Monday, June 5, 2023
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आखिर वह कौन थी – कविता भड़ाना

रिमझिम हो रही तेज बारिश देख कर आज मन में हलचल मची हुई थी मन ही मन बहुत खुश होकर अपना पसंदीदा गाना गुनगुना रही थी बारिश का मौसम वैसे भी मेरा फेवरेट मौसम है बहुत दिनों के बाद आज घर में अकेले रहने का मौका मिला था एक संयुक्त परिवार में रहने वाली मैं आज बहुत ही रोमांचित हो रही थी सास ससुर देवर देवरानी मेरे दोनों बच्चे पति सब एक पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने मेरठ गए हैं और अगले दिन शाम तक की वापसी है। 

 मेरे कमर दर्द की वजह से लंबी दूरी के लिए डॉक्टर द्वारा मना कर देने से मैं यही घर पर आज अकेले रुकी हुई पर बेहद खुश हूं एक तो मर्जी की मालिक और ऊपर से यह बारिश का मौसम अपने लिए गर्म चाय और पोहा लेकर बालकनी में आकर मौसम का मजा लेने लगी हमारे घर काम करने के लिए आने वाली रमाबाई को मैंने आज रात में अपने यहां रुकने का आग्रह किया तो वह खुशी-खुशी मान गई बोल कर गई थी रात 8:00 बजे तक अपने घर बोलकर आ जाएगी वैसे तो मैं बहुत ही अच्छी सोसाइटी में रहती हूं

 अकेले रहने पर भी कोई दिक्कत नहीं थी परंतु कमर दर्द की वजह से मैं ज्यादा चलने फिरने में असमर्थ थी ऐसे में मुझे किसी की जरूरत भी थी तो रमाबाई के हां कहने से मुझे तसल्ली हो गई और मैं आराम से अपने फोन पर पुरानी पसंदीदा फिल्म देखने लगी रात्रि करीब 8:15 बजे डोर बेल बजने पर जब दरवाजा खोलकर देखा तो बुरी तरह भीगी हुई रमाबाई खड़ी हुई थी


 बाहर तेज बारिश होने की वजह से मुझे लगा कि रमाबाई अब नहीं आएगी और वैसे भी सोसाइटी में एक ऐप है नोब्रोकरहुड ऐप जिसमे किसी के भी आने से पहले अप्रूवल आता है हमारे एक्सेप्ट किए जाने के बाद ही एंट्री होती है फिर चाहे गेस्ट हो या फिर कोई  और मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया हो सकता है कि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम हो गई हो जिसकी वजह से मुझे रमाबाई के आने का कोई अप्रूवल गेट से नहीं आया खैर मैंने दरवाजा खोला और उसे कहा भी कि इतनी बारिश में क्यों आई मैं तो मैनेज कर ही लेती पर वह बोली कि भैया यानी कि मेरे पति ने स्पेशली उसे कहा था

 मेरा ध्यान रखने और हो सके तो रात में रुकने के लिए मैंने उसे खाने के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और बोली दीदी आप आराम से सो जाओ मैं यहीं बाहर ड्राइंग रूम में सो जाऊंगी मैंने उसे चादर दी और सोने के लिए अपने कमरे में आ गई सच कहूं तो पहली बार अकेले रात में घर में रहने में मुझे भी डर लग रहा था ऊपर से तेज बरसती रात पर रमाबाई के आ जाने से मैं भी आराम से सो गई सुबह मेरी आंख खुली फोन की घंटी से तो देखा मेरी खास सहेली राधिका का फोन था 

वह भी हमारी ही सोसाइटी में रहती है फिर उसने बताया कि कल रात 8:00 बजे रमाबाई को एक ट्रक ने रौंद दिया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई मैंने हंसकर कहा क्या सुबह-सुबह मजाक कर रही है रमाबाई तो कल रात 8:15 बजे मेरे यहां आ गई थी और अभी बाहर सो रही है राधिका से बात करते-करते मैंने ड्राइंग रूम में देखा कि रमाबाई वहां नहीं थी दरवाजा भी अंदर से बंद था और चादर भी एक और रखी हुई थी मेरी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा जब मैंने देखा की दरवाजे पर आते हुए पैरों के निशान तो थे पर जाते हुए नहीं दिमाग में रह-रहकर बस एक ही सवाल घूम रहा था कि आखिर वह कौन थी?

कविता बड़ाना

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