उम्मीद की उजास – लतिका श्रीवास्तव 

#एक_टुकड़ा

      “पांच हजार से एक रुपया कम नहीं लेंगे …..ओ बड़ी भाभी सुन लो,अपनी बिटिया के लिए तो नही किया अब अपनी देवरानी की बिटिया के लिए तो गांठ खोलो जल्दी ….कहां छुप कर बैठी हो बाहर आओ ….. हाय हाय बड़ी भाभी , हाय हाय बड़ी भाभी…”कमला के साथ अन्य सभी किन्नरों की मांग और आवाज़ दोनो बढ़ती ही जा रही थी…. अनु सब  सुन रही थी उसका बहुत ज्यादा मन था किन्नरों की सभी मांगे पूरी कर दे उनके साथ खुशी मना ले पर मनहूस हो चुकी थी अब वो पूरे घर के लिए……….

…एक साल ही तो हुआ था उसकी शादी को, ट्विंकल होने वाली थी कि अचानक एक सुबह सोमेश उसके पति की मृत्यु की दुखद खबर से उसकी दुनिया ही हिल गई…..

सोमेश बैंक में क्लर्क थे अनु भी उसी के साथ शहर में रहती थी पर अभी डिलीवरी के लिए ससुराल आ गई थी ।सोमेश उसे पहुंचा कर वापिस नौकरी पर चले गए थे,उसकी डिलीवरी हो गई ट्विंकल का जन्म भी हो गया पर सोमेश जिन्हे बेटी के जन्म का सबसे ज्यादा उत्साह था और अपनी पत्नी  की बेहद चिंता थी अपनी पुत्री के होने की खबर सुनकर भी नहीं आ पाए थे पूछने पर काम ज्यादा है छुट्टी नहीं मिल पा रही है तीन चार दिनों में आता हूं कह कर चार दिनों तक भी नहीं आए फिर अचानक उनकी मौत की खबर आई…..

सुनते ही सास ने अनु और ट्विंकल दोनों को मनहूस की उपाधि देते हुए डायन और राक्षसी तक कह दिया…..हर घरेलू खुशी के अवसरों से उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया….एक अंधेरी कोठरी ही उसके और उसकी बेटी का जीवन थी अब ।सोमेश के यूं अकस्मात जाने से वो वैसे ही बदहवास थी ऊपर से इस उपेक्षा अपमान और सबके कुटिल तानों ने उसका जीना मुहाल कर दिया था…….


आज उसकी देवरानी की बेटी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा था,उसे रह रह कर सोमेश की याद आ रही थी वो होते तो ट्विंकल के जन्म का भी उत्सव होता पर आज वो दोनो तो पूरे घर के लिए मनहूस थे जिनकी छाया भी आज के उत्सव पर नहीं पड़नी चाहिए थी…..अपनी कोठरी की खिड़की से ट्विंकल के साथ किन्नरों का नृत्य देखते हुए उसे  सबसे तेज तर्रार किन्नर कमला ने देख लिया और  बस तब से पीछे लग गई….वस्तु स्थिति से पूर्णतया अनभिज्ञ कमला उसे तब तक बुलाती रही जब तक कि अनु की सास की कड़ाके दार आवाज़  कि  “कमला उस मनहूस का नाम मत लेना आज,मेरे बेटे को तो ये खा ही चुकी है…इधर आ मैं देती हूं तेरे को ये शुगुन के 5000 भी और ये 5000 इसके मनहूस साए से मेरे परिवार को बचाने के ये ले ”   कहते हुए उन्होंने 10000 रू कमला के हाथ में रख कर  खिड़की से झांकती उन चार आंखों पर मानो लाल मिर्च पाउडर झोंक दिया

उजाले की उम्मीद में खुली वो छोटी सी खिड़की पूरी तरह अंधेरे में डूब गई, अनु स्तब्ध थी ट्विंकल सहम गई थी “मां मनहूस किसे कहते हैं!! क्यों दादी हम दोनों को मनहूस कहती रहती हैं !! मेरे भी पापा कब आयेंगे मां मुझे यहां नही रहना मुझसे कोई बात नही करता सब दूर रहते हैं…ऐसा क्या किया है मैने…!!मुझे पापा के पास जाना है…..”

