शुभ विवाह – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

कहानी उस दौर की है जब कश्मीर की सर्द वादियां साम्प्रदायिकता की आग में झुलसने लगी थीं राज्य से हिंदुओं पर अत्याचार की छुटपुट घटनाएं हर रोज सामने आ रही थीं। कश्मीर की एक छोटी सी ब्राह्मण बस्ती में रमेश डोगरा नाम के पंडित का परिवार रहता था उनकी दो बेटियां थीं बड़ी बेटी अंजू डोगरा और छोटी शीतल डोगरा।

दोनों की उम्र में एक साल का अंतर था अंजू अठारह की हुई थी तो शीतल सत्रह की। उस बक्त शीतल प्लस टू में पढ़ रही थी। तो अंजू फर्स्ट ईयर में। अंजू का कॉलेज और शीतल का स्कूल अलग अलग दिशा में थे तो दोनों बहनें अलग अलग रास्ते से पढ़ने जातीं थीं।

शीतल के स्कूल के रास्ते मे आर्मी की एक चौन्की पड़ती थी जिसमे मनमीत शर्मा नाम का नया नया भर्ती हुआ लड़का ड्यूटी करता था अभी उन्नीस का ही हुआ होगा वो कांगड़ा जिले के नगरोटा गांव का रहने वाला एक लंबा स्मार्ट और बहुत ही मिलनसार स्वभाव का था। शीतल रोज उसी रास्ते से जाती तो दोनों की नजरें एक दूसरे को देखकर शर्म से झुक जातीं।

धीरे धीरे बात आगे बढ़ी और कब वो दोनों प्यार में पड़ गए कुछ पता ही नही चला अब हर रोज आते जाते एक दूसरे का हाल पूछना बातें करना आम हो गया था। कभी कभी शीतल घर से आलू के परांठे बांधकर ले आती और मनमीत को पकड़ा देती।

ख्वाइशों के बुलबुले – कविता भड़ाना

दोनों का प्यार समय के साथ गहरा होता गया मगर शीतल अभी इतनी बड़ी नही थी कि उसके घर मे जाकर मनमीत हाथ मांग सकता वो दोनों सही समय का इंतज़ार कर रहे थे।

मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था पूरे कश्मीर में दंगे भड़कने लगे और धीरे धीरे पूरा शहर जलने लगा लोग अपनी बहन बेटियों को लेकर कश्मीर छोड़कर भागने लगे। स्कूल कॉलेज बन्द हो गए अब शीतल और मनमीत को मिले हुए चार दिन बीत गए बाहर कर्फ्यू लग गया। एक रात पुलिस ने आकर पूरे गांव वालों को बहां से निकलकर सुरक्षित जगहों पर जाने को कह दिया

शीतल को बिना मनमीत को कुछ बताए रात के अंधेरे में अपने माँ बाप बहन के साथ कश्मीर छोडना पड़ा और वो हिमाचल के कांगड़ा में अपने एक रिश्तेदार के पास आ गए।

मनमीत ने शीतल को ढूंढने की बहुत कोशिश की मगर उसका कुछ पता न चला उस बक्त न फ़ोन थे न ही कोई और साधन जिससे एक दूसरे को संपर्क किया जा सकता। अब दोनों ही एक दूसरे के लिए तड़पने लगे मगर ये किस्सा अब अधूरा रह गया था।

लगभग सात साल बाद शीतल अब पच्चीस साल की हो गई और अंजू छब्बीस साल की तो उनके लिए रिश्ते ढूंढने शुरू किए क्योंकि परिवार बाहर से आकर बसा था तो कोई जान पहचान न होने के कारण उन्होंने अंजू की शादी के लिए अखवार में इश्तिहार निकाला। इश्तिहार पढ़कर कांगड़ा का ही एक युवक जिसका नाम मानव था उसने उनसे संपर्क किया।

मानव की बहीं पर फोटोग्राफर की दुकान थी जो विवाह शादियों में फ़ोटो वीडियो बनाने इत्यादि का भी काम करता था। मानव भी बहुत अच्छे स्वभाव का होनहार संस्कारी युवक था वो उनके घर जाता है। माता पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है और अपने बारे में सबकुछ बता देता है हालांकि मानव सजातीय नही था

सन्तुष्ट मन – नंदिनी 

उसने बताया कि वो एक गरीब परिवार से है एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है और घर मे मां बाप हैं। लड़की का पिता उसे कहता है कि बेटा हमे इस रिश्ते से कोई दिक्कत नही पर हम खुलकर एक बात करना चाहते हैं जो भी आपकी मांग है आप पहले ही बता दो जो भी हमारे पास है मेरी बेटियों का ही है हमारा कोई बेटा तो है नही।

