सच्चा उपहार – अनुपमा

 

कितना भी रोक ले , पानी से मुंह धो ले बार बार पर जब तक पापा आते , दोनो की दोनो सो चुकी होती ,इंतजार करते करते निढाल सी हो जाती बेचारी दोनो की दोनो ।

गोपाल जैसे ही घर पहुंचा उसने अपनी दोनों बेटियों को आवाज लगाई … जल्दी आओ रानू गोलू देखो तुम्हारे लिए क्या लाया हूं ।

गोपी बाहर निकल कर आई , श श शश सो गई है दोनो राह देखते देखते .. रख देती हूं सुबह दे देना उनको …. अरे सुबह भी कहां मैं दे पाऊंगा .. तुम ही दे देना .. ये लो रख दो … 

रानू गोलू सुबह सुबह जैसे ही जागी भाग कर बापू के पास पहुंची , पर बापू तो जा चुके थे , दोनो ने एक दूसरे को देखा और उदास हो गई … तभी गोपी उन दोनो के लिए  रात को गोपाल द्वारा लाई गई मिठाई और लकड़ी का खिलौना पकड़ाते हुए बोली लो खा लो .. रात को बापू लाए थे तुम दोनो के लिए पर तुम सो गई थी ।

मां हमारे बापू इतनी देर से क्यों आते है और जल्दी क्यों चले जाते है … गुड़िया को देखो ना वो तो अपने बापू के साथ कितना खेलती है उसके बापू तो उसे साइकिल चलाना भी सिखा रहे है ,हमारे बापू से तो हम मिल भी नही पाते है ये कह कर दोनो रोने लगी ।

गोपी ने उन्हे चुप कराया और बोली तुम्हारे बापू को दूर काम करने जाना होता है ना बेटा और उनके पास साइकिल भी नही है वो तो पैदल ही जाते है इसलिए उन्हें घर से जल्दी निकलना होता है और इसलिए वो देर से भी घर आ पाते है , मां बापू फिर साइकिल क्यों नही ले लेते जिससे वो जल्दी घर आ जाए … 


गोपी उन्हे समझाती है बेटा तुम्हारी पढ़ाई और बाकी घर के खर्च के बाद इतना नही बचता है की बापू साइकिल खरीद सके ,जब कुछ पैसे होगे तो जरूर ले लेंगे ।

रानू और गोलू सोच मैं पड़ गई ….. रानू ने फिर गोलू के कान मैं कुछ कहा और दोनो स्कूल चली गई … 

रानू और गोलू अपनी गुल्लक साथ लाई थी उन्होंने उसे तोड़ा तो उसमे सिर्फ 300 रुपए ही थे … वो साइकिल वाले के पास गई और उससे सेकंड हैंड साइकिल दिखाने को बोला , उन्हे एक साइकिल पसंद भी आ गई पर उसकी कीमत 800 ₹ थी । वो उदास होकर घर आ गई । उन्हे उदास देख गोपी उनसे कारण पूछा तो गोलू ने मां को सब बता दिया ,गोपी ने सुना तो उसने भी मदद की ओर अपने पास से कुछ बचाए हुए पैसे 200 ₹ उन्हे दे दिए पर अभी भी 300 ₹ कम थे , और वो समझ नही पा रही थी क्या करे ,तभी रानू को एक विचार सुझा और वो पड़ोस मैं रहने वाली आंटी के यहां गई जो रोज अपने डॉगी को टहलाते वक्त रानू और गोलू से बातें करती थी , उन्होंने उनसे कहा आंटी हम आपके डॉगी को रोज टहला देंगे आपके पौधो मैं पानी भी दे देंगे अगर आप हमें उसके बदले कुछ पैसे दे दे तो । रानू और गोलू की मां गोपी से पूरा सच जानकार पड़ोस वाली आंटी ने उन्हे काम दे दिया ।

पंद्रह दिन बाद ही रानू और गोलू ने साइकिल लाकर अपने घर के पीछे रख दी और गोपी को सुबह उन्हे उठाने के लिए बोला , सुबह जब गोपाल फैक्ट्री जाने को हुआ तो रानू और गोलू उसके सामने साइकिल लेकर खड़ी हुई थी और जल्दी घर आने को कह रही थी जिससे वो अपने बापू के साथ कुछ समय बिता सके , खेल सके , घूम सके , गोपी से सारी बात जानकर गोपाल की आंखे भर आई उसने अपनी बच्चियों को गले लगा लिया और ।

अनुपमा

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