सूनी गोद – नंदिनी

आराधना तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी  ,दादी ओर मां पापा, दो छोटे भाई ,उसकी कॉलेज की पढ़ाई चल रही थी।

मस्ती मजे में दिन व्यतीत हो रहे थे । 

 एक रोज पड़ोस वाले काका दोपहर में आये बोले रमेश कल सोचा है पहाड़ी वाले मंदिर चले दर्शन को  ,तुम्हारी भाभी कबसे लगी हैं मान्यता ली थी कुछ, रमेश न कहा लेकिन अभी बच्चों की परीक्षा चल रहिं हैं , अरे मेरे बच्चे भी घर है पढ़ाई कर रहे , अपन  बच्चों को फिर से परीक्षा बाद ले चलेंगे ओर चिड़ियाघर भी घूमाने का वादा कर दो गुस्सा नहीं करेंगे लौटते समय मिठाई ले आएंगे  सबको ओर अम्मा सम्भाल लेंगीं, वो न अकेले जाने में मजा नहीं आएगा एक से भले दो हेना।

रमेश तैयार हो गया और मालती को भी कह दिया कल सबेरे जाना है तैयार समय पर हो जाना ।

बच्चों के स्कूल निकलने के बाद घर अम्मा को सुपुर्द करके  सवारी रवाना हो गई।

अच्छे से दर्शन हुए , लौटते समय ढाबे पर खाना भी खा लिया अम्मा को फोन पर बता दिया थोड़ा लेट हो गया है पहुंच जायेगें खाना आप लोग खा लेना।

बतियाते हुए समय अच्छा कट जाता है हेना रमेश ,तभी तो मैने सोचा साथ चलते हैं,इतने में एक तेज रफ्तार ट्रक ने मोड़ पर कार में टक्कर मार दी गाड़ी दो पलटी खा के नीचे खाई में गिर गई।

पीछे से आई कार ने पुलिस को तत्काल सूचना दी , घर में अम्मा बड़ी चिंतित कि ज्यादा ही देर हो गई है ।

इतने में फोन की घण्टी बजती है ,सुनकर अम्मा तो गिर जाती हैं आराधना जल्दी आके फ़ोन पर बाकी बात सुनती है, उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था क्या करे क्या नहीं, सबसे पहले अम्मा को संभाला पड़ोस के मोहन काका के घर जाकर पूरी बात बताई।

जल्दी से आराधना मोहन के साथ हॉस्पिटल पहुंची। चार जन में से बस काकी ही बच  पाई थीं , उनके पैर  सिर में गम्भीर चोट लगी  थी ।

आराधना को कुछ समझ नही पड़ रहा था क्या करें कैसे अम्मा ओर आकाश अनमोल को संभाले , मोहन काका ने संभाला बेटा सबको सूचना देनी पड़ेगी लाओ तुम्हारा फोन दो में बात करता हूँ।

दूसरे दिन सब नाते रिश्तेदार आ गए ,दोनों भाइयों और अम्मा को सम्भालना मुश्किल हो रहा था, पर आराध्ना मजबूती बनी क्योंकि अगर वो कमजोर पड़ती तो भाइयों को कैसे संभालती।

धीरे धीरे उसकी बुआ मौसी रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए ।

रमेश सरकारी कर्मचारी था,  भाई अभी छोटे थे तो आराधना को वो अनुकम्पा नोकरी मिल गई । दोनों भाई की अब वही मां बाप थी ,अम्मा भी मजबूत सहारा थीं उसका ।

कुछ  सालों बाद  शादी की सुगबुआहट शुरू हो गई लेकिन आराधना ने साफ मना कर दिया, वह शादी नहीं करेगी उसके भाई ही उसका परिवार हैं।

कोई उसे उसके इस फैसले से हटा नहीं पाया।  




आकाश ने पढ़ाई पूरी कर की ओर बैंक की नोकरी लग गई ।जल्द ही उसके रिश्ते आने लगे और आराध्ना  से एक प्यारी सी लड़की चुन ली उसके लिये, बड़े दिनों बाद रौनक लगी घर में खुशियों का समां ओर नाते रिश्तेदार नाच गाना।

