शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या इज्जत है..

वो कोई बड़ी नौकरी या बिजनेस करता..खूब रुपया-पैसा कमाता तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा होती…..फिर आपके पास कोई संपत्ति भी तो नहीं है..।

हमें माफ़ कीजिए…हमने अपनी बेटी की शादी एक बिजनेसमैन के साथ पक्की कर दी है…।आपकी पत्नी ने मेरी बेटी को जो चेन पहनाई थी,उसे वापस करके मैंने ये रिश्ता खत्म कर दिया है।” कहते हुए उन्होंने ओमप्रकाश के हाथ में चेन रख दी और बाहर निकल गए।

     ” लेकिन सुनिए तो…”ओमप्रकाश जी पुकारते रह गए, तब तक तो वो जा चुके थे।ओमप्रकाश जी धम्म-से कुर्सी पर बैठ गए और सिर पर हाथ रखकर सोचने लगे, क्या पैसा ही सब कुछ है.. इंसान कुछ नहीं….

        रामलाल और ओमप्रकाश जी एक ही दफ़्तर में काम करते थे।रामलाल को जब चला कि ओमप्रकाश जी के बेटे प्रशांत ने बीए के इम्तिहान में टाॅप किया तब उन्होंने ओमप्रकाश जी को बधाई दी और बोले,” ओम भाई..हम प्रशांत को अपना दामाद बनाना चाहते हैं..अपनी बेटी रुचि का विवाह उसके साथ करना चाहते हैं।” 

अब है संघर्ष – गुरविंदर टूटेजा 

   ” रुचि बिटिया हमारे घर की बहू बने..ये तो हमारे लिये बड़े सौभाग्य की बात होगी लेकिन पहले प्रकाश को नौकरी तो मिल जाने दीजिये….।

    ” हमें भी कोई जल्दी नहीं है..प्रशांत प्रतिभावान है…जो भी काम करेगा, खूब रुपया कमायेगा..तरक्की करेगा..।बस एक दिन हमारे घर आकर आप बात पक्की कर दीजिए..।” रामलाल की बात को ओमप्रकाश जी टाल न सके। एक दिन सपरिवार उनके घर चले गए और उनकी पत्नी ने रुचि के गले में चेन पहनाते हुए कह दिया कि आज से आपकी बेटी हमारी हुई।

      प्रशांत को पढ़ने-पढ़ाने में गहरी रुचि थी।उसने अच्छे अंकों से बीएड का इम्तिहान पास किया और एक स्कूल में अध्यापन-कार्य करने लगा।साथ ही, वह अपने मनपसंद विषय में एमए भी करने लगा।रामलाल को जब पता चला तो उन्होंने ओमप्रकाश से साफ़ कह दिया कि अब मैं अपनी बेटी की शादी प्रशांत से साथ नहीं कर सकता।

    ओमप्रकाश जी ने उनकी बात को एक मजाक समझा  लेकिन अगले ही दिन रामलाल ने आकर उनकी दी हुई चेन लौटाते हुए रिश्ता खत्म करने की बात कही तो वो चकित रह गए और दुखी भी हुए।

        कुछ महीनों बाद प्रशांत की शादी दीपा नाम की लड़की के साथ हो गई जो प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका थी।ओमप्रकाश जी रिटायर हो गए और पत्नी के साथ प्रशांत के बच्चों के साथ खेलते-बतियाते अपना समय बिताने लगे।समय के साथ प्रशांत का प्रमोशन भी होता गया।

       उधर रामलाल अपनी बेटी की शादी पैसे वाले घर में करके बहुत खुश थे।बेटी के ठाठ-बाट देखकर रामलाल फूले नहीं समाते थे।लोगों के बीच अपने दामाद की गाड़ी-बंगले की प्रशंसा करते नहीं थकते थे।समय के साथ वो भी एक नाती-नातिन के नाना बन गए।कभी वो पत्नी के साथ बेटी के पास चले जाते तो कभी बच्चों को अपने यहाँ बुला लेते।

      एक दिन रुचि रामलाल को फ़ोन करके बोली,”  पापा..आपकी नातिन का स्कूल में डांस- परफार्मेंस है..आप भी देखने चलिए।” पत्नी के साथ वो नातिन के स्कूल चले गए।

जरूरत की माँ  – पूनम अरोड़ा

     स्कूल के मेन गेट पर विशेष अतिथि के स्वागत में सभी लोग फूलों का गुलदस्ता लेकर खड़े थे।तभी एक गाड़ी आई।उसमें से आकर्षक व्यक्तित्व के धनी एक सज्जन बाहर निकले तो स्कूल के एक अध्यापक उन्हें फूलों का गुलदस्ता देते हुए बोले,” आइये प्रशांत सर..आपका स्वागत है।” प्रशांत को देखते ही रामलाल और उनकी पत्नी चौंक गए।

        मंच पर आकर उद्घोषिका प्रशांत की प्रशंसा करते हुए बोलीं,” आपने गरीब बच्चों को काॅपी-कलम देकर उन्हें पढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया है..कई विद्यार्थियों की फ़ीस भी माफ़ की है ताकि पैसे के अभाव में कोई शिक्षा से वंचित न रह जाए..समय-समय पर हमारे विद्यालय में आकर आपने छात्रों का मार्गदर्शन किया है..

आपके द्वारा पढ़ाए गए कई छात्र आज ऊँचे पद पर आसीन हैं..आप…।” वो बोलती जा रहीं थी और रामलाल एक शिक्षक का सम्मान देखकर दंग हो रहे थे।वो सोचने लगे, मेरे दामाद के पास इतना पैसा है, फिर भी कभी उसे इतनी इज्जत नहीं मिली जितनी कि आज प्रशांत को मिल रही है।आज उनका ये भ्रम कि # इज्जत इंसान की नहीं पैसे की होती है, टूट गया था।

आज उन्हें एहसास हुआ कि सही मायने में काबिल और मेहनती व्यक्ति को ही समाज आदर देता है।तभी तो आज भी स्कूलों में महात्मा गाँधी,अब्दुल कलाम, लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में पढ़ाया जाता जो ज्ञान के धनी थे, पैसों के नहीं..।

       अगले ही दिन रामलाल ओमप्रकाश जी के घर गये…अपने व्यवहार के लिये उनसे क्षमा माँगी और प्रशांत की बड़ाई करते हुए बोले,” आपका बेटा एक ऐसा हीरा है जिसकी चमक कभी कम नहीं होगी..।” उदार हृदय वाले ओमप्रकाश जी उन्हें गले से लगा लिया।

                                  विभा गुप्ता 

                              स्वरचित, बैंगलुरु 

# इज्जत इंसान की नहीं पैसे की होती है

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