रिश्ता हमेशा बराबरी का होना चाहिए

रिंकी शुरू से ही पढ़ाई में होनहार थी बारहवीं बोर्ड में अपने जिले में नंबर वन आई थी।उसे पढ़ाई में शुरू से ही बहुत मन लगता था उसका सपना था अपना ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरा करें लेकिन उसके पापा की एक छोटी सी किराने की दुकान थी और उससे छोटी तीन बहन और एक बड़ा भाई था। वह भी सही से ज्यादा कुछ कमा नहीं पाता था ऐसे में दिल्ली यूनिवर्सिटी में उसको पढ़ना आसान नहीं था। 

 लेकिन रिंकी के पापा अपनी बेटी को बहुत पढ़ाना चाहते थे उन्हें पता था रिंकी एक होनहार  लड़की है। रिंकी के मां को जब यह बात पता चला कि रिंकी के पापा ने रिंकी को दिल्ली पढ़ाने के लिए पूरी तरह से मन बना चुके थे।  रिंकी के माँ ने उसके पापा को रोका आप अचानक से कोई भी फैसला कर लेते हैं आगे पीछे का कुछ नहीं सोचते हैं आपको पता भी है कि आपकी तीन और बेटियां हैं उनको भी पढ़ाना  है हम एक बेटी में इतना पैसा खर्च कर देंगे तो इन तीनों को कैसे पढ़ा पाएंगे। 

रिंकी के पापा ने कहा अब जो भी हो मुझे नहीं पता मैंने सोच लिया है अपनी बेटी को दिल्ली यूनिवर्सिटी में  एडमिशन करवाना ही है। 

रिंकी का एडमिशन दिल्ली के हिंदू कॉलेज में हो गया था पास में ही एक पीजी में रहने लगी थी लेकिन उसे पता था कि उसके पापा इतना पैसा कैसे भेज  पाएंगे इसलिए उसने यहां पर होम ट्यूशन जाकर पढ़ाने लगी इससे कम से कम उसका खर्चा तो चल ही जाएगा। 



 रिंकी के क्लास  में रोहन नाम का लड़का पढ़ता था।  पढ़ाई के मामले में रोहन और रिंकी दोनों अपने क्लास में लड़के और लड़कियों मे   नंबर वन थे। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आए और कब उनकी दोस्ती प्यार में बदल गया उन्हें खुद ही पता नहीं चला। 

ग्रेजुएशन कंपलीट करने के बाद रोहन अपने पुश्तैनी दुकान जो चांदनी चौक में थी वहीं पर जाकर बैठने लगा इधर रिंकी को भी दिल्ली के स्कूल में प्राथमिक शिक्षक की नौकरी लग गई थी । 

 1 दिन रोहन और रिंकी फोन पर बात कर रहे थे रोहन ने बताया उसके घर वाले उसकी शादी कर देना चाहते हैं तुम अपने पापा को मेरे घर रिश्ते के लिए भेजो। रिंकी ने कहा मैं अपने घर में अपनी शादी की बात नहीं कर सकती हूं तुम्हें करना है तो करो। 

रोहन ने रिंकी के पापा से रिंकी से शादी के लिए बात कर ली, रोहन के पापा ने बताया कि बेटा हम इतना दहेज कहां से दे पाएंगे मेरे पास जो भी था मैंने रिंकी के पढ़ाई में खर्च कर दिया और मेरे रिंकी से छोटी भी 3 बेटियां हैं उनकी भी पढ़ाई और उसके बाद शादी करनी है। 

 रोहन ने कहा आप एक बार हमारे घर पर बात करने तो आओ बाकी मैं खुद देख लूंगा। रोहन के घर पर रिंकी के पापा रोहन  से शादी करने के लिए पहुंचे। उन्होंने रोहन की माँ से बताया कि रोहन और रिंकी एक दूसरों को पसंद करते हैं एक  साथ ही कॉलेज में पढ़ा करते थे। मेरी बेटी भी दिल्ली के सरकारी स्कूल में शिक्षक है।  

