सुधीर का आखिरी दिन नौकरी का बहुत सालों से कंपनी में नौकरी कर रहा था।
लेकिन अचानक कंपनी बंद होने के कारण सुधीर का आखिरी दिन जाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था.. लेकिन क्या करें कंपनी इतनी लॉस में चली गई की सुधीर डिप्रेशन में आ गया और कुछ भी करने के लायक नहीं बचा घर आते ही पलंग पर लेट गया।
पीछे से रीमा ने आवाज दी क्या हुआ क्या हुआ?
पर सुधीर के आंसू टप टप होने लगे अब मैं बेरोजगार हो गया.. मैं कैसे घर चलाऊंगा ..बच्चों को कैसे पा लूंगा क्या करूंगा।
सुधीर ने अनेक सवाल रीमा के सामने रख दिए… मानो जैसे धरती फट रही हो.. और मैं उसमें समा रहा हूं।
सुधीर के मन में निगेटिव विचार बहुत आ रहे थे.. तभी पीछे से रीमा ने कहा सुधीर तुम इतनी टेंशन में क्यों हूं …सुधीर ने कहा कि मैं तुम्हें बहुत कुछ बताना चाह रहा था।
लेकिन मैं कैसे तुम्हें बताऊं तभी रीमा ने कहा कि इतने साल हम दोनों ने हर एक बात शेयर की लेकिन.. तुमने इतनी बड़ी बात मुझसे छुपाई यह तो तुमने बहुत गलत किया।
अब क्या होगा सुधीर की शादी को 10 साल हो गए दो छोटे-छोटे बच्चे उनका स्कूल में एडमिशन खर्चा तो लगातार बढ़ता ही जा रहा था।
अचानक कंपनी लॉस में चली गई और कंपनी बंद होने की कगार में आ गई।
मैं तुम्हें इतनी बड़ी बात कैसे बता सकता था हमारे घर में तो खाने के लाले पड़ रहे हैं।
मैं तुम्हें इतने दिन से बोल रहा था कि खर्च कम किया करो लेकिन तो मानने तैयार ही नहीं थी।
कि अब हम क्या करें किराया भी देना है बच्चों की फीस भी देना है आज हम मां-बाप के पास रहते होते।
तो हमारी कुछ मदद हो सकती थी तभी सुधीर ने कहा कि हम एक-दो दिन में अपने गांव चल सकते हैं क्या?
रीमा ने कहा बच्चों की पढ़ाई का लॉस हो जाएगा तब सुधीर ने कहा कि नहीं हमें तो चलना ही पड़ेगा तुम तो सामान पैक कर लो ।
और पति-पत्नी बच्चे गांव की और बढ़ पड़े बुरा वक्त किसने देखा है जब अच्छा वक्त आता है ।
तो बुरा वक्त भी आता है यह सोचकर रीमा ने सोचा कि मैं भी कुछ नहीं कमा पाती हूं।
मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं मैं सुधीर की बात मानना ही ठीक है और दोनों बस से गांव की ओर चल पड़े …कुछ देर में गांव आ गया.. और जब गांव में पहुंचे तो सुधीर को अच्छा लगने लगा और अपनी मां को देखकर तो बहुत अच्छा लगने लगा ।
बूढ़े मां-बाप कई सालों से अकेले गांव में रह रहे थे सुधीर ने अपनी मां को पूरी मन की सुनाई और मां से कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए आपके साथ ही रहूंगा।
तब मां बाप ने कहा कि मैंनें तो तुम्हें बहुत रोका था लेकिन तुम नहीं रुकी।
अब तुम्हें घर वापस आना ही था लौट कर बुद्धू घर को आता ही है…।
बहुत देर तक सुधीर अपने मां-बाप के पास बैठा रहा है और बहुत सारी बातों की चर्चा करता रहा .. रीमा ने तुरंत ही अपना किचन संभाल लिया।
मां बाप भी बहुत खुश हो गए हैं कि हमारे नाती पोते…आज हमारे पास आ गए दूसरे दिन से ही सुधीर ने पापा की छोटी सी दुकान संभाल ली।
सुधीर पढ़ा लिखा था और जो खेती किसानी होती थी उसका भी हिसाब सुधीर रखने लगा।
रीमा ने भी गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने में सहयोग किया धीरे-धीरे जिंदगी की वापस गाड़ी पटरी पर आ गए। अच्छा खासा पैसा आने लगा मां-बाप भी खुश रहते थे अच्छे से खाना मिल जाता था और बच्चे भी खुश रहने लगे एक पास के स्कूल में इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चों का दाखिला कर दिया
लेकिन रीना का दुख कोई नहीं समझ पा रहा था शहर में रहने वाली लड़की का मन गांव में कितने दिन लगेगा रीवा ने सुधीर से बात की की अब हमें वापस शहर चलना चाहिए हमारे पास इतना पैसा आ गया है कि अब हम शहर में जाकर रह सकते हैं तभी सुधीर ने कहा कि नहीं मैं तो अब नहीं चलूंगा मुझे तो अपने मां-बाप के साथ ही रहना है जो संयुक्त परिवार में सुख और सुकून मिलता है ।
वह कहीं नहीं मिल सकता है जब हमारी कंपनी का लॉस हुआ तो हम अपने मां-बाप के पास आ गए ।
और जब मां-बाप को अच्छा लगने लगा तो हम उनको छोड़ कर चले जाएंगे।
यह कहां की रीत है मैं तो अब नहीं छोड़ कर जाऊंगा मैं अपनी मां-बाप की सेवा करूंगा।
बच्चों का भी मन लग रहा है कुछ देर बाद रीमा को भी यह बात समझ में आ गई और उसने सोचा कि ठीक है अब हम अपनी जिंदगी की गाड़ी यहीं पर अच्छे से चला सकते हैं।
दोस्तों मैं बस यही कहना चाहूंगी कि संयुक्त परिवार में बच्चे बड़े जो मिलकर रहते हैं सीखते हैं वह हम कहीं पर नहीं सीख सकते इसलिए हमें हमेशा संयुक्त परिवार में ही रहना चाहिए।
छोटी-छोटी खुशियों को हम संयुक्त परिवार में बांट सकते हैं त्यौहार तीज हम अच्छे से मिलकर बना सकते हैं अगर हमने संयुक्त परिवार में रहना छोड़ दिया ।
भाई बहन देवरानी जेठानी मामा मौसी के रिश्ते खत्म हो जाएंगे।
विधि जैन
#संयुक्त परिवार