शादी – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

मि. अभय एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क थे, उनकी पत्नी हाउस वाइफ थीं, ओर उनके 2 लड़के थे। बड़ा बेटा रोहन इंजीनियर था और आगरा में प्राइवेट कंपनी में नोकरी करता था। संडे के सन्डे घर आता था। छोटा बेटा मोहन बी.कॉम करके यही दिल्ली में ही काम करता था और माता पिता के साथ ही रहता था। 

सब ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक एक दिन अभय कुर्सी से बैठे बैठे गिर गए। जबतक हॉस्पिटल ले कर गए, उनकी साँसे थम चुकी थीं। डॉ ने बताया कि सीवियर हार्ट अटेक था।

समय के साथ साथ सब कुछ नोर्मल होता गया। फिर एक दिन रोहन ने मां को फोन किया कि उसे एक लड़की पसंद है और वो शादी करना चाहता है। रोहन ने माँ को फ़ोटो भेजी ओर पूछा कि लड़की कैसी है?  माँ ने फ़ोटो देखकर कहा कि लड़की तो अच्छी है पर साथ में ढेर सारे सवाल, कि किस जात की है, पिताजी क्या करते हैं, परिवार कितना बड़ा है, नोकरी करती हैं क्या, शादी के बाद भी नोकरी करेगी वगैरह  वगैरह। रोहन बोला, मॉ, मैं सब कुछ बता दूँगा, आप निश्चिंत होकर बस आशीर्वाद देने की तैयारी करो,

जल्दी ही आपसे मिलवाता भी हूँ। फिर एक संडे, रोहन अपनी होने वाली बीवी ओर उसके माता पिता को लेकर घर आ गया। मॉ कुछ समझ पाती, पूछ पाती, रोहन ने सगाई की रस्म करवा दी, वो पूरी तैयारी के साथ आया था। सगाई के तुरंत बाद, जल्दी मिलने का बोलकर वो सब वापस चले गए।

सगाई के कुछ दिन बाद रोहन घर आया और बातो बातो में मॉ को बताया कि लड़की दूसरी जात की है, ओर मेरी कंपनी में लीगल एडवाईजर है। ये सुनकर घर में बहुत हगामा हुआ और मॉ ने शादी से इनकार कर दिया। अगले दिन रोहन वापस चला गया ओर कुछ ही हफ्ते बीते होंगे कि रोहन का फोन आया कि हम अगले हफ्ते, सोमवार को कोर्ट मैरिज कर रहे हैं, आप ओर मोहन आ जाना। 

शादी की बात सुनकर माँ तो जैसे पत्थर हो गई, रोहन हेलो, हेलो करता रहा, मॉ ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला और बोली, मैं आशीर्वाद देने नहीं आऊँगी, ओर तुम लोगो को भी यहां आने की कोई जरुरत नहीं हैं, बस तुम खुश रहो। 

शादी पर मोहन आया, रोहन के सास ससुर आये पर मॉ नहीं आई। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

भूत और एक शर्त – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

शादी के बाद रोहन अपनी बीवी के साथ घूमने चला गया ओर मोहन को बोल दिया कि मॉ से पूछकर बताना की घर कब आना है

रोहन ने सोचा, धीरे धीरे मॉ का गुस्सा उतर जाएगा और सब ठीक हो जाएगा। रोहन जब भी फोन करता तो भाई से ही बात होती पर मॉ ने कभी बात नहीं की, फिर भी रोहन पहले की तरह ही हर महीने मॉ को पैसे भेजता रहता। काम की बजह से अब रोहन ने भी फोन करना कम कर दिया था, फिर एक दिन पता चला कि मॉ ने अपने किसी जानने वाले कि बेटी से मोहन की दिल्ली में ही शादी करा दी ओर उसे बताया तक नहीं। 

मोहन की बीवी बहुत तेज थी, मोहन को अपने बस में कर लिया और मॉ पर जुल्म करती। फिर एक दिन मॉ को वृद्ध पेंशन दिलवाने के नाम पर धोखे से मकान के पेपर पर साइन करवाकर मकान अपने नाम करवा लिया। इसके बाद तो माँ की हालत नोकरो से भी बत्तर हो गई। अब तो वो मॉ पर हाथ भी उठाने लगी थी।