रोहन की मां ने कहा देखो भाई साहब हमारी घर की बहू  नौकरी नहीं करती है और यह भी सुन लीजिए शादी से पहले रिंकी ने जो मर्जी किया लेकिन शादी के बाद उसे नौकरी छोड़ना होगा।  अगर उसे मंजूर है तभी हमारे घर में रिश्ता होगा और यह भी सुन लीजिए मैं दहेज मे 5 लाख से कम बिल्कुल भी नहीं लूंगी। अगर आपको हमारे घर में शादी करना है इतना तो लगेगा ही यह तो कुछ भी नहीं है मेरे बेटे के लिए तो इतने बड़े बड़े रिश्ते आ रहे हैं लेकिन मैं अपने बेटे की जिद के कारण आपके यहां रिश्ता कर रही हूं। 



रिंकी के पापा ने कहा ठीक है मैं अपने घर में बातचीत करके आपको बताऊंगा।  रिंकी के पापा जब अपने घर पर आए और 5 लाख वाली बात रिंकी की मम्मी से बताया तो रिंकी की  मम्मी ने कहा, “हमें नहीं करना ऐसे ही घर में रिश्ता हमारी एक ही बेटी थोड़ी है जो कैसे भी करके कर लेंगे इससे छोटी भी हमारी तीन बेटियां हैं उन्हें क्या रोड पर फेंक देंगे जितनी जिसकी औकात होगी वह करेगा और हमारी बेटी भी कोई कम नहीं है सरकारी स्कूल में शिक्षक है। 

रिंकी को जब यह बात पता चला कि रोहन के घरवाले इतना सारा दहेज मांग रहे हैं उसने उसी समय रोहन को फोन लगाया और बोली रोहन तुम्हें तो पता है मेरे पापा इतने पैसे कहां से दे पाएंगे मेरे से छोटी मेरी तीन बहने हैं उनकी भी तो शादी करनी है। 

रिंकी और रोहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन उन दोनों के पास कोई चारा नहीं था वह अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ भी नहीं जा सकते थे लेकिन वह एक दूसरे से अलग भी नहीं हो सकते थे। 

 रिंकी ने अपने पापा से कहा पापा मैंने अपनी नौकरी से 2 लाख  जमा किए हैं आप चाहो तो वह ले सकते हो। रिंकी के पापा ने कहा अरे नहीं बेटी में हम तुम्हारे पैसे क्यों लेंगे।  अब क्या हमारे इतने बुरे दिन हो गए हैं जो अपनी बेटी के पैसे से हम उसकी शादी करेंगे। रिंकी के जिद के कारण रिंकी के पापा तैयार हो गए क्योंकि रिंकी किसी भी हाल में रोहन से शादी करना चाहती थी। 

 अपनी औकात से ज्यादा रिंकी के पापा ने अपनी बेटी की शादी पर खर्चा किया ताकि लड़के वालों को किसी भी चीज में कमी नजर ना आए।  रोहन और रिंकी की शादी बहुत धूमधाम से हुई। रिंकी विदाई होकर आगरा से दिल्ली जा रही थी रिंकी बहुत खुश थी वह सोच रही थी चलो जैसे भी हो शादी तो हो गया। 



 रिंकी के ससुराल वाले बहुत ही अमीर थे दिल्ली में उनका खुद का चार मंजिला मकान था और चांदनी चौक में कपड़े की बड़ी की दुकान ससुराल में लोग भी बहुत थे तीन ननद और दो देवर। 

रिंकी गाड़ी से उतरकर अपने ससुराल में जैसे ही पहला कदम रखा रिंकी के ननदों ने रिंकी को घेर  लिया और उससे अपना नेग मांगने लगी। रिंकी ने अपनेपर्स से तीनों को तो ₹2000 का नोट निकाल कर दे दिया।  लेकिन रिंकी के ननंद ने रुपए लेने से मना कर दिया उन्होंने अपनी मां से कहा क्या मां ₹2000 से क्या होगा क्या हमारी इतनी औकात  है। रिंकी की सास ने कहा कोई नहीं बेटा अभी जो तुम्हारी भाभी दे रही है ले लो। तुम्हारी भाभी को क्या पता इस घर के रस्म-रिवाज के बारे में।  मैं तुम्हें अपनी तरफ से अच्छा सा गिफ्ट दूंगी। 