 

सोमेश की रहस्यमयी मौत अनु की ज़िंदगी में एक ऐसा चक्रवाती तूफान बन कर आई थी जिसमें वो और उसकी अबोध बच्ची बुरी तरह फंसते जा रहे थे बाहर निकलने का कोई भी रास्ता नहीं दिख रहा था…आज पूरे समाज रिश्तेदार और किन्नरों के सामने हुई बेइज्जती ने उसकी आत्मा के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे….ट्विंकल के मर्मांतक मासूम प्रश्न हथौड़े प्रतीत हो रहे थे उसे….घोर नैराश्य और असहनीय पीड़ा से क्षत विक्षत अनु ने ट्विंकल का हाथ पकड़ा और बोली,” चल तुझे पापा के पास ले चलती हूं तेरे पापा तो आयेंगे नही यहां हम दोनो ही चलते हैं….”


दरवाजा खोलकर वो कब सड़क पर आ गई और कब उस तेज धार वाली नदी के किनारे आ गई उसे पता ही नहीं चला … “क्या करने जा रही हो भाभी कहते हुऐ दो मजबूत हाथों ने उसे पकड़ कर झिझोड़ सा दिया..”… कमला उसके पीछे पीछे यहां तक आ गई थी उसे पता ही नही चला….   “क्या करूं कमला !! अब मेरा कौन है किसके भरोसे अपनी और अपनी बच्ची की जिंदगी संवारू….इसके पापा के पास जाने के अलावा कोई रास्ता ही नही बचा मेरे लिए “….कमला के स्नेह को पाकर मानो अनु की दबी हुई वेदना दुगनी रफ्तार से फट पड़ी फूट फूट के रो पड़ी वो…..

“अरे भाभी ये रोना धोना बंद करो मेरी तरफ देखो ईश्वर ने मेरे साथ जो मजाक किया है मेरी जिंदगी तो मजाक ही बन गई है !मुझे तो तभी मर जाना चाहिए था ,जब मेरे माता पिता ने मुझे धक्के देकर अपने ही घर से बिना कुसूर के निकाल दिया था,मैं कितना रोई थी गिड़गिड़ाई थी मुझे मां के पास रहने दो रहने दो….पर बेरहमी से मेरे घर का दरवाजा मेरे लिए हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था…मेरा क्या कुसूर था आप ही बताओ …बिना किसी कुसूर के मैं अपने ही माता पिता ,समाज परिवार की प्रतिष्ठा के लिए कलंक बन गई …! क्यों???ये समाज के तानों का हिम्मत से मुकाबला करो उनके आगे घुटने नही टेको….

अनु अवाक सी उसे देखे जा रही थी बस….

” भाभी आज से मैं आपके साथ हूं,मुझे अपनी दोस्त मानो,आपका दुख मेरा दुख है, हिम्मत करो ,आपकी ये प्यारी निर्दोष बेटी ट्विंकल की आने वाली जिंदगी हम मिलकर रोशनी से भर देंगे,चलो….. आपके पति की मौत कैसे हुई ये पता लगाना पुलिस का काम है पर आपके पति की जगह आपको नौकरी कैसे मिले ये पता लगाना हमारा काम है …..!!चलो अब तो हंस दो भाभी ट्विंकल को गोद में उठाते हुए कमला ने कहा तो ट्विंकल के साथ अनु की आंखों में भी फिर से  उम्मीद की एक नई किरण चमक उठी और वो कमला के साथ अपनी जिंदगी की जंग जीतने चल पड़ी।

सादर

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