इस पर मानव बड़ी शालीनता से कहता है कि अंकल हम गरीब हैं भिखारी नही भगवान ने दो हाथ सही सलामत दिए हैं दो बक्त की रोटी का इंतज़ाम बहुत अच्छे से हो जाता है आप इस तरह की बात करके मुझे शर्मिंदा न करें मेरी भी बहन है हमने जब उसकी शादी में कोई दहेज नही दिया तो मैं ये पाप मैं कैसे कर सकता हूँ। ऐसे ही कुछ बातें होती हैं लड़का उन्हें पसंद आ जाता है। 

मां बाप उठकर चले जाते हैं और कहते हैं कि लड़की को चाय लेकर भेज देते हैं आप लोगो को अगर कोई सवाल पूछने हैं तो बात कर लें। थोड़ी देर में अंजू चाय और बर्फी लेकर आती है और मानव के आगे रखकर सामने बैठ जाती है मानव एक नजर देखता है अंजू मानव को देखती है मगर दोनों काफी देर तक खामोश बैठे रहते हैं

न वो कुछ बोलती है न वो कुछ कहता है। फिर अंजू शुरुआत करती है वो कहती है कि आप चाय के साथ कुछ खा क्यों नही रहे बर्फी पसंद नही है क्या। मानव मुस्कुराते हुए कहता है नही ऐसी बात नही वो बस आप लो न पहले। फिर दोनों की बात शुरू होती है मानव की लंबाई छः फुट के आसपास थी तो अंजू 5”4’ इंच क्योंकि अंजू ने उसे आते हुए खिड़की से छुपकर देखा था

तो वो थोड़ा मुस्कुराते हुए कहती है कि आपको मेरी हाइट कम नही लग रही। इस पर मानव भी मुस्कुराता है और कहता है कि मैंने कहाँ माप के देखी है। फिर वो दोनों सामने लगे बड़े शीशे के पास खड़े हो जाते हैं अंजू उसके कंधों तक पहुचती है तो कहती है कि ज्यादा कम नही है हील पहनकर ठीक हो जाएगी। इसपर मानव हंसते हुए कहता है कि मेरे पास इतने पैसे नही हैं

कि रोज नई हील खरीद सकूं हां ये कर सकता हूँ कि मैं नंगे पांव चल पडूंगा आपके साथ। इसपर अंजू हंसते हुए कहती है कि फिक्र मत करो मैं अपने पापा से बोल दूंगी बो दस बीस जोड़ी दहेज में दे देंगे और दोनों हंसने लगते हैं। फिर काफी बातें करते हैंऔर दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं ।

फिर मानव उसे कहता है कि अपनी की तस्बीर तो दे दो इसपर अंजू कहती है कि तस्बीर का क्या करोगे मेरे पास कोई अच्छी तस्बीर नही है अभी। मानव कहता है कि तस्बीर का मुरब्बा थोड़ी बनाऊंगा बस घर जाकर मेरे मां बाप पूछेंगे तो उन्हें दिखानी भी पड़ेगी न की उनकी होने वाली बहु कैसी है। दोनों हंसने लगते हैं और फिर अंजू तस्बीर लेने जाती है

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तबतक अंजू के मां बाप भी अंदर आ जाते हैं दोनों को खुश देखकर वो कहते हैं कि ठीक है बेटा हम आपके घर आकर आपके मां बाप से बात कर लेंगे। 

मानव बहुत खुश था क्योंकि अंजू ने तस्बीर के पीछे अपने घर का लैंडलाइन नंबर भी लिख दिया और कहा कि कोई बात करनी हो तो इसपे फोन कर लें। मानव ने भी अपनी दुकान का नम्बर उन्हें दे दिया तो जब अंजू अकेली होती तो मानव को फ़ोन कर लेती दोनों एकदूसरे को बेहद पसंद करने लगे थे। कुछ दिन बाद मानव फोन करता है अंजू के पिता फोन उठाते हैं

तो मानव प्रणाम करके पूछता है कि आप आए नही घर मे सब इंतजार कर रहे हैं इसपर अंजू का पिता उसे प्यार से कहता है कि हम जल्द आएंगे। दरअसल अंजू को एक और रिश्ता आया था जो सजातीय भी था और लड़का फौज में था तो उसके मां बाप उसे पहल दे रहे थे वो

