रिक्त स्थान (भाग 41) – गरिमा जैन

रूपा के साथ वो हादसा हुए एक हफ्ता बीत चुका था लेकिन वह किसी से कोई भी बात नहीं कर रही ।यहां तक की रेखा से भी नहीं ।वह किसी को नहीं बता रही कि उसके साथ क्या हुआ था?? उसे हर पल बस एक ही डर समाया रहता है कि वह कातिल हर वक्त उसका पीछा कर रहा है और अंततः उसे मार डालेगा!!

मोबाइल में घंटी बजती है  तो रूपा चौक उठती है। उसे ऐसा लगता है कि उसी कातिल ने उसे कॉल किया है। सोशल मीडिया तो उसने छोड़ ही दिया । उसे हर पल लगता कि उसकी हर गतिविधि पर वह कातिल नजर बनाकर रख रहा है।

उसके अंदर ऐसा खौफ बैठ गया है जो उसे ना जीने दे रहा है ना मरने दे रहा ।

रूपा : रेखा वह देख रही है खिड़की के बाहर कोई झांक रहा है !! वही कातिल होगा । वह हर पल मुझ पर नजर रख रहे हैं ।अगर मैंने एक बार भी अपनी जुबान खोली तो वह मुझे उसी पल मार देगा।

रेखा : रूपा कैसी बहकी बहकी बात कर रही है। तूने कितनी बहादुरी से उसका सामना किया और अब तू इतनी डरपोक कब से हो गई ?? वह भी तो  इंसान हैं हमारी तरह।

रूपा :नहीं रेखा वह इंसान नहीं है। मैंने उसकी हैवानियत देखी है। उसने 6 लड़कियों का कत्ल किया है और 35 लड़कियों को अधमरा छोड़ा है ।अगला नंबर मेरा ही होगा और उसके बाद तेरा !!!उसकी हंसी आज ही मेरे कानों में गूंज रही है। उसका दिमाग शैतानी है। वह बता रहा था कि वह राक्षस योनि में पैदा हुआ था ।ना जाने वह कितने कत्ल कर चुका है। वह इंसान नहीं है रेखा…. वह इंसान नहीं है….

रेखा रूपा के इस बर्ताव से बहुत परेशान है। वह उसे किस तरह समझाएं उसे समझ नहीं आ रहा ।तभी रेखा को एक कहानी याद आती है जो उसने बचपन में सुनी थी और वह कहानी उस पर बहुत गहरी छाप छोड़ गई थी।

रेखा :  पता है रूपा एक बार भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम जंगल में घूमने गए ।जंगल में एक राक्षस छुप कर बैठा था। राक्षस ने जब कृष्ण को देखा तो वह अपना रूप बड़ा करने लगा और कुछ ही पल में वह कृष्ण से कई गुना बड़ा होने लगा। बलराम ने जब उसे देखा तो वह भयभीत हो गए ।जितना अधिक बलराम उससे भयभीत होते उस राक्षस का आकार उतना ही बढ़ता जाता ,बढ़ता जाता।….. लेकिन इसके विपरीत श्रीकृष्ण उसे देखकर बिल्कुल भी भयभीत नहीं हुए उल्टा मुस्कुराने लगे ।राक्षस उन्हें डराने के लिए अपना चेहरा और भयानक करता ,अपना आकार और विकराल करता लेकिन कृष्ण उसे देख कर मुस्कुराते और बांसुरी बजाने लगते। अपनी हार देख वह राक्षस आकार में छोटा होने लगा और वह छोटा होते होते मक्खी के आकार का हो गया ।बलराम यह देख आश्चर्यचकित हो गए। कृष्ण ने कहा यह राक्षस कुछ नहीं है भाई हमारे अंदर का डर है। इसे हम जितना ज्यादा डरेंगे यह उतना ही विकराल होता जाएगा और हम अगर अपना आत्मविश्वास बनाए रखेंगे और उस परमात्मा पर विश्वास बनाए रखेंगे तो वह हमारे आगे वह धूल के समान छोटा हो जाएगा ।समझ रही हो रूपा उस कातिल ने तुम्हारे दिल के अंदर दहशत बैठा दी है ।वह तुम्हारे आगे और उस ईश्वर के आगे कुछ भी नहीं। तुम्हें अपना पुराना आत्मविश्वास फिर से वापस लाना होगा तभी उस शैतान से लड़ सकती हो ,नहीं तो ना जाने वह हमारे जैसे कितनी ही लड़कियों का शिकार करता रहेगा और उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर बना देगा।

रूपा यह सब सुनकर भी जैसे शून्य में देख रही थी। जैसे उसके मन पर कोई बात असर ही नहीं कर रही थी ।रेखा उसे जोरों से ही हिलती है ।

“रूपा क्या हो गया है तुझे?? तू कितनी बहादुर थी ।तू हम सबके लिए प्रेरणा थी। तुझे बताना ही होगा उस रात क्या हुआ था?? तू  कहां गायब हो गई थी ??जब तक तू नहीं बताएगी तब तक कोई भी तुम्हारी मदद नहीं कर पाएगा ।”

रूपा धीरे से बोलती है वह सुन लेगा!

