रिक्त स्थान (भाग 42) – गरिमा जैन

रेखा : अरे रूपा  जितेंद्र के  ना जाने कितने मैसेज आए पड़े हैं !! मुझे जाना होगा ,शायद जानू उन्हें बहुत परेशान कर रहा है ।

रूपा :क्या लिखा है रेखा मैसेज में ??

रेखा :लिखा है जल्दी घर आ जाओ!! इस तरह से तो जितेंद्र कभी भी मैसेज नहीं करते ।कुछ खास बात होगी ।ताज्जुब है उन्होंने कॉल नहीं करके मुझे मैसेज किया है। ठीक है रूपा मैं चलती हूं ।मैं थोड़ी ही देर में फिर वापस आ जाऊंगी। तब तक तुम बाहर जाकर आंटी अंकल के साथ बैठो और  थोड़ी बातें करो ।वह बहुत परेशान है तुम्हारे लिए।

रूपा :  रेखा तू मेरी सिर्फ सच्ची सहेली ही नहीं  मेरी बहन है। मैं ना जाने क्यों इतना भयभीत हो गई थी। सच जितना ज्यादा डर को बढ़ाओ वह खुद पर हावी होता जाता है। मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूं ।

रेखा: तू भी मेरी बहन है । बहने कभी एक दूसरे को शुक्रिया देती हैं भला। तू तो मेरी जिंदगी है। तुझ में मेरे प्राण बसते हैं रूपा। चल अब मैं चलती हूं ।शायद जितेंद्र बहुत परेशान है तभी वह मैसेज कर रहे हैं।

रूपा : पर तू जाएगी कैसे??

रेखा:  तू भूल गई क्या ??अब मैं ड्राइव करती हूं। कार बाहर खड़ी है। मैं आराम से चली जाऊंगी ।

रूपा : ठीक है घर पहुंचते ही कॉल करना।

रेखा : हां हां और तू जाकर बाहर अंकल आंटी से बातचीत कर ।उन्हें कुछ खिला पिला ।अगर उन्हें कुछ हो गया ….

रूपा : नहीं नहीं रेखा  मैं उन्हें कुछ नहीं होने दूंगी।

रेखा अपने घर चली जाती है और रूपा बाहर ड्राइंग रूम में अपने पापा मम्मी के साथ बैठकर बातें करती है ।अपना दिल हल्का करती है ।तकरीबन 10 मिनट के बाद जितेंद्र का फोन रूपा के मोबाइल पर आता है। वह बहुत घबराया हुआ था

जितेंद्र : रूपा रेखा का फोन नहीं लग रहा वह तेरे घर आई है ना ।उससे कह देना मेरा मोबाइल चोरी हो गया है। मैं जल्द ही नया फोन लेकर उससे बात करूंगा ।अभी मैं पुलिस स्टेशन आया हूं ।एफ आई आर दर्ज कराने। मैंने अपना सिम अभी बंद कराया है।

यह सारी बातें सुनकर रूपा के कान बिल्कुल गर्म हो गए उसका चेहरा लाल हो गया जितेंद्र  जी क्या कह रहे थे!!

रूपा: जितेंद्र जी रेखा को तो आपका मैसेज आया था, वह लगभग 10-15 मिनट पहले घर की तरफ चली गई ।

जितेंद्र : मैसेज ! पर मैंने तो कोई भी मैसेज नहीं किया। मैं उसे मैसेज करता ही नहीं हूं ।करना भी हो तो मैं उसे फोन कर लेता हूं। रूपा कुछ गड़बड़ है तुरंत रेखा को फोन मिला मैं भी मिला रहा हूं ।

रूपा रेखा को फोन मिलाती है पर उसका मोबाइल आउट ऑफ रीच से रहा था ।रूपा के मन में ढेरों प्रश्न उभरने लगते हैं ।उसका दिल घबराने लगता है ।दिल जोर से धड़कने लगता है। उसके पापा मम्मी उसे देख परेशान हो जाते हैं। अभी वो ठीक से अपने दुख से उबरी भी नहीं थी कि दोबारा उसे झटका लग जाता है ।जितेंद्र बहुत परेशान था ।रेखा का फोन नहीं लग रहा था ।उसका फोन आउट ऑफ रीच दे रहा था ।इंस्पेक्टर विक्रम वही थे ।वह दोनों तुरंत रूपा के घर आते हैं ।रूपा भी तैयार होकर पुलिस थाने के लिए ही निकल रही थी ।

रूपा : विक्रम जीजू मैं आपको सबकुछ बताऊंगी अब डरूंगी नहीं। मैं आप लोग को सब कुछ बताऊंगी ।मुझे पूरा यकीन है कि उस सनकी कातिल ने ही रेखा का अपहरण किया है ।उसकी नजर रेखा पर ही थी ।

विक्रम : बताओ रूपा तुम्हें जो कुछ भी पता है जल्दी बताओ कहीं देर ना हो जाए!!!

