सारा घर दुल्हन की तरह सजा था,तरह तरह की रोशनी की झालरों,फूलों,बल्बों से जगमगा रहा था रमेश जी
का घर,आखिर आज उनकी बड़ी बेटी काव्या का शुभ विवाह जो था।रमेश जी ने अपनी दोनो बेटियों को खूब
पढ़ाया लिखाया था ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे और उनका मानसिक और बौद्धिक विकास ही सके
लेकिन जब बड़ी बेटी के लिए महानगर के लड़के रितेश का रिश्ता आया जिसकी अच्छी नौकरी थी,घर
परिवार बहुत समृद्ध था तो रमेश सिर्फ अपनी आर्थिक कमजोरी की वजह से उस अच्छे रिश्ते को ठुकरा न
सके।अपनी जीवन भर की कमाई से लिया एक जमीन का टुकड़ा बेच कर उन्होंने पैसा लगाया था बड़ी
बिटिया काव्या के लिए।
दहेज में फ्रिज,गाड़ी,टीवी,महंगे उपहार,ज्वेलरी सभी कुछ देना पड़ रहा था उन्हें पर लड़के वाले अभी भी खुश
और संतुष्ट नहीं दिख रहे थे।
रमेश थके हुए से अपनी पत्नी राधा से बोले,बिटिया जरूर ब्याह रहा हूं पर मन बिल्कुल खाली है मेरा…पता नहीं
ठीक कर रहा हूं या नहीं, समधी समधन जी कुछ उखड़े हुए लग रहे हैं।
हमने जो वादा किया था ,उससे कहीं अधिक दिया है,अब वो खुश नहीं तो हम क्या करें?हताशा से राधा बोली।
कल को हमारी बेटी को परेशान किया तो?
रमेश जी का दिल धड़क उठा।तभी उनके परम मित्र राधे श्याम उनके पास आए…
रमेश भाई! विवाह कर रहे हो बिटिया का या सौदा?अभी मैंने लड़के के पिता का रवैया आपके लिए देखा,कैसे
सौदेबाजी कर रहे थे मिलाई के टीके के लिए आपसे।ऐसे कोई मांगता है क्या?
कोई बात नहीं..रमेश निगाह नीची कर बोले,बिटिया राजी खुशी विदा हो जाए,हमें और क्या चाहिए?
इतने लालची लोगों से जुड़ने से पहले सोचा होता,कल को हमारी बिटिया को परेशान करेंगे तो?क्या कमी है
उसमें?पढ़ी लिखी रूपवान,काम में कुशल और मधुर व्यवहार वाली है,उनका वंश आगे ले जाएगी,सारे घर को
संभालेगी,और क्या चाहिए?
क्या करता भाई,कोई अच्छा लड़का तैयार नहीं था अभी तक विवाह को,बड़ी मुश्किल से ये मिला है….कब तक
कुंअरि बैठाता लड़की को?रमेश बोले।
लेकिन किसी को तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी कभी नहीं तो ये सब लीगलाइज होता चला जाएगा समाज में..