चाहते थे कि अगर उधर से हाँ हो जाए तो अच्छा है नही तो मानव तो है ही। वो लड़का जब अंजू को देखने आया तो उस बक्त शीतल प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने गई हुई थी पढ़ाई के बाद उसने घर के पास ही टीचर की जॉब कर ली थी।

लड़का घरवालों को पसंद आ जाता है मगर अंजू मानव से ही शादी करना चाहती है घरवालों ने जोर डाला उसे कहा कि ये लड़का सजातीय होने के साथ सरकारी नौकरी करता है इससे अच्छा रिश्ता नही मिल सकता बाद में पछताने से अच्छा है मानव का ख्याल छोड़कर इससे शादी कर लो। घरवालो के जोर डालने पर अंजू मानव को फोन करके सबकुछ बता देती है

और कहती है कि जो भी हुआ उसे भूल जाना मैं मजबूर हूँ अगर मेरे बस में होता तो मैं कभी आपको नही छोड़ती। मानव भी कहता है कि तुम्हे इतना अच्छा रिश्ता मिल रहा है तो मैं तुम्हारी खुशियों को कैसे छीन सकता हु मेरे पास है ही क्या तुम्हें देने के लिए तुम फिक्र मत करो और खुशी खुशी शादी कर लो।

मानव की दुकान फोटोग्राफी के लिए काफी मशहूर थी और बैसे भी उस बक्त कांगड़ा में एक दो ही दुकान थी फोटोग्राफर की। एक हफ्ते बाद मानव की दुकान पर एक लड़का आता है और फ़ोटो वीडियो के लिए शादी की बुकिंग कर लेता है दोनों एकदूसरे से अनजान थे लड़का अपने घर का अड्रेस और कुछ एडवांस दे देता है

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तय दिन मानव अपना कैमेरा बगैरह लेकर लड़के के घर पहुंच कर फ़ोटो शूटिंग शुरू करता है। शाम को बारात जाती है और जब लड़की वालों के घर पहुंचती है तो मानव के पैरों तले जमीन निकल जाती है क्योंकि ये अंजू का ही घर था। मगर अब कुछ किया नही जा सकता था। वो बिना किसी को कोई शक हुए अपना काम शुरू करता है।

रिबन कटाई की रस्म शूट हो रही है सामने शीतल अपनी सहेलियों के साथ जीजा का स्वागत कर रही है मगर जीजा को देखकर शीतल की आंखों में आंसू टपकने लगते हैं क्योंकि उसका जीजा कोई और नही बल्कि मनमीत ही था जिसे वो कश्मीर में मिली थी और आज भी उसका इंतजार कर रही थी उधर मनमीत भी सेहरे की आड़ में आंसू छुपाकर अंदर ही अंदर घुट रहा था।

जैसे कैसे वो जयमाला तक पहुंचते हैं मनमीत को जयमाला डालने के लिए पंडित जी कहते हैं तो मनमीत के हाथ कांपने लगते हैं वो जयमाला वाली कुर्सी पर धड़ाम से बैठ जाता है। सब परेशान हो जाते हैं कि शायद मनमीत की तबियत खराब हो गई है। सब मनमीत को हवा देने लगते हैं और पूछते हैं कि तबियत खराब है क्या अब मनमीत खुद को और रोक नही पाता और कहता है

कि मैं ये शादी नही कर सकता मैं अपने आपको धोखा नही दे सकता सारी जिंदगी पछताने से अच्छा है कि मैं अभी सबकुछ बता दूं फिर वो अपनी और शीतल की प्यार की कहानी सबको बताता है ये सुनकर अंजू के मुरझाए चेहरे पर खुशी की रौनक आ जाती है

क्योंकि मन ही मन वो मानव से ही प्यार करती थी। अब क्या था मानव ,अंजू,मनमीत,शीतल चारों बहीं खड़े थे सबको यही लग रहा था कि भगवान ने उनकी सुन ली हो अंजू मनमीत से कहती है कि आप इतना परेशान क्यों हो भगवान जो करता है अच्छा ही करता है

जिसका मेल जिससे होना होता है किसी न किसी बहाने हो ही जाता है। अब सब घरवालो ने मिलकर सलाह की और मानव के घरवालों को उसी समय बुलाया गया एक ही मंडप में दोनों जोड़ों का शुभ बिबाह कर दिया गया इस प्रकार एक टूटे दिलों के जुड़ने की एक प्यार भरी कहानी फिर से शुरू हो गई।

               अमित रत्ता

        अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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