बुआ आराधना को कहती हैं, बेटा अब तो आकाश की शादी हो गई बहु आ गई है ।

अब तुम अपने बारे में सोचो, क्या बुआ ये कोई उम्र है शादी की ,ओर मुझे कोई शौक नही इस उम्र में दुल्हन बनने का, अरे पगली  दोनों भाई कुछ समय बाद अपने परिवार मे रम  जाएंगे , क्यों अकेलेपन की जिंदगी बसर करना चाहती है, तेरी जिद के कारण अब तक हम कुछ न बोले पर अब मान ले।

अरे बुआ कितनी उमर हो गई है कौन बैठा होगा मेरे लिए अभी तक ,तू हां तो कह एक देख रखा है मैने बुआ ने कहा।

अच्छा बैंक में नोकरी है मां है घर में कुछ साल पहले केदारनाथ प्रलय में उसकी पत्नी और बेटे न रहे।

बड़ा सुलझा हुआ सभ्य मानस है ।

सोचती हूँ कह कर आराधना चली गई

कह तो बुआ सही रहिं है अपने कर्तव्य मैने पूरे कर दिए अब आकाश परिवार वाला हो गया है , मिलने में क्या हर्ज है और कुछ दिनों बाद बुआ ने  कैलाश ओर उसकी मां को घर आमंत्रित किया , बातों  से आराधना को अच्छा लगा सुलझा हुआ व्यक्तित्व।

कुछ सम्यपश्चात शादी सम्पन्न हो गई ।आराधना कैलाश जैसा जीवन साथी पाकर बहुत खुश थी जल्द ही मां बनने की खुशखबरी से दोनों बहुत खुश थे।पर विपदाओं ने उसे अभी ओर घेर रखा था ,बेटा हुआ नियत समय से पहले ओर चल बसा बहुत टूट गई इस सदमे से आराधना ।

कुछ साल बीतने पर जब चेक कराया तो डॉक्टर ने मां बनने के चान्स कम है कहा।

मेडिकल उपचार से दो बार कोशिश की गई पर वह विफल रही,

उसने सपने में नहीं सोचा था 

उसकी गोद सूनी रहेगी , बहुत बुझी बुझी रहने लगी थी कैलाश से उसकी ये हालात देखी नहीं जाती ।

रविवार की एक सुबह कैलाश ने कहा तैयार हो जाना मंदिर जाना है, निकलने के थोड़ी देर बाद आराधना ने कहा ,ये क्या मंदिर का ये रास्ता तो नहीं है , हां पहले हम ओर कहीं जा रहे उसके बाद मंदिर जायेगें।

ये कहाँ ले आये हो तुम मुझे , चलो तो सही दोनों एक ऑफिस नुमा कुर्सी पर जाकर बैठ गए , इतने में एक  प्यारी सी छोटी गुड़िया लाकर आराधना की गोद में रख दी जाती है , ये क्या वो असमंजस भरी निगाहों से कैलाश को देखती है, अब से तुम्हारी गोद सुनी नहीं रहेगी तुम इस प्यारी सी बेटी की माँ हो ,सुनकर आराधना के झर झर आंसू बहने लगते हैं, कैलाश खुश होकर कहता है अब से तुम्हारी आँखों में सिर्फ खुशी के आंसू होगें।

आराधना बिटिया को सीने से लगा लेती है और कैलाश को देखकर मुस्कुराती है ,तुमने मेरी जिंदगी को रौशन किया है आज मेरी सूनी गोद भी भर दी ……..

 नंदिनी

2 thoughts on “सूनी गोद – नंदिनी”

  1. Bahut sundar aur Hridayshparshi post jisme jivan ka sangeet piroya hua hai.🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹

    Reply
    • देर आए दुरूस्त आए।बहुत अच्छी रचना।

      Reply

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!