क्या कर सकते थे हम?राधा दुखी होती बोली।
सबसे पहले हमें अपने बेटों को सही शिक्षा देनी चाहिए,वो दहेज के बिना शादी करें…लड़की मोटी है, नाटी
है,कमाती नहीं,स्मार्ट नहीं है,काली है कहकर रिश्ते न ठुकराए बल्कि उसका स्वभाव देखना चाहिए,उसके
संस्कार देखकर शादी को हां कहें।
बात तो आपकी ठीक है लेकिन आजकल समाज में लड़कियां भी कम नहीं हैं..उनकी बात के बीच में एक
दूसरा पड़ोसी शिव शंकर बोले जो उनकी बात सुन रहे थे।
वो कैसे?रमेश जी बोले।
हमारे पड़ोस में एक लड़के की शादी हुई,कुछ दिन सब कुछ ठीक रहा ,जब थोड़े समय बाद लड़की से घर के
काम करने को कहा गया वो टाल मटोल करने लगी,जब लड़के ने समझाने की कोशिश की उसकी मां इस
उम्र में काम करें और वो खाली बैठे,ये सही नहीं,लड़की ने उन लोगों पर आरोप लगाया कि वो उसका
मानसिक शोषण करते हैं,बेचारों को जेल की हवा खिलवा दी बहू ने झूठे आरोप लगाकर।
तौबा!तौबा!ये कैसा कलयुग आ गया है।राधे श्याम बोले..देखना..मेरा बेटा है अक्षय,उसकी शादी करूंगा तो
एक आदर्श उपस्थित करूंगा समाज के सामने।
भाई!लड़की की अच्छे से जांच पड़ताल कर लेना।साथ ही उसके परिवार की भी।
क्यों नहीं..राधे श्याम बोले,अब रमेश जी की बेटियों की ही ले लो,क्या इनके स्वभाव और संस्कारों में कोई
कमी है क्या?
थोड़े ही महीने बाद,अक्षय की शादी सोनाली से तय हुई जो एक स्कूल में प्राइमरी टीचर थी।
जब सोनाली के पिता रघुवर जी ने राधे श्याम से दहेज के लिए पूछा वो बोले..हमारे लिए दुल्हन ही दहेज है,हम
कोई दिखावा नहीं चाहते,न बहुत तड़क भड़क से शादी होगी,जो खर्चा दिखावे के हो ,क्यों न उसकी जगह वो
पैसा हम किसी एन जी ओ की दे दें।
सोनाली के पिता अचरज से भर गए,उनका गला भावनाओं से अवरूद्ध हो गया…क्या मैं कोई सपना देख
रहा हूं?
नहीं..ये सपना नहीं,हकीकत है रघुवर जी..राधे श्याम बोले।विवाह एक पवित्र संस्कार है,उसकी पवित्रता समाप्त
हो रही है जबसे विवाह को व्यापार बना दिया गया है।लड़के और लड़की वाले दोनों की सोच और दृष्टिकोण
बहुत ओछा और निम्न हो चला है।
सही कह रहे हैं आप..रमेश जी बोले,शादियां तो पहले भी होती थीं,बेटियां चुपचाप शादी कर लेती थीं जहां
उनके माता पिता उनका रिश्ता करते थे और निभा भी लेती थीं वो बिना पहले लड़के को देखे होने पर लेकिन
अब कितनी मुलाकातों,शर्तों के बाद भी शादी चल जाएगी,इसकी गारंटी नहीं. कोई भी झुकने,सामंजस्य
बैठाने को तैयार ही नहीं।
तो ऐसे में क्या किया जाए जो ये समस्या खत्म हो?रघुवर बोले।
देखिए!एक तो हर व्यक्ति को दोगला व्यवहार से बचना चाहिए,जब बेटी की शादी हो तो आदर्शवादी बन
जाए और बेटे की शादी में सारे आदर्श ताक पर रख दे।दूसरी बात,अपने बच्चों,बेटियों और बेटों दोनो को
उचित शिक्षा दे,लड़के जिससे विवाह करें उसका सम्मान करें,लड़कियां जिससे विवाह करें,उसे अपना
समझे,मायके वालों का लड़की की ससुराल में हस्तक्षेप कम हो।
सीधी सी बात ये क्यों नहीं कह देते यार! राधे श्याम बोले,जो व्यवहार दूसरों से चाहते हो ,पहले खुद करके
दिखाओ फिर कोई समस्या ही नहीं।अगर ऐसा हो जाए तो शादी फिर से शुभ विवाह में बदल जाएगी,एक
पवित्र संस्कार बन जाएगी जहां सात जन्मों का सुंदर रिश्ता बनेगा और हंसी खुशी परिवार आगे बढ़ेगा जिससे
एक सुंदर समाज की स्थापना होगी।
समाप्त
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली,दिल्ली
#शुभ विवाह