पहलगाम की खूबसूरत वादियाॅं, देवदार और चिनार के पेड़ दूर-दूर तक बिछी सफेद बर्फ की चादर यह सभी खूबसूरत नजारे आज स्नेहा और अभि की शादी के गवाह बनने जा रहे थे।
इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच आज स्नेहा और अभि सात फेरों के अटूट और खूबसूरत बंधन में बंधने जा रहे थे। स्नेहा को बचपन से ही बर्फ से ढके हुई पहाड़ और बर्फीली वादियाॅं बहुत पसंद थी। इसी कारण स्नेहा और अभि ने अपने नए जीवन की शुरुआत के लिए इसी जगह को चुना था।
शादी की तैयारियाॅं अपने पूरे शबाब पर थी।
झील के किनारे खूबसूरत शादी का मंडप सजाया गया था। मेहमान गानों की धुन पर झूलते हुए कश्मीरी पकवानों का आनंद ले रहे थे। मंडप के अंदर हल्दी की रस्म चल रही थी। हाल के बीचो-बीच पर्दा लगाकर एक तरफ अभि और एक तरफ स्नेहा की हल्दी हो रही थी।
स्नेहा येलो ड्रेस और फूलों की ज्वेलरी में बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी। स्नेहा की फ्रेंड्स उसे घेरे बैठी थी। उसके गालों पर हल्दी लगाते हुए उसे छेड़ रही थी, गीत गा रही थी।
“मेहंदी लगा कर रखना, डोली सजा कर रखना। लेने तुझे ओ गोरी, आएंगे तेरे सजना।”
अभि छुप-छुप कर पर्दे की ओट से स्नेहा को निहार रहा था। तभी स्नेहा की नज़रें अभि से मिली और दोनों एक दूसरे की नजरों में खो गए। बड़ा ही खूबसूरत नजारा था।
लेकिन, तभी अचानक एक जोर का धमाका सुनाई दिया। लोग हल्दी की रस्म छोड़कर घबराकर इधर-उधर भागने लगे। कुछ देर बाद झील के किनारे से एक और जोरदार धमाका हुआ। बैसरन घाटी पर आतंकी हमला हो गया था। अफरा-तफरी मच गई। चीखें,भगदड़ और घबराहट से वह खूबसूरत रस्म डर और दहशत में बदल गई।
सेना और पुलिस तुरंत पहुंची। लोगों को सुरक्षित करने लगी। किसी को कुछ नहीं समझ में आ रहा था कि अचानक यह क्या हो गया?
स्नेहा घबराई हुई एक कोने में बैठी थी। वह डर से काॅंप रही थी। तभी अभि उसके पास गया। उसके काॅंंपते हाथों को पकड़ते हुए उसने कहा “स्नेह, डरो मत। मैं हूॅं ना।”
यह सुनते ही स्नेहा अभि के गले लग जोर जोर से रोने लगी “यह क्या हो गया अभि? हम तो यहाॅं शादी करने आए थे। लेकिन, यह किस मुसीबत में फंस गए? अब क्या होगा?”
सब ठीक है स्नेह और आगे भी सब ठीक ही होगा। पुलिस और सेना आ गई है। अब सिचुएशन अंडर कंट्रोल है। चलो, अब जल्दी करो, फेरों का समय हो रहा है।”
“यह तुम क्या कह रहे हो अभि! इन हालात में शादी कैसे होगी? मैं यहाॅं अब एक मिनट भी नहीं रूक सकती। मुझे तुरंत वापस जाना है।” स्नेहा ने रोते हुए कहा।
यह सुनकर अभि मैं स्नेहा के ऑंसू पोंछते हुए बहुत ही प्यार से कहा “स्नेह, मेरी बात ध्यान से सुनो। यदि आज हम यह शादी रोक देंगे तो आतंकवाद जीत जाएगा। हम उसे ऐसे जीतने नहीं दे सकते। यहाॅं सेना है, पुलिस है। हम सेफ हैं। बस हमें हिम्मत से काम लेना होगा। हमें आतंक के डर को शुभ विवाह से हराना है।”
यह सुनते ही स्नेहा ने अभि के हाथों में हाथ देते हुए कहा “अभि, तुम्हारी स्नेह आतंक के खिलाफ इस जंग में तुम्हारे साथ है। हमारी शादी आज यहीं होगी। यही इसी जगह पहलगाम में।”
यह सुनते ही अभि की ऑंखें खुशी से चमक उठी। “आई एम प्राउड ऑफ़ यू स्नेह। मैं अभी सबको हमारा डिसीजन बता देता हूॅं।”
उनका फैसला सुनते ही सेना ने कुछ ही देर में लोकल लोगों की मदद से एक अस्थाई मंडप तैयार कर दिया। पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। अभि और स्नेहा ने एक दूसरे का हाथ थाम फेरे लेने शुरू किये। उनका हर फेरा आतंक को करारा जवाब था। पहलगाम की वादियाॅं एक बार फिर एक मंजर की गवाह बनी। लेकिन, इस बार डर नहीं। प्यार और हिम्मत की, अभि और स्नेहा के शुभ विवाह की।
धन्यवाद।
साप्ताहिक विषय प्रतियोगिता-#शुभ विवाह
लेखिका- श्वेता अग्रवाल
धनबाद,झारखंड।
शीर्षक-शुभ विवाह