प्रायश्चित – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

कविता और राहुल की शादी को १० साल हो चुके थे | उनके बीच बातचीत बहुत कम हो गई थी  | रोज की जिम्मेदारी,  आफिस का तनाव सब रिश्ता बोझ सा बन गया था |  राहुल को लगता था कि मेरी बात नहीं समझती और कविता को लगता था कि अब उन्होने दिलचस्पी लेना बंद … Read more

प्रायश्चित से ही शान्ति मिलेगी – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

  मालकिन, मालकिन दरवाजा खोलिए जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर प्रतिमा देवी जी ने दरवाजा खोला तो सामने कजरी खड़ी थी वो चौंककर बोली अरी कजरी तू इतना सुबह सुबह तू तो दस बजे आती है बस मालकिन आज सरकारी अस्पताल में नम्बर लिया दस बजे बुलाया उन्होंने तो सोचा आपका आधा काम निपटा … Read more

नमक का कर्ज – हरिओम बाजपेई : Moral Stories in Hindi

ब्रह्माखेड़ा  (काल्पनिक) नामक गाँव में एक दंपत्ति रहते थे जिसमे व्यक्ति का नाम हरि गौतम (काल्पनिक) पत्नी का नाम का नाम रेनुका (काल्पनिक) था वे दोनो बहुत गरीब थे फिर भी वे हमेशा खुशी के साथ रहते थे वे कृषि मजदूर के रूप में कार्य करते थे उन्हें बस एक ही दुःख था कि उनकी … Read more

प्रायश्चित – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रायशचित गल्तियों का होता है, गुनाहों का नहीं “ गोकुल बेटा, तुझसे एक बात करनी है” मुरली प्रसाद ने दुकान पर जा रहे बेटे से धीरे से कहा। “ जी बाबूजी, कहिए, क्या कहना चाहते है” गोकुल ने बही खाता एक तरफ रखते हुए कहा। वैसे तो आजकल सब काम कम्पयूटर पर हो जाते है, … Read more

लकी मैडम – डॉ गुंजन कुमार झा : Moral Stories in Hindi

स्टाफ रूम में सुगबुगाहट आम थी . “आए सोने कि थी ? “ “ न जी हीरे की थी बतावें हैं “ . कौण वापस देण आओगा इब ..इब न मिले “ मलिक मैडम पिछली सीट से बोलीं . मालिक मैडम का वाक्य हमेशा एक फुल स्टॉप होता था. उसके बाद वाक्य हो या वाकया, … Read more

बोझ नहीं आशीर्वाद हैं माता-पिता – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

नेहा की माँ के चौथे की रस्म थी। मेहमान अभी गए भी नहीं थी कि उसकी भाभी प्रिशा उसके पास आई और बोली-” दीदी एक बात बताओ? आपके भाई हर महीने माँ को इतना पैसा भेजते थे क्या करती थीं वो इतने पैसों का? थीं तो अकेली जान कितना खर्चा होता होगा? जरूर जो पैसा … Read more

नमक का हक अदा करना – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मोहन सेठ गोविंददास के यहाँ काम चरता था।उसने जब से होश संभाला वो सेठ जी के यहाँ था।उसके बाप-महतारी भी शुरु से वहीं रहते।वो भी बचपन से वही रहता । मोहन का एक बेटा था मोनू– वो सेठजी के घर में खेलता रहता था।सेठ जी उसे बहुत प्यार करते थे। उसकी पढ़ने में रुचि देख … Read more

इज्जत इंसान की नही पैसे की होती है। – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

“इज्जत इंसान की,नही पैसे की होती है”– दादाजी हमेशा यही कहते थे।इसपर कईवार तो कुछ लोग उनका मजाक बनाते।लेकिन दादाजी ने जमाना देखा था और जीवन के कई उतार चढ़ाव देखे थे।दादाजी का बहुत बड़ा परिवार था।सात भाईबहन– और दादाजी के पिताजी बहुत गरीब थे–दिनभर मेहनत करते तब जाकर परिवार के लिए रोटी जुटा पाते। … Read more

दूसरी शादी – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“ये क्या कर रही है सरला….तू पागल तो नहीं हो गई….और तू सुधीर उसे समझाने के बजाय उसी का साथ दे रहा है…अरे कन्यादान करना बेटी के माता पिता का काम होता है, भला किसी सास ससुर को अपनी बहू का कन्यादान करते हुए देखा है कहीं तुमने…जो चले तुम दोनों मधु का कन्यादान करने….अरे … Read more

ज़रूरी तमाचा – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सीमा, सीमा कहाँ हो? तुम्हे सुनाई नहीं दें रहा है? इतनी देर से पानी माँग रहा हूँ और तुम हो कि कुछ सुन ही नहीं रही हो। कहाँ मर गईं, पानी दोगी? ड्राइंग हॉल मे बैठा संजय लगातार चिल्लाए जा रहा था, परन्तु पता नहीं सीमा कहाँ थी जो सुन ही नहीं रही थी। अपने … Read more

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