तन सुंदर या मन सुंदर – मुकेश पटेल

नंदिनी अपने कमरे में तैयार हो रही थी लड़के वाले जो देखने  आने वाले थे। नंदिनी को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह आखिर सजे सँवरे तो कैसे  क्योंकि देखने में साँवली थी या साफ शब्दो मे कहे तो काली थी। तभी किचन से उसकी सौतेली मां रमा की आवाज आई अरे ओ नंदिनी कब तक ऐसे ही बैठी रहेगी जब लड़के वाले आ जाएंगे तब क्या सजेगी चल जल्दी से सजके आ जा और मेरे साथ किचन में भी हाथ बटा।

महारानीजी, जो तमाशा हमेशा होता आया है, आज भी होगा. लड़के वाले आएंगे, खूब खाएंगे पीएंगे और फिर आप का यह कोयले जैसा काला रूप देख कर मुंह बिचका कर चले जाएंगे.’’

अपनी मां कि इस तरह की ताने मारते हुए  नंदनी बिलकुल ही रोने जैसी हो गई थी।

उसी समय रमा के पिता जी महेश बाबू रसोई घर में प्रवेश कीये तभी रमा महेश बाबू पर पूरी तरह से गुस्से में हो गई मैंने तो बोला ही है आप क्या रोज रोज ड्रामे के चक्कर में पड़ते हैं जब आपको पता ही है शादी तो होनी नहीं है।



सारे पैसे ऐसे ही खत्म हो जाएंगे तो हम अपनी बेटी श्वेता की शादी कैसे करेंगे यह कभी सोचा है आपने अब तक 10 लोगों ने नंदिनी को नापसंद करके चले गए हैं।  इसने पर महेश बाबू बहुत गुस्सा हो गए तुम क्या चाहती हो नंदनी को कुंवारी रख दूँ। उसकी शादी ना करूँ।

रमा ने बोला मैंने ऐसा तो नहीं कहा  आप इसको कुंवारी रख दो अगर आप चाहते हो कि नंदिनी की  शादी जल्दी हो जाए तो आपको इसी तरह के लड़का भी देखना पड़ेगा।

अब आप लड़का देखकर आते हो गोरा चिट्टा अब आप ही बताओ कोई गोरा चिट्टा लड़का इस काली लड़की को कैसे पसंद करेगा।

इसकी वजह से हम अपनी बेटी श्वेता की भी शादी नहीं कर पा रहे हैं लगता है उसको भी इसी कारण अपने बाल सफेद करने पड़ेंगे।

बातों में बातो मे श्वेता भी  वहां पर आ गई थी और बोली माँ आप क्यों दीदी को दिनभर ताने देते रहती हो।

आखिर वह भी तो हमारी बहन ही है कोई ना कोई इनके लिए भी तो बना ही होगा सपनों के राजकुमार।  रामा बोली तू तो चुप ही रह बड़ा आई इसको सपनों की राजकुमार ढूंढने। तभी श्वेता का भाई राहुल घर में हल्ला मचाते हुए प्रवेश किया दीदी को देखने जीजा जी आ गए।

महेश बाबू मेहमानों का स्वागत करते हुए पर में मैं बिठाया।



श्वेता  को मेहमानों के सामने आने से मना कर दिया गया था  क्योंकि कई बार लोग आते तो थे नंदिनी को देखने लेकिन श्वेता को पसंद करके चले जाते थे।

और बोलते थे अगर आप अपनी बेटी श्वेता की शादी हमसे करोगे तो बोलो इस वजह से श्वेता को जब तक मेहमान घर में रहते उसे बाहर निकलने से मना कर दिया जाता था।

कुछ देर के बाद नंदिनी मेहमानों के सामने चाय लेकर आई और सबके पैर छुए महेश बाबू ने नंदनी का सब से परिचय कराया।  जैसे ही महेश बाबू ने नंदिनी को बताया कि यही लड़की है जिससे शादी होने वाली है तब तक नंदिनी की होने वाली सास पूरी तरह से आग बबूला हो गई।

आपने सोच कैसे लिया कि हम ऐसी लड़की से शादी करेंगे आपने तो हमें बताया था कि लड़की गेहुआ रंग की है तो हमने सोचा चलो कोई बात नहीं लड़की बैंक में नौकरी करती है गेहुए रंग क भी  तो क्या हुआ। लेकिन लड़की तो बिल्कुल ही काली है पैसे के लिए क्या हम अपने बेटे की जिंदगी बर्बाद कर देंगे लोग क्या कहेंगे अपने लड़के को बेच दिया।

भाई साहब माफ करो हमें शादी नहीं कर सकते हैं।  हमेशा की तरह इस बार भी नंदिनी का शादी का सपना टूट गया था वह दौड़ के  अपने कमरे में वापस आई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ।

तभी उसकी छोटी बहन श्वेता कमरे में प्रवेश करें और दीदी को चुप कराते हुए बोली दीदी चुप हो जाओ इन लोगों को क्या पता तुम्हारी सुंदरता के बारे में यह तो सिर्फ तुम्हारी बाहरी सुंदरता देखते हैं।



मेरी दीदी कितनी अच्छी है यह इनको कहां पता है तुम देख लेना तुम्हारे लिए  ऐसा राजकुमार आएगा जो तुम्हें बहुत प्यार करेगा वह तुम्हारी बाहरी सुंदरता से नहीं बल्कि तुम्हारी अंदर के सुंदरता से प्यार करेगा।

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं अब तुम चुप हो जाओ  और श्वेता चली गई ।