रेखा : कौन सुन लेगा रूपा?

रूपा :  प्रीतम !!

रेखा : क्या उसका नाम प्रीतम है ??

रूपा : उसक कातिल का मैने यह नाम  रखा था।

रेखा : तूने रखा था !पर क्यों ??

रूपा : मैंने उसे बेवकूफ बनाया था  । तभी तो मैं जिंदा बचकर भाग पाई पर अब वह जान चुका होगा कि मैंने उसे बेवकूफ बनाया था और अब वह बहुत ही बेरहमी से मुझे मारेगा ।

रेखा : तू क्या बहकी बहकी बातें कर रही है ?मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा ।तूने उसको देखा था ??

रूपा :नहीं वह अंधेरे में था। सिर्फ उसकी आवाज आ रही थी।

रेखा : तू उसकी आवाज से इतना डर गई!! तूने देखा ना मेरे साथ क्या कुछ हुआ था । नैना भी  किसी सनकी पागल से कम नहीं थी। तुझे याद है ना उसने मुझे और जितेंद्र को कितने दिन कैद में रखा था ,जितेंद्र लगभग जीने की चाह छोड़ चुका था लेकिन मैंने अंत समय तक ,आखिरी सांस तक लड़ने की कसम खाई थी। मानव जन्म किस लिए होता है ??दूसरों के लिए मिसाल प्रस्तुत करने के लिए, अपनी आखिरी सांस तक अपने अस्तित्व के लिए लड़ने के लिए, तो तू इतनी जल्दी हार जाएगी ??तेरे मम्मी डैडी !!उनका क्या होगा !!तूने देखा है एक हफ्ते से वे सदमे में रह रहे हैं।आंटी  हर वक्त रोती रहती हैं। दोनों समय पर खाना नहीं खाते। इसी दिन के लिए उन्होंने तुझे पैदा किया था! ऐसी बुजदिल औलाद को पैदा करने के लिए मां बाप इतना जतन करते हैं!

रूपा : रेखा  मैं बुजदिल नहीं हूं..

रेखा: तू बुजदिल है रूपा !!तू डर गई और उस सनकी कातिल ने तुझे डरा दिया। तूने जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी और सिर्फ तुमने ही नहीं ,तुम्हारे मां-बाप ने, तुम्हारी प्यारी सहेली ने, सब ने जीने की उम्मीद छोड़ दी है । तुझे पता है जानू एक हफ्ते से ढंग से खा पी  नहीं  रहा है। स्कूल नहीं जा पा रहा ।जितेंद्र कब सोता है कब ऑफिस जाता है मुझे कुछ नहीं पता। 1 हफ्ते से मैं तेरे साथ हूं और तू है कि उस पागल इंसान से डरती है जिसे खुद अपना नहीं पता।

रूपा : नहीं रेखा मैं नहीं डरूंगी ….अब….

रेखा:  तू डरेगी… रूपा तू डरेगी । तू एक नंबर की डरपोक है तू डरपोक ही तो पैदा हुई थी। लानत है तेरी जैसी औलाद पर इससे अच्छा तो तुझे अंकल आंटी ने पैदा ही ना किया होता।

रूपा :  रेखा तुम ये क्या कह रही हो ?तुझे पता है ना मैं… नहीं डरती….

रेखा : तू डरती है …

रूपा : मैं अपने लिए नहीं डरती हूं ।

रेखा : तो किसके लिए डर रही है तू …..

रूपा : मैं तुम्हारे लिए डर रही हूं।

रेखा :  मेरे लिए ???क्यों ??

रूपा : क्योंकि ….

रेखा : क्या रूपा??

रूपा :  क्योंकि उसका अगला शिकार तुम हो रेखा… तुम हो… मैं किसी भी तरह तुम्हें खोना नहीं चाहती। क्या होगा जितेंद्र का!!जानू का क्या होगा!! क्या होगा तुम्हारे पापा मम्मी का !!क्या होगा अगर मैंने अपना मुंह खोला !!उसे पता चल गया तो शायद तुम्हें…

रेखा : ओह, तो यह जाल बिछाया है उसने!! तुम क्या सोचती हो मैं डर जाउंगी!! मैं तो उसपर सामने से वार करूंगी ,उसके सीने पर वार करूंगी रूपा ।।मैं नहीं डरती।। हमें जिंदा रखने वाला ऊपर वाला है । जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।  मुझे बता कुछ तो बता ..उसके बारे में।

रूपा :  रेखा मैं बताऊंगी मैं सब कुछ बताऊंगी..

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गरिमा जैन 

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