तिल तिल कर टूटता परिवार – कामिनी मिश्रा कनक

पिताजी मेरी नौकरी लग गई मै अब शहर जाऊंगा नौकरी करने । 

अब सब अच्छा होगा , हमारे भी अच्छे दिन आ गए पिता जी ।

अनिल – मां कहां है तु ….???

पिता:- अनिल मां मंदिर में है तेरे लिए प्रार्थना कर रही है ।

अनिल – ठीक है पिताजी मां जैसे ही आएगी मुझे शहर को निकलना पड़ेगा । 

कल से मेरी जॉइनिंग है ।

पिता- अनिल तुम्हारी खुशी में ही हम सब की खुशी है ।

परंतु तुम्हें याद है ना तुम्हारे बड़े भाई ने क्या किया हम सब के साथ , वह भी नौकरी करने शहर शहर गया ।

अनिल-  हाँ  हाँ   पिताजी मुझे सब याद है । 

 भैया और भाभी आज अपने परिवार के साथ खुश हैं ।

पिता- बस तुम्हारी माँ को यही चिंता  है कि तू भी हम सब को छोड़कर शहर ना चले  जाओ ।

यह शब्द बोलते बोलते ……




पिता के चेहरे पर कुछ शिकन और आंखों में नमी सी आ गई ।

लेकिन पिता ने अनिल को जाहिर नहीं होने दिया ।

अनिल पिता के चरणों को छूते हुए , पिताजी मुझे आज ही निकलना होगा ।

मैं माँ  से मंदिर में ही मिल लूंगा ।

पिता :- अनिल तुम जहां भी रहो खुश रहो  ।

अनिल शहर पहुंचकर एक रूम लेता है और उसमें रहने लगता है ।

 कुछ समय बाद ही अनिल की नौकरी में भी बरकत होने लगती है।

कुछ पैसे पिता को गांव भी भेजने लगा , काम में व्यस्तता के कारण अनिल अपने माता-पिता से मिलने भी नहीं जा पाता है ।

काफी दिन बीतने के बाद

 माँ  ने अनिल को फोन किया ।

माँ  – अनिल तू ठीक तो है , बेटा तू तो शहर जाकर के हम सबको भूल ही गया ।

अनिल – माँ मैं ठीक हूं , माँ आप इतना चिंता क्यों करती हो मैं कोई छोटा बच्चा हूं क्या ..?




 माँ  या तो मैं पैसे कमा लूंगा , या आप लोगों के पास रहूंगा ।

कोई एक ही काम कर सकता हूं ।

और आप लोगों को क्या दिक्कत है , मैं पैसे तो आपको भेजता ही हूं ना ।

माँ  कुछ कहती ,  उससे पहले ही अनिल में फोन रख दिया ।

अनिल की माँ  – अनिल के पिता से – अनिल तो हम सबको भूल ही गया । शहर में पता नहीं समय पर खाना भी खाता होगा या नहीं ।

अनिल के माता-पिता की आंखें नम हो जाती है ।

इधर अनिल तो शहर में ही नंदिनी नाम की लड़की से शादी कर लेता है ।

नंदनी अनिल के दफ्तर में काम करती हैं ।

आज अनिल अपने परिवार के साथ खुश  है ।

नंदनी बचपन से ही शहर में रही है इसलिए वह गांव नहीं जाना चाहती है । और अनिल अपने माता-पिता की खुशी को भूलकर नंदिनी के साथ खुश रहने लगता हैं ।

अनिल की मां – बरसों बीत गए  अनिल को शहर गाए हुए ।




अब तो कोई खबर भी नहीं है ।

अनिल के पिता -अनिल की मां को समझाते हुए,

क्यों चिंता करती है हमारे बच्चे आज अपने परिवार के साथ में खुश हैं । तुम्हारे साथ मैं हूं ना तुम्हारा ध्यान रखने के लिए ।

अनिल के पिता की आंखें नम हो जाती है ।

कामिनी मिश्रा कनक 

फरीदाबाद

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