेप करते उसका कत्ल करके यहां गाड़ दिया था। अंतिम संस्कार न होने के कारण उसकी आत्मा भटक रही थी। अब उसके घरवालों को बुलाकर पता करवाकर उन हड्डियों का रीति रिवाज से संस्कार कराया गया। उसके बाद में कभी रात को गार्ड खाने तो नही गया मगर अपना तबादला दूसरी जगह करवा लिया था।

         अमित रत्ता

    अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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