स्मृति “” खुद की माफी – रीमा महेन्द्र ठाकुर

स्मृति कुछ दिन पहले ही अपने ससुराल से आयी थी;

पर उसके चेहरे के भाव से लग रहा था  की कही कुछ तो गडबड है!

उसके चेहरे पर नयी दुल्हन जैसा कोई भाव न था!

इस बात को सबसे पहले नोटिस कियाम्  मृदुला, ने”

मृदुला और स्मृति दोनो एक दूसरे  के पडोसी थे! साथ साथ बडे हुऐ, इसलिए दोनो  का राज एक दूसरे से छुपा था!बहनों जैसा प्यार उसपर  सवा टके सोने सी पिवर दोस्ती! 

कुछ सालो से मृदुला  ने भी बहुत कुछ झेला था ससुराल में, इसलिए  उसका शक और गहरा गया की स्मृति कुछ तो छुपा रही है! 

छोटे से गांव मे कुछ एक कच्चे पक्के घर थे! उसमे मृदुला बडे घर से तल्लुक रखती थी! उसी गांव में एक छोटा सा मंदिर  था,  जहां पर गांव की बेटियां  पूजा के बहाने  एक दूसरे से अपना सुख-दुख बांट लेती!

स्मृति की परवरिश मध्यम वर्गीय परिवार से थी! 

उसपर स्मृति की चार बहनें, पिता पर बोझ तो न थी बेटियां फिर भी, दहेज का दानव अपना मुहं बडा ही फैलता है!




चल ” मंदिर पर चलते हैं, वही बैठकर बात करेंगे “मृदुला स्मृति का हाथ पकड कर उठ कर खडी हो गयी!

शाम तक चलेगें ,कुछ अनमनी सी हो गयी थी, स्मृति “

मृदुला ने फिर जोर दिया “

अच्छा चल”कुछ सोचते हुए सहमति दी स्मृति ने”

तू मानेगी तो है नही”

गांव का मंदिर बहुत पुराना था,उसके आसपाल नीम के कुछ पेड लगे थे, जो मृदुला के दादी जी ने लगवाया था! 

शायद इसीलिए   मृदुला को उस मंदिर से जुडाव था!

नीम की छांव मे  उसे बहुत सुकून मिलता था!

और बता स्मृति  ससुराल में कैसा रहा,

चुटकी लेने की नियत से मृदुला ने पूछ लिया! 

उसे आश्चर्य हुआ की  न चुप रहने वाली स्मृति चुप थी! 

मृदुला ने स्मृति की ओर देखा उसके आंखो में आसुओं का  सैलाब था!

क्या  हुआ “




मृदुला के अपनत्व से स्मृति की भावनाओ का बांध टूट गया! 

मै” ससुराल नही जाना चाहती””

स्मृति सिसक उठी  “

पर क्यूं “

 क्योकि मेरे साथ धोखा हुआ है! 

कैसा धोखा “” मृदुला चौक उठी”

उसमे एक भी खूबी हो तो बताऊं”

किसमे  “””

मेरे पति में”

देख स्मृति शादी ब्याह खेल नही है “तेरी समझदारी इसी में है, तू उनके हिसाब से ढल जा” जिदंगी आसान हो जाऐगी “””

एक मिनट रूक “स्मृति आंसू पोछती हुई बोली”




स्मृति ने एक तस्वीर मृदुला के सामने रख दी”

तस्वीर देखकर मृदुला की आंखे फटी रह गयी!

स्मृति के पति का पूरा चेहरा ल्यूकोडर्मा से भरा हुआ था, साथ ही कुरूपता साफ नजर आ रही थी! ़

स्मृति ने बताया की शराब के नशे मे  वो”आगे कुछ बोल न सकी स्मृति, 

चल चुप हो जा “

मृदुला ने दिलासा देने की कोशिश  की”

चल अब घर चलते  है”

मृदुला तू पापा को समझा, मै नही जाना चाहती, मुझे घिन आती है उससे”तू धैर्य रख मै कोशिश करती हूं “

रात भर मृदुला स्मृति के बारे मे ही सोचती रही,सुबह माँ ने मृदुला को देखा तो उदासी का कारण पूछा, मृदुला ने सारी बात ज्यो की त्यो माँ को बता दी,माँ ने तुरंत निर्णय लिया, और स्मृति के घर पहुंच  गयी “

पर अफसोस तब तक स्मृति ससुराल जा चुकी थी!

मृदुला की मां ने स्पष्ट रूप से सारी बातें  स्मृति के माता पिता के सामने रख दी,

आखिर मे सबने निर्णय लिया की स्मृति की खुशी से बढकर कुछ नही है “

अगले दिन ही स्मृति घर आ गयी, कुछ महिने सघर्ष में गुजरे लोगो के ताने,ससुराल वालो का दबाब बढता जा रहा था! 




स्मृति परेशान हो चुकी थी,  और एक सुबह अनहोनी हो गयी”

स्मृति के पति ने अपनी ही भाभी को रेप करके मार दिया! 

सुनने वाले दंग रह गये,जो लोग स्मृति को दोषी मानते थे, वो उसके प्रति सहानुभुति रखने लगे,

पति के जेल जाते ही स्मृति आजाद हो गयी थी! 

उसने अपने मन मे ठान लियाकी अब वो खुद की लडाई खुद लडेगी”

आखिर काफी मेहनत के बाद उसका सलेक्शन “पुलिस विभाग मे अच्छी पोस्ट पर हो गया, और वो अपनी जिदंगी गर्व के साथ जीने  लगी ” और आज भी वो खुद को मृदुला की  कर्जदार मानती है, आज जो उसका जीवन सुखमय है, उसका श्रेय कही न कही मृदुला को जाता है! 

एक नारी यदि दूसरी नारी का साथ दे तो उन्हे बढने से कोई नही रोक सकता है!समाप्त “

लेखिका रीमा महेन्द्र ठाकुर 

घटनाक्रम संकलनसारिका सिंह,उन्मुक्त द्धारा संकलित”

#माफी

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