रूपा :  वह आदमी मानसिक रूप से बीमार है ।शायद 4 साल की उम्र में उसके साथ कोई ऐसा हादसा हुआ था जिसने उसकी जिंदगी बदल दी थी ।उसका कोई दूर के रिश्ते का भाई है जिससे वह बहुत जलन रखता है ।शायद… शायद वह उसे भी नुकसान पहुंचाना चाहता हो ।

उसने आज तक छह लड़कियों का कत्ल किया है अब 35 लड़कियों को घायल किया है। जिन लड़कियों का कत्ल करता है वह उन्हें मारने से पहले उन्हें अजीब सी पोशाके पहनाकर उनकी तस्वीर बनाता है और उन्हें नीचे अपने ड्राइंग रूम में लगाता है और जितनी लड़कियों को वह घायल करता है उतने ही वार वह अपने चेहरे पर करता है इसलिए वह किसी के सामने नहीं आता ।वह बता रहा था कि वह देखने में बहुत ही डरावना है और उसे कभी किसी से प्रेम नहीं हुआ ना किसी ने उस से प्रेम किया ।

उसके नाम के जो अक्षर थे एच और एन उसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता लेकिन यह पता है कि उसका जो भाई है वह रसूखदार परिवार से है और शायद अमीर भी है जिसे देखकर वह जलन रखता है और शायद उस जैसा ही बनना चाहता है ।वह यह भी बता रहा था कि बचपन में सब उसे राक्षस कहते थे । उसके मां-बाप बचपन में ही गुजर गए थे और उसे ही अपने मां-बाप का कातिल समझा जाता था ।उसे मंदबुद्धि भी कहा जाता था और इन सब चीजों ने उसके मन पर इतनी गहरी छाप छोड़ी कि वह सब से बदला लेने पर आमादा हो गया ।वह कह रहा था उसका दिमाग बहुत तेज है लेकिन उस तेज दिमाग को उसने गलत कार्यो में इस्तेमाल किया ।

ऊपर की मंजिल पर जो ड्राइंग रूम है ऊपर वही से एक सुरंग नीचे जाती है ।300 फुट नीचे ।रिमोट के बटन से वह गुप्त दरवाजा खोलता है उसे  दरवाजे से मैं नीचे गई थी लेकिन ऊपर आते वक्त मैं बेहोश हो गई थी शायद मैं बहुत डर गई थी ।नीचे तहखाने में उसने अपना एक आशियाना बनाया हुआ है वहां बहुत ठंड थी और प्रकाश बहुत हल्का था। ज्यादा कुछ दिख तो नहीं रहा था लेकिन एक बड़ा सा कमरा था जिसमें पुराने जमाना का सामान रखा था।

2 बड़ी-बड़ी तस्वीरें दीवार पर लगी थी शायद किसी राजा महाराजा की लग रही थी ।कमरे में अजीब सी महक थी और मनहूसियत  थी।वह किसी दरवाजे या कमरे के पीछे से छिपकर मुझसे बात कर रहा था लेकिन वह मेरे सामने आने को तैयार नहीं था। मैं इतना ही बता सकती हूं विक्रम जीजू इससे ज्यादा अगर मुझे कुछ भी याद आएगा तो मैं आपको जरूर बताऊंगी।

विक्रम : रूपा अगर यही हिम्मत एक हफ्ते पहले दिखाई होती तो रेखा हमारे बीच होती।

इन सब बातों में ना जाने जितेंद्र कहां खो गया था ।वह एक दीवार को देखा जा रहा था ।फिर अचानक से बोलता है “हेमंत” है हेमंत नागपाल मेरा भाई ।मेरा ध्यान उसकी तरफ कैसे नहीं गया। यह वही है। जब छोटा था तब उसके मां-बाप ने एक दूसरे का कत्ल कर दिया था उसकी नजरों के सामने। उसके बाद यह 15- 20 दिन तक बोल ही नहीं पाया था। मेरे पिताजी उसे  गांव से शहर ले आए थे ।उसने यही से पढ़ाई लिखाई भी की लेकिन फिर उसके मामा आकर उसे गांव ले गए ।उस समय वह  10 वर्ष का था ।बाद में हमें सुनने में आया कि गांव में उसके साथ बहुत खराब व्यवहार होता है।

लोग उसे मंदबुद्धि और राक्षस कहते हैं। अपने मां-बाप का कातिल समझते हैं। पिताजी ने फिर से निश्चय किया था कि वह उसे घर ले आएंगे, शहर में पढ़ाई कराएंगे लेकिन जब हम गांव गए थे ….मुझे याद है मैं उसके संग खेला करता था। वह मुझसे उम्र में लगभग 4 साल छोटा था लेकिन वह बहुत चुप चुप रहता था ।थोड़ी सी भी लड़ाई होने पर बहुत उग्र हो जाता था। उसने शहर आने से मना कर दिया था। उसने कहा था गांव ही उसका घर है यह वही रहेगा जबकि उसके हालात वहां पर ठीक नहीं थे।

उसके मामा मामी भी यही चाहते थे कि वह वही गांव में रहे ।वह पापा से कहने लगे कि आप अपनी हस्ती बस्ती जिंदगी क्यों खराब कर रहे हैं। यह राक्षस योनि में पैदा हुआ है। इसका काला साया आपके घर पर पड़ेगा तो वह भी बर्बाद हो जाएगा। इस अभागे को यही गांव में पड़े रहने दीजिए ।तब मुझे उसके लिए बहुत बुरा लगा था ।

लौटते वक्त मैं उसे गले मिलने गया तो उसने मुझे धक्का देकर नीचे गिरा दिया था। मैं समझ नहीं पाया कि उसने ऐसा क्यों किया?? लेकिन मेरे मन में उसके लिए कभी कोई दुर्भावना नहीं थी ,कोई क्लेश नहीं था और वह होगा यह तो मैं सोच भी नहीं सकता था ।यह तो बहुत बीते बचपन की बात थी मुझे नहीं पता कि वह मुझ से घृणा रखता है ,जलन रखता है !!

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गरिमा जैन 

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