तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“अरे रिया बेटा! अब फोन को किनारे रखो और शादी की तैयारियों में लग जाओ।पता है ना बस महीना भर रह गया।”रिया को प्यार से सहलाते हुए सरोज बोली।माँ का प्यार भरा स्पर्श पाकर रिया फोन छोड़ सरोज के गले लग गई और रोते रोते बोली -“माँ,तुमसे कैसे दूर रह सकूंगी?मेरे लिए तुम हो तो सब कुछ है,तुम नहीं तो कुछ भी नहीं।

शादी के बाद तो तुम्हारे इस प्यार भरे कोमल स्पर्श के लिए भी तरस जाऊंगी।तुम्हारा यही स्पर्श तो आज तक मेरी ताकत बना रहा।जब जब भी मैं कमजोर पड़ी तुम्हारी बांहों ने मुझे सहारा दिया।अब कौन तुम्हारी तरह मुझे संभालेगा?”

“पगली ऐसा क्यों सोचती है?अब तुझे तेरा पति इतना प्यार देगा,कि तू मुझे भूल जाएगी।”
“नहीं माँ,ऐसा कभी नहीं हो सकता।मैं मरते दम तक तुमको नहीं भूला सकती।तुमने मुझे माँ का ही नहीं पिता का भी प्यार दिया है।” बेटी की बातें सुनकर सरोज की आंखों में आसूं आ गए।साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछते हुए बोली –

“चल अब फालतू की बातें छोड़ और समान की लिस्ट बना क्या क्या खरीदारी करनी है?”

रिया सरोज के साथ खरीददारी की लिस्ट बनाने बैठ तो गई पर माँ से दूर जाने की सोच से अभी भी वो विचलित हो रही थी।ऐसा नहीं है कि रिया शादी के लिए तैयार नहीं थी। सत्ताइस साल की हो गई थी।पढ़ाई पूरी हुए और एमएनसी में नौकरी करते तीन साल हो गए। एक साल से उसके लिए रिश्ता खोजते खोजते सरोज ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया,तब जाकर रोहित और उसके परिवार वालों से रिश्ता जुड़ा।

सुगनी काकी  – पुष्पा जोशी

रोहित विदेश में नौकरी करता था।रिया पिछले तीन महीने से उससे वीडियो चैट कर रही है। पिछले एक महीने में तीन-चार मुलाकात भी कर चुकी थी।रोहित आकर्षक व्यक्तित्व का तो धनी था ही इसके साथ साथ वो उच्च पद पर आसीन था।बड़ा ही हंसमुख और खुले विचारों वाला भी था। उसके घर वाले भी काफी समझदार और अच्छे स्वभाव के थे फिर भी रिया का मन जाने क्यों डाँवाडोल हो रहा था।

रिया जब पांच वर्ष की थी तभी उसके पिता का देहांत हो गया था।जब से उसने होश संभाला सरोज को संघर्ष करते देखा।सरोज ने कभी उसे किसी चीज की कमी नहीं होने दी।वो नौकरी करती और घर भी संभालती थी।

रिया यही सोचती थी,कि वो कभी शादी नहीं करेगी हमेशा अपनी माँ के साथ रहेगी और उसका सहारा बनेगी।जब भी कोई शादी के लिए रिश्ता आता तो वो ना कर देती।ऐसे करते करते ही वो सत्ताइस साल की हो गई।

सरोज को अब बेटी की चिंता सताने लगी,उसने रिया को बहुत समझाया कि आज तो मैं हूं पर मेरे जाने के बाद अकेले कैसे वो जीवन व्यतीत करेगी? तब जाकर बड़ी मुश्किल से रिया ने शादी के लिए हां की।

सरोज ने रिश्ते देखने शुरू कर दिए…कहीं लड़का पसंद आता तो कुंडली नहीं मिलती और कहीं कुंडली मिलती तो लड़का पसंद नहीं आता।कभी कभी तो लड़के वाले ये सोचकर पीछे हट जाते कि लड़की का ना पिता है ना भाई तो लड़की का ध्यान तो हमेशा अपनी माँ में ही लगा रहेगा।

ये एक रिश्ता ऐसा मिला जहां रिया और रोहित की कुंडली भी मिल गई और दोनों एक दूसरे को पसंद भी आ गए। परिवार की भी सहमति मिल गई।बस रिया और सरोज को यही बात अखर रही थी कि लड़का विदेश में है..वो कहते हैं ना कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता..कोई न कोई कमी तो रह ही जाती है।

नक़ाब – ममता गुप्ता

बड़ी मुश्किल से इतना अच्छा रिश्ता मिला था इसलिए सरोज हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी।रिया को भी रोहित पसंद आ गया था पर वो माँ से दूर नहीं जाना चाहती थी..इसलिए पहले ना नुकुर करती रही बाद में सरोज के मनाने पर मान गई।