अगले दिन  नंदिनी अपने पिता महेश बाबू से साफ-साफ बोल दिया कि पापा आज के बाद आप मुझे कोई भी लड़का नहीं देखोगे जब किस्मत में शादी होगी होनी तो हो जाएगी आप चाहे तो श्वेता की शादी कर सकते हो मैं नहीं चाहती हूं कि मेरी वजह से श्वेता की शादी में लेट हो।

नंदनी ऐसा कह कर बैंक चली गई क्योंकि वह बैंक में क्लर्क की जॉब करती थी और साथ ही प्रशासनिक सेवा की भी तैयारी करती थी अब उसने अपना पूरा ध्यान सिविल सर्विसेज की तरफ लगा दिया था और इस साल प्रशासनिक विभाग आईएस में सिलेक्ट भी हो गई।

ट्रेनिंग के बाद उसकी पोस्टिंग उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में हुई अब उसने अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा दिया था।  नंदिनी एक इमानदार ऑफिसर थी अपने इलाके के लोगों को हर चीज में सहायता पहुंचाती थी सरकार के योजनाओं के बारे में लोगों को बताती थी बहुत कम समय में ही वह वहां  अपने काम से प्रसिद्ध हो गई।

उसी साल उसकी छोटी बहन श्वेता की शादी ठीक हो गई थी।  वह शादी में गिफ्ट खरीद के लाई थी क्योंकि वह अपनी छोटी बहन से बहुत ज्यादा ही प्यार करती थी।



जैसे ही नंदनी घर आई सारे मेहमान आपस में कानाफूसी करने लगे महेश बाबू ने अपनी बड़ी लड़की की शादी तो की नहीं और छोटी लड़की की शादी करने चल दिये।  

लगता है अब यह कुंवारी ही रह जाएगी लेकिन नंदिनी ने किसी की बातों को कोई जवाब नहीं दिया बारात आया और श्वेता की शादी धूमधाम से हो गई।

अगले एक दो  दिनों में श्वेता भी  अपने जॉब पर वापस लौट गई थी।  गढ़वाल में ही एक एनजीओ के हेड राजेश जी से मुलाकात हुई राजेश जी महिलाओं के विकास के लिए काम करते थे।

इस दौरान राजेश और नंदिनी की अक्सर मुलाकात होने शुरू हो गई धीरे-धीरे राजेश नंदिनी को पसंद करने लगे 1 दिन की बात है राजेश ने नंदिनी को अपने घर डिनर पर बुलाया। नंदिनी ने पूछा कौन हैं आपके घर पर राजेश ने बोला बस कोई नहीं बस एक मां है अच्छा तो आपने अभी तक शादी नहीं की राजेश ने बोला अभी तक कोई मिली ही कहा आपके जैसी सुंदर सुशील यह बात सुनते ही नंदिनी जैसे शरमा ही गई थी।

वह बोली यह तो आपकी बड़प्पन है राजेश जी वरना मैं सुंदर कहां हूं यह तो आपको भी पता है अगर मैं सुंदर होती तो मेरी भी शादी कब की हो चुकी होती।  राजेश अरे नहीं नंदिनी जी कौन कहता है आप सुंदर नहीं सुंदर सिर्फ तन से नहीं होता है असली सुंदरता तो इंसान का दिल होता है उसका व्यवहार होता है।

बातें करते-करते राजेश नंदनी के साथ अपने घर पहुंच चुके थे।  उस दिन कड़ी चावल बनाया था राजेश की माँ ने। राजेश ने बोला मां ये है इस जिले के कलेक्टर यह मेरी मां है यह बहुत अच्छी कढ़ी चावल बनाती है तो मैंने सोचा क्यों ना आज आपको कड़ी चावल ही खिलाया जाए।



मेरा भी पसंदीदा भोजन है धीरे-धीरे वक्त के साथ  नंदनी राजेश को चाहने लगी। राजेश ने नंदिनी को अपने प्यार का इजहार कर दिया लेकिन नंदिनी ने बोला मैं ऐसे अपने मन से शादी नहीं कर सकती।

इसके लिए मेरे पिताजी से बात करना होगा तो राजेश ने बोला इसमें क्या बात है हम कल ही मां और मैं तुम्हारे घर हरिद्वार चले जाएंगे ।

फोन पर ही नंदिनी ने अपने पिताजी को बता दिया था कि लड़के वाले देखने आएंगे और यह भी बता दिया कि इसमें डरने की बात नहीं है वह तो सिर्फ फोर्मीलिटी  है।

राजेश जी बहुत अच्छे इंसान हैं और वह मुझे बहुत पसंद करते हैं उस दिन महेश बाबू को ऐसा लगा उनके सीने से एक बहुत बड़ा बोझ हट गया।

क्योंकि लड़की चाहे कितनी भी बड़ी पोस्ट पर चली जाए अगर उसकी शादी नहीं होती है तो बाप के  लिए इससे बड़ा अपमान की कोई बात नहीं होती है।

क्योंकि हर बाप का सपना होता है कि वह अपने जीते जी अपनी लड़की के हाथ पीले कर दी सुबह होते ही राजेश और उनकी मां नंदिनी के घर पहुंच चुके थे उसी दिन नंदिनी और राजेश की शादी की तारीख भी फिक्स हो गई थी नवंबर में उन दोनों की शादी थी। शादी खूब धूमधाम से हुई।

इसलिए दोस्तों अगर आप की बाहरी सुंदरता चाहे कितनी भी खराब हो अगर आप की अंदर की सुंदरता अच्छा है तो आपको कोई ना कोई अच्छा मिल ही जाता है जो आपको दिल से पसंद करें।

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