रिंकी नहा धोकर उसने सोचा कुछ देर के लिए सलवार सूट ही पहन लेती हूं क्योंकि रात भर शादी का लहंगा पहने हुए थक गई थी।  सोचा बाद में साड़ी पहन लूंगी लेकिन बाथरूम से वह जैसे ही निकल रही थी सास की नजर रिंकी पर पड़ गई और उसने कहा बहु यह क्या पहन लिया है।  तुम्हें पता नहीं है इतने सारे मेहमान आए हुए हैं और नई नई बहू क्या सलवार सूट पहनती है। जाओ साड़ी पहन लो।  

कुछ देर के बाद रिंकी ने अपनी मां की दी हुई साड़ी पहन कर तैयार हो गई।  जब रिंकी की सास ने देखा तो कहा यह कैसी साड़ी पहन ली है अपना नहीं तो कम से कम हमारी इज्जत का ही ख्याल रख लो।  लोग क्या सोचेंगे गुप्ता जी की बहू ऐसी साड़ी पहनी हुई है। हमने जो तुम्हें साड़ी शादी मे चढ़ाया है उनमें से ही कोई पहन लो। 

 यह बात रिंकी को बहुत बुरा लगा क्योंकि हर लड़की को अपने मायके की चीज प्यारी होती है लड़की अपने मायके की चीजों को पैसे से नहीं तोलती है बल्कि प्यार से तोलती  है। 



1 सप्ताह बाद रिंकी  पहली बार रसोई में खाना बनाने के लिए गई।  उसे मूंग का हलवा, कचौड़ी और आलू की सब्जी बहुत अच्छा बनाने आता है तो उसने सोचा आज वही बनाकर सबको खिलाती हूँ। 

 सुबह-सुबह  डाइनिंग टेबल पर सारे घर वाले नाश्ते के लिए इंतजार कर रहे थे।  थोड़ी देर बाद रिंकी मूंग का हलवा, कचौड़ी और आलू की सब्जी परोसने  लगी। यह देखकर रिंकी की ननद बोली भाभी यह क्या बनाया है इतना सारा तेल वाली कचौड़ी, मैं तो यह कभी नहीं खा सकती हूं। तभी रिंकी का देवर बोलाअपनी मम्मी से बोला,  आपको तो पता है कि मैं सुबह सिर्फ जूस लेता हूं इसके अलावा कुछ नहीं लेता हूं। ऐसा खाना अगर मैं सुबह सुबह खाऊंगा तब तो मेरा कल्याण हो गया। 

 रिंकी की सास  ने कहा बहु तुम्हें किचन में जाने से पहले कम से कम सबसे पूछ तो लेना चाहिए था कि सब लोग नाश्ते में क्या लेते हैं।  तुमने अपने मन से बना दिया बताओ कोई खाएगा भी नहीं इतना सारा खाना बर्बाद हो जाएगा। 

पहाड़ नहीं  टूट जाएगा। जिनको खाना है वह खाए नहीं खाना है कोई बात नहीं। 

रिंकी को थोड़ी सी हिम्मत मिली कि चलो कम से कम उसका पति रोहन तो उसके साथ है।  रिंकी दुबारा से रसोई में जाकर सब की मनपसंद की नाश्ता तैयार कर सबको खिलाया। 

 इधर रिंकी की स्कूल की छुट्टियां भी समाप्त होने वाली थी।  शादी के कुछ दिनों के बाद ही सब लोग अपने अपने काम पर चले जाते थे।  रिंकी दिन भर अकेले रह जाती थी, वह दुबारा से स्कूल ज्वाइन करना चाहती थी लेकिन वह अपनी सास से  कहे तो कैसे कहे। क्योंकि सास ने साफ मना किया था दुबारा से नौकरी नहीं करना है। 



