चेहरे पे चेहरा  – गोमती सिंह

_मेघा बहुत देर से राजेश को समझाने का प्रयास कर रही थी । 

” देखो राजेश ! मैं अपनें मम्मी पापा के खिलाफ जाकर शादी नहीं करना चाहती ।”

   ” क्या मतलब ! ” राजेश अचंभित होते हुए कहा। 

  ” तुम क्या कहना चाह रही हो स्पष्ट कहो मेघा ! “

 समझने की कोशिश करो राजेश! हम दोनों ने एक दूसरे को चाहा, प्रेम किया इसकी अंतिम परिणति सिर्फ शादी कर लेना नहीं होना चाहिये।  अब हम ऐसे दोराहे पर हैं जहाँ से प्रेम की ज्योति मन मंदिर के  दहलीज पर सदैव के लिए रख कर  अपनी अपनी राहों पर आगे बढ़ना होगा।  मैं नहीं चाहती कि मेरे किसी मनचाहे फ़ैसले से मेरे मम्मी पापा के अरमानो पर पानी फिर जाए । 

   आखिर 25 वर्ष पालन पोषण किया है उन लोगों ने मेरा ।मेरी जिंदगी के इतनें बड़े फैसले पर  पहला हक उनका बनता है । 

“राजेश के मन में झुंझलाहट हुई ” फिर भी वह मेघा को हाथ से जानें नहीं देना चाह रहा था । 

क्योंकि मेघा अपनें माता-पिता की इकलौती संतान थी । कई करोड़ की संपत्ति का अकेले हकदार थी ।

          बात बन जाने की उम्मीद अभी भी वह लेकर ही चल रहा था । कहने लगा- अच्छा चलो काॅफी पिओ।  

तभी दोनों का ध्यान काॅफी पर आकृष्ट हुआ।  

काॅफी खतम होते होते मेघा के मोबाइल फोन पर रिंगटोन बजने लगा-” ओह ! मिताली का फोन है ।”




( मिताली राजेश की छोटी बहन है )

मेघा टेबल से उठकर थोड़ी दूरी बनाकर बात करनें लगी । बात पूरी होने के बाद चिंतित मुद्रा में आकर बैठ गई । 

क्या बोल रही थी मिताली ? राजेश ने पूछ लिया। 

मामला बहुत गंभीर है राजेश! वो हमारे  मुहल्ले का एक लड़का है न मुन्ना , मिताली उससे कोर्ट मैरिज करनें जा रही है मुझे वीटनेस के लिए अभी के अभी बुला रही है । 

इतना सुनते ही राजेश आगबबूला हो गया। 

  ये क्या कह रही हो तुम ,

तुम्ही ने ही उसे उकसाया होगा ।

तुम्हारे संगत से ही वह बिगड़ गई ।

राजेश भड़ाभड़ बोलता रहा और मेघा सुनती रही 

फिर अचानक राजेश को ऊंगली दिखाते हुए कड़क लहजे में कहने लगी – ऐ चुप कर ! कहाँ गई तुम्हारी वो प्यार व्यार की बातें।  मेघा भी अपनें असली तेवर में उससे धाराप्रवाह कहती जा रही थी – तुम्हारी बहन कोर्ट मैरिज करनें जा रही है तब इतना गुस्सा आ रहा है और मेरे सामने प्यार की दुहाई दे रहे थे । 

समझ गई मैं तुम्हारा दोहरा चेहरा । 

मैं जा रही हूँ, अगर थोड़ी सी भी इंसानियत तुम्हारे जहन में होगी तो आज से मुझसे किसी भी प्रकार से संपर्क करनें की जुर्रत नहीं करना।  

इतना कहते-कहते मेघा अपनी स्कूटी स्टार्ट की और चलते बनी । 

दरअसल लड़कियाँ मूलतः स्वभाव से भोली होती हैं और उनके इसी भोलेपन का लड़के लोग नाजायज़ फायदा उठा लेना चाहते हैं । 

लेकिन अब लड़कियाँ भी जागरूक हो गई हैं। वो मर्यादा का उल्लंघन करनें से पूर्व अच्छी तरह से जांच परख करना  सीख गई हैं। 

मेघा के मोबाइल फोन पर उसकी मम्मी का रिंगटोन आया था , जिसे उसने राजेश को आजमाने के लिए उसकी बहन का नाम लिया और राजेश का चरित्र सामने आ गया।   

    तो ऐसा होता है चेहरे पे चेहरा। 

   यानिकि दोहरा मापदण्ड ।

            ।।इति।।

         -गोमती सिंह 

         कोरबा ,छत्तीसगढ़ 

  स्वरचित ,मौलिक ,अप्रकाशित

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