एक दिन जब रोहन ने फोन किया तो माँ ने फोन उठाया, मॉ की आवाज सुनकर रोहन ख़ुशी से पागल हो गया, पर ये ख़ुशी चंद सेकेंटो में उड़ गई जब उसने मॉ की रोने की आवाज सुनी, वो बस इतना बोल पाई, बेटा, मुझे यहां से ले जा, नहीं तो मैं मर जाऊँगी। रोहन बोला, मॉ, तू थोड़ा सब्र कर, मैं आ रहा हूँ। रोहन सुबह पहली बस पकड़ कर मॉ के पास दिल्ली आ गया और सबकुछ सुन- समझकर मॉ को लेकर आगरा आ गया।

रोहन ने 2 दिन की छुट्टी ले ली ताकि मॉ अकेला पन महसूस न करे। 2 दिन बाद रोहन ऑफिस गया तो बहु ने 2 दिन की छुट्टी ले ली। काम वाली बाई को शाम को थोड़ा रुक कर जाने को बोल दिया ओर कहा, शाम को मॉ जी को मंदिर ले जाना।

बेटे बहु ने मॉ का अच्छे से आदर सत्कार किया, अब मॉ को अपने किये पर पछतावा हो रहा था। 

हफ्ते भर में मॉ घर मे काम करने वाली, खाना बनाने वाली से परिचित हो गई। दोनो बेटा बहु मॉ का पूरा ध्यान रखते, धीरे धीरे मॉ की सेहत भी ठीक होने लगी और वो खुश भी रहने लगीं।

एक दिन चाय पीते हुए मॉ ने बहु बेटे से कहा, मेरा एक काम कर दो। रोहन बोला, मॉ, तुम्हें यहां कुछ परेशानी है क्या? नहीं नहीं, मॉ बोली, तुम्हारे भाई ने मेरा मकान धोखे से अपने नाम करवा लिया है, उसे वापस दिला दो, तुम्हारे पापा की निशानी हैं। रोहन बोला, मोहन को मकान रख लेने दो, आप यहां आराम से रहो। पर मॉ ने जिद पकड़ ली, चाहे मकान किसी को दान करना पड़े, पर मोहन को नहीं देना, उसने मुझे धोखा दिया है। 

कुछ दिन बाद रोहन ने मॉ से पूछा, मॉ, मकान वापस तो ले लेंगे, पर मोहन को जेल भी हो सकती हैं, बोलो मंज़ूर हैं? मॉ कुछ देर सोचती रही, फिर बोली, हाँ, मंज़ूर हैं। रोहन समझ गया कि मॉ जुबान से बोल रही हैं, दिल में अभी भी बेटा है। रोहन ने अपनी बीवी को बोलकर कोर्ट मे एप्पलीकेशन लगा दी, कि मकान बेटे को दिया था, पर अब वो मुझे खाना नही देता ओर घर से भी निकाल दिया, इसलिये मुझे मेरे मकान वापस चहिये। कानूनी प्रतिक्रिया पूरी हुईं ओर कुछ समय बाद मकान वापस मॉ के नाम हो गया। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

शक, का भी है इलाज – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

मकान मिलने के बाद मॉ ने मोहन को बोला, अब तू अपने रहने के लिए दूसरा मकान ढूढ ले, अगर तुझे इस  घर मे रहना है तो हर महीने किराया देना होगा, ओर मैं रोहन के साथ ही रहूंगी। 

एक दिन रोहन मजाख में मॉ से बोला, मॉ, मोहन की बीवी तो तुम्हारी जानने वाले की बेटी है और ऊपर से तुम्हारी जात की भी है, फिर उसके साथ रहने में क्या परीशानी ? मॉ बोली, क्यों मुझे शर्मिंदा करते हो, मेरी इसी दकियानूसी सोच ने मुझे, बहू से ओर तुझसे इतने दिनों तक दूर रखा। मेरा दिल ही जानता है, कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीती थी, इसी बात का नाजायज फायदा तुम्हारे भाई और उसकी बीवी ने उठाया। अब मैं समझ गई हूं कि जात पात से ज्यादा जरूरी इंसान के संस्कार होते हैं जो अपनो को प्यार और बड़ों का सम्मान करना सिखाते हैं। 

मोहन ओर उसकी बीवी एक बार मॉ से मिलने आये, पर उनकी आखों में शर्मिंदगी ओर पश्चाताप साफ दिखाई देता था। 

मॉ-बाप का अनादर करना, भगवान का अनादर करने की समान है, अगर मॉ बाप खुश नहीं, तो भगवान कैसे ख़ुश रह सकते हैं। 

याद रहे-

मंदिर – मज़जिद, इंसान द्वारा बनाया गया पूजा स्थल हैं, ओर मॉ बाप, भगवान द्वारा बनाया गया पूजा स्थल

लेखक

एम पी सिंह

(Mohindra Singh)

स्वरचित, अप्रकाशित

16 Feb. 25

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!