रात में उसने  रोहन से कहा रोहन मैं  दुबारा से अपनी नौकरी ज्वाइन करना चाहती हूं।  तुम मम्मी से बात करो ना। रोहन ने भी कहा कि नौकरी कर क्या करोगी लेकिन रिंकी ने कहा रोहन मैं पूरे दिन घर में बैठकर क्या करू।  4 घंटे की तो बात है जाकर आ जाऊंगी मेरा भी मन लग जाएगा। 

रोहन ने  जब अपनी मां से रिंकी की नौकरी के बारे में बात की तो माँ ने शुरू मे  मना कर दिया लेकिन रोहन के बार-बार जिद करने की वजह से उन्होंने बोला ठीक है लेकिन यह बोल दो टाइम से स्कूल जाएगी और टाइम से ही घर पर आ जाएगी और सलवार सूट तो बिल्कुल ही अलाउड नहीं है पहन कर जाना साड़ी में जाना है तो जाएगी। 

दशहरे में स्कूल में 10 दिन की छुट्टियां पड़ चुकी थी रिंकी के पापा रिंकी को अपने साथ ले जाने के लिए दिल्ली आए हुए थे। 

अगले दिन रिंकी  जब तैयार होकर अपने पापा के साथ जाने के लिए निकली तो रिंकी के सास में कहा गाड़ी कहां है कैसे जाओगी। रिंकी ने अपने सास से कहा रोहन हमें बस अड्डे तक छोड़ देंगे फिर हम वहां से बस से चले जाएंगे। 

रिंकी की सास ने कहा क्या बात कर रही हो बहू  हमारी घर की बहू अब बस से जाएंगी। क्या इज्जत रह जाएगी समाज में हमारी आज तक हमारे घर की कोई भी औरत बस मे नहीं चढ़ी। 

रिंकी की सास ने रोहन से कहा बेटे बहू के लिए आगरा के लिए गाड़ी बुक कर दो और रिंकी के पापा से भी कहा इस बार तो मैं अपनी बहू को भिजवा दे रही हूं लेकिन आगे से आप जब बहू को ले जाने आएंगे तो आप अपनी गाड़ी उधर से लेकर आएंगे आखिर हमारा भी स्टेटस है। 



 शाम होते ही रिंकी अपने मायके आगरा पहुंच चुकी थी। रिंकी ससुराल से मायके भी दुल्हन की तरह सज धज कर आई हुई थी। रिंकी को देखकर रिंकी की बड़ी भाभी बोली क्या ठाठ हैं काश मेरा भी ससुराल ऐसा ही होता.  आपकी किस्मत कितनी अच्छी है जो रोहन जी जैसे ननदोई मिले। तभी रिंकी की छोटी बहन ने भी कहा हां भाभी सही कह रही हो काश मेरी भी शादी ऐसे ही घर में होती। रिंकी के पापा बोले अरे पगली क्यों चिंता करती है मैं अपनी तीनों बेटियों की भी शादी रिंकी जैसे घर में करूंगा। 

अब रिंकी से रहा  नहीं गया और उसने ना चाहते हुए भी बोल ही दिया पापा लड़की वालों को कभी भी अपनी लड़की की शादी  अपने से ऊंचे घर में नहीं बल्कि अपने बराबर के घर में करना चाहिए जिससे उसके ससुराल में उसे उतना ही इज्जत मिले जितना कि उसे उसके मायके में मिलता है।  क्योंकि एक लड़की के लिए सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं है पैसा तो उसके पांव के धूल के बराबर है। जिस घर में सम्मान नहीं हो हर बात के लिए ताना मारा जाए । ऐसे घर में बेटियां कहां खुश रह पाती हैं।

  वह तो किस्मत से रोहन बहुत सपोर्टिव है इससे मेरा गुजारा ससुराल में हो जाता है लेकिन हर लड़की के नसीब में रोहन जैसा पति नहीं होता है। 

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