तलाश, एक टुकड़ा जिंदगी की – नीलिमा सिंघल 

घर पर जमघट लगा हुआ था लोगों का तांता लगा हुआ था पुलिस की गाड़ी और एम्बुलेंस की आवाजें कानो में चीख रही थी, 

 4 साल की अनन्या इतने अजनबियों को देखकर रोये जा रही थी और सावित्री…..सावित्री एकटक पंखे से लटके निर्जीव पड़े शशांक को देखे जा रही थी, जिसे पुलिस वाले ध्यान से नीचे उतार रहे थे,सफेद ड्रेस पहने लड़के शशांक को अब एम्बुलेंस में रख रहे थे,  

तभी गीता उसकी मेड ने घर मे प्रवेश किया तो चौंक गयी ,अभी  कल ही तो अनन्या का चौथा जन्मदिन मनाया था और शशांक के ही कहने से किसी को नहीं बुलाया था कितने तो खुश नजर आ रहे थे सब फिर उसके जाने के बाद…..

इससे आगे गीता सोच ही नहीं पायी रोती हुई अनन्या को गोदी में लिया किसी अपने का हाथ महसूस होते ही अनन्या चुप हो गयी,  गीता ने अनन्या को नहलाया और दूध देकर सुला दिया। 

सावित्री अभी भी बेसुध सी पंखे को ही देखे जा रही थी, 

गीता ने आकर उसको झिंझोड़ डाला “भाभी!!भाभी!! उठो ना भाभी!!!भाभी होश मे आओ। ।

जैसे ही सावित्री को सुध आयी बिलख बिलख कर रो पड़ी,,,

लाश को हॉस्पिटल भेजकर इंस्पेक्टर संदीप अंदर आया और गीता की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगा, 

अपनी तरफ देखता पाकर गीता बोली ” साहब मैं गीता, काम करती हूं अनन्या को देखती हूँ “

इंस्पेक्टर संदीप ने सावित्री की तरफ देखा और पूछा “आखिरी बार आपने अपने पति को जीवित कब देखा था?”


सावित्री का रूदन बंद नहीं हो रहा था उसको हालात समझ ही नहीं आ रहे थे रात तक नाच गा रहे थे झूम रहे थे कितने ही महीनों बाद गिटार बजाया था शशांक ने, सैवी  यही तो कहता था शशांक उसको जो उसने 6 महिने बाद कल फिर कहा,  सावित्री को लगा था कि खोया खोया शशांक वापस आ गया पर वो तो हमेशा के लिये जाने को आया था ये क्यूँ नहीं समझ पायी “

सोचते सोचते फिर से सावित्री की आँखों से गंगा यमुना बहने लगी, सावित्री को समझ ही नहीं आ रहा था ये क्या हो गया उसके साथ उसकी लाडो अनन्या के साथ। ।

गीता ने ही इंस्पेक्टर को बताया “कल अनन्या का जन्मदिन था कल सब बहुत खुश थे साहब भी 1 महीने बाद टूर से लौटे थे वो खुद 11 बजे के बाद घर गयी थी रात को “

इंस्पेक्टर ने बहुत ध्यान से सब देखा पर उसको कंही कुछ भी अलग सा नहीं लगा, आत्महत्या का केस फाइल कर दिया,

आज 1 साल हो गया सावित्री को लड़ते जिंदगी से क्यूंकि शशांक के जाने के बाद दौड़भाग अकेले ही की थी सारी,  ऐसे मे उसकी सबसे बड़ी सहायक बनी गीता, जो अनन्या का ध्यान रखती थीं, 

शशांक के जाने के बाद से गीता सावित्री के साथ ही रहने लगी थी ।

गीता की माँ सावित्री के पीहर मे काम करती थी और अपने सभी चार बच्चों मे गीता को ही डांटती रहती थी जो सावित्री को अच्छा नहीं लगता था तो गीता से एक हमदर्दी का रिश्ता बन गया था सावित्री का, 

बार बार माँ से पूछती कि काकी गीता से ऐसा व्यवहारिक क्यूँ करती हैं तब एक दिन तंग आकर सावित्री की माँ ने उसको बताया कि ” गीता एक किन्नर है, ना लड़की ना लड़का,, गीता के बाप ने सबको मना कर दिया था गीता का सच किसी को भी बताने से , इसीलिए गीता की माँ उससे नफरत करती है,,,

 

जब सावित्री का विवाह हुआ तो कुछ समय बाद माँ से बात करके गीता को अपने घर ले आयी थी सावित्री ,


उसने शशांक से भी गीता के सच का कभी जिक्र नहीं किया और हमेशा ही उसकी सहायता करती थी, 

शशांक टूर पर जता बेफिक्र होकर क्यूंकि गीता और सावित्री भले है मालकिन और मेड हो पर रिश्ता दोस्ती का था। 

गीता ने सावित्री के कन्धे पर हाथ रखा तो सावित्री अपने वर्तमान मे वापस आयी और गीता से बोली ” गीता तुम नहीं होती तो सब कैसे होता, तुम मेरा सबसे बड़ा संबल हो “

गीता ने कहा ” दीदी अभी अनन्या बहुत छोटी है उसकी देखभाल शिक्षा मे काफी पैसा लगेगा, कुछ ना कुछ तो करना हो पड़ेगा या फिर तुम दूसरा विवाह कर लो “

“तू पागल हो गयी गीता, मैं विवाह नहीं करूंगी,  मेरी पास तू है अनन्या है सब सही हो जाएगा और सर्विस के लिए भी तैयारी तो कर ही रहीं हूं, “

MBA कर रखा था सावित्री ने पर शशांक ने कभी भी नौकरी नहीं करने दी और आज उसी डिग्री के बल पर 3 महीने की कोशिश के बाद सूर्या मार्केटिंग मे HR की पोस्ट मिल गयी सैलरी भी 27 हजार थी , शुरुआत मे ही अच्छी पोस्ट मिल जाने से सावित्री बहुत खुश थी, 


शाम को घर आते ही गीता और अनन्या को सागर किनारे ले गयी जो कि शशांक की सबसे पसन्द की जगह थी,, रेत पर अपने और शशांक का नाम लिखते ही सावित्री एक बार फिर बिलख पड़ी क्यूंकि उसको आज तक भी नहीं पता कि उसका शशांक उसका पति उसको और अनन्या को छोड़कर क्यूँ गया,,,,क्यूँ उसने इतना बड़ा और भयानक कदम उठाया, 

अनन्या उसके पास आकर बैठ गयी और अपने नन्हें हाथो से उसके आंसू पूछने लगी,, गीता ने आकर अनन्या को गोदी मे लिया और सावित्री का हाथ पकड़कर कहा चलो दीदी,,,,, गए लोग वापस नहीं आते पर आप उन्हें प्यार से याद कीजिए रोते हुए नहीं। ।।।

सावित्री गीता और अनन्या के साथ वापस लौट पड़ी,,,सागर की लहरों ने उसका और शशांक का नाम मिटा दिया रेत से,,,

गीता भले ही किन्नर थी पर उसकी दोस्त भी थी अनन्या उसकी बिटिया उसके पास थी जिनके लिए उसको नयी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाने ही हैं ।।

इतिश्री 

शुभांगी

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