सरोज और रिया काम में व्यस्त थीं तभी डोर बेल बजी।रिया ने दरवाजा खोला तो देखा उसकी खास सहेली मंजू थी।मंजू ने रिया को शादी की बधाई दी फिर उसे खुशी से गले लगा लिया।

रिया मंजू को अपने कमरे में ले गई। बातों का सिलसिला शुरू हो गया। रिया अपने दिल का हाल मंजू को बताते हुए बोली -“पूछ मत यार..आशंका से दिल डूबा जा रहा है।

खुशी से ज्यादा डर लग रहा है।माँ को अकेला छोड़ कर कैसे जाऊंगी? जिस माँ के सहारे मैं बड़ी से बड़ी परिस्थिति का सामना कर लेती थी उसको देखने के लिए भी तरस जाऊंगी ।

पराया देश अपरिचित लोग नए रिश्ते और जिम्मेदारियां डरती हूं कैसे निभा पाऊंगी?रिया और मंजू अभी बातें कर ही रहीं थी कि तभी रोहित का फोन आ गया।रिया मंजू के सामने फोन करने से शर्मा रही थी..ये देख मंजू कमरे से बाहर चली गई।

“हेलो,रिया कैसी हो?अब तो हमारे तुम्हारे मिलने की घड़ियां नजदीक आ रहीं हैं..मैं तो एक एक दिन गिन गिनकर काट रहा हूं।”
“मैं ठीक हूं,बस थोड़ा मन में कहीं ना कहीं माँ से दूर जाने का दुख है..क्योंकि अब तक उन्होंने ही मुझे संभाला है।”
“रिया डरो नहीं।

मैं और मेरे परिवार वाले भी तुम्हारा वैसे ही ख्याल रखेंगे जैसे तुम्हारी मम्मा ने रखा।मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि जैसे मैं अपने मम्मी पापा का बेटा हूं,वैसे ही तुम उनकी बेटी रहोगी।जहां तक मेरा सवाल है,मैं कदम – कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगा।

जब तुम कहोगी तुम्हें तुम्हारी मम्मा से मिलवाने ले आऊंगा।अपने प्यार ,समर्पण और विश्वास से तुम्हारा जीवन खुशियों से भर दूंगा ये मेरा वादा है ।” रोहित की बातों से रिया आश्वस्त हो गई उसके चेहरे पे  मुस्कुराहट आ गई।

बाल-विधवा – पुष्पा पाण्डेय

“थैंक्यू रोहित आपने मेरी आज सारी दुविधा दूर कर दी।मैं भी आपसे वादा करती हूं..कि अपने प्यार की खुशबू से आपके जीवन को महका दूंगी।”कहकर रिया ने फोन रख दिया।

मंजू कमरे में आई तो रिया के चेहरे की मुस्कुराहट देखकर समझ गई कि रिया को उसकी शंकाओं का समाधान मिल गया है।
आखिरकार रिया और रोहित का शुभ विवाह हो गया।रिया रोहित के साथ विदेश चली गई।रोहित ने रिया को इतना प्यार दिया कि वो सारे दुख भूल गई।रोहित ने कभी माँ बनकर उसके आंसू पोंछे तो कभी पिता जैसा स्नेह दिया।

एक दिन रिया भावुक होकर रोहित से बोली -“रोहित, मैंने पिता को बहुत जल्दी खो दिया था..मुझे तो उनकी छवि भी ठीक से याद नहीं पर तुम्हें देखकर लगता है,

कि वो बिलकुल तुम्हारी तरह ही होंगे।पहले मैं अपनी माँ को ही सब कुछ समझती थी..लगता था कि उनके बिना कैसे रह पाऊंगी?पर तुम्हारे प्यार और समर्पण ने पिता की कमी तो पूरी की ही साथ ही मुझे माँ से दूर रहने की हिम्मत भी दी।सच अब तो ये लगता है,कि तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है।”

रिया की बातें सुनकर रोहित की आंखें भी नम हो गईं।उसने प्यार से रिया को अपनी बांहों में भरकर ये एहसास दिलाया कि सच में उसके होते उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।
रिया न भी रोहित की बांहों में सिमटकर उसे ये विश्वास दिलाया,कि वो जिंदगी भर यूं ही उस पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करती रहेगी।

दोस्तों यदि जीवनसाथी प्यार करने वाला और साथ निभाने वाला हो तो फिर जिंदगी की कमियां भी उसके आगे बौनी लगने लगती हैं।और इस तरह एक दूजे की आपसी समझ से दांपत्य जीवन शुभ और मंगलमय हो जाता है।

कमलेश आहूजा

#शुभ विवाह

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