अपने बच्चे भी स्वार्थी हो सकते हैं – के कामेश्वरी

शैलजा कार के हार्न की आवाज़ को सुनते ही रसोई में चाय बनाने चली गई थी । यह रोज का ही सिलसिला था कि शाम होते ही बेटा बहू के ऑफिस से आने से पहले ही वह चाय के लिए पानी चढ़ा देती थी और उनके फ्रेश हो कर आते ही चाय बना देती थी … Read more

तलाक -रिश्ते का अंत,या फिर से शुरुआत – रचना कंडवाल

आस्था कोर्ट से वापस लौटी तो बहुत उदास थी आज कागज के एक टुकड़े पर एक साइन ने उसे और मयंक को हमेशा के लिए लिए अलग कर दिया था।थके कदमों से अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ गई। भैय्या और मां भी उसके पीछे पीछे आ गये। मां तो खामोश थीं, पर भैय्या … Read more

हमने सिर्फ स्वार्थ देखा सम्मान नहीं… – सविता गोयल

दीदी, कल आपके भतीजे का जन्मदिन है। आपलोग बच्चों के साथ आ सको तो बहुत अच्छा लगेगा, ” एकता ने मनुहार करते हुए अपनी ननद मधु को फोन किया। ” देखती हूं भाभी…. वैसे मुश्किल हीं है क्योंकि आपके जीजा जी को कल जरूरी काम है,” मधु ने ठंडी सी प्रतिक्रिया देकर फोन रख दिया। … Read more

“गलती किसकी”  – ऋतु अग्रवाल

दीवाली की सफाई के बाद थकी हारी सुहानी आराम कुर्सी पर अधलेटी सी बैठी थी। तभी गेट खोल कर दफ्तर का चपरासी रामविलास अंदर दाखिल हुआ।         “बहू जी!यह चिट्ठियाँ लेकर आया हूँ।साहब का फोन भी आया था। मुंबई से कोलकाता के लिए चल पड़े हैं। परसों लौट आएँगे।”उसने चिट्ठियाँ देते हुए कहा।       सुहानी स्टडी रूम … Read more

मातृत्व का सुख – सुल्ताना खातून

अरे रीता  सुना तुमने वो मिश्रा  जी की बिटिया है ना निभा , शहर जा रही है, बच्चा गोद लेने के लिए,,,, कमला काकी अपनी पड़ोसन रीता  के पास बैठी फुसफुसा रही थीं। बात ही ऐसी थी कि दबे दबे सारे गांव में बात फैल गई थी, इस गांव तो क्या पूरे इलाके में ऐसा … Read more

स्वार्थ – मीनू झा

अब बड़ा बेटा “एटीएम मशीन” बनकर नहीं रहेगा !! निशांत…गांव पैसे नहीं भेजे क्या आपने इस महीने??बार बार मेरे फोन पर भी फोन आ रहे है…मुझे तो देखते समझ आ गया कि आप पैसे भेजने भूल गए होंगे वरना मुझे क्यों फोन आने लगा वहां से… अरे यार.. बिल्कुल भूल गया..इस महीने वर्क प्रेशर इतना … Read more

स्वार्थ ने अंधा कर दिया, – सुषमा यादव

ये एक सच्ची है कहानी,, सुनाऊं मैं अपनी ज़ुबानी,, एक गांव बड़ा प्यारा। उसमें एक आलिशान घर बना था, वहां के प्रतिष्ठित श्री लाल जी का,,वे म. प्र. के एक बड़े शहर में प्रिंसिपल थे। उनके दो बेटे राहुल और रमेश थे, और एक बेटी रंजना,, बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से एक परिवार में … Read more

मैं इतनी भी स्वार्थी नहीं – सविता गोयल

” निशा , मैं चलती हूं..… देर हो रही है …. ” कहते ममता  मंदिर में हो रहे सत्संग के बीच में हीं उठ कर जाने लगी। ”  ममता  रूक तो…  कहाँ चल दी इतनी जल्दी , अभी अभी तो तू आई थी! ”  थोड़ी देर और रूक जा बस आरती होते ही प्रसाद लेकर … Read more

NRI दामाद – के कामेश्वरी

सरिता अपनी स्कूटी अपने बुआ के घर के सामने रोकती है। उस पर से उतरकर स्कूटी को ताला लगा कर चाबी हाथ में लेकर घुमाते हुए गेट खोलकर अंदर आ जाती है और कहने लगती है कि वाह सुनंदा बुआ आपके हाथों में जादू है । क्या बना रही हैं ? उसकी खुशबू गेट तक … Read more

दो हिस्सों में बंटा प्रेम – प्रेम बजाज

रीमा और अंजलि दोनों एक ही मोहल्ले में रहती थी, एक ही स्कूल और एक ही क्लास में थी। ज़ाहिर सी बात है अक्सर ऐसे में दोनों में घनिष्ठता बढ़ती है। रीमा और अंजलि में भी काफी घनिष्ठता थी, उस पर कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे कि दोनों का जन्म दिन केवल एक दिन के … Read more

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