रब ने बनाई जोड़ी – प्रीती सक्सेना

मम्मी पापा की लाडली बेटी दिया,,, भईया की,, लाडली बहन,,, घर की रौनक,,, उसके रहते घर में उदासी कहीं रह भी न पाती,, हमेशा खुशी और हंसी से गुलजार रहता घर।
पढाई होते ही,,, लोगों ने पूछना शुरु कर दिया,,, दिया की शादी कब कर रही हो,, मम्मी पापा को तो अपनी गुड़िया,,, छोटी सी,, बच्ची लगती,,, किसी और के घर, में भेजने के खयाल से ही कलेजा, मुंह को आने लगता,,, कैसे दूर कर पाएंगे,, अपनी लाडो को अपने से दूर,,, सोचकर ही दोनों की रातों की नींद ही गायब हो जाती।
रिश्तेदारों से पास के शहर का एक संभ्रांत परिवार और लड़के का पता चला,,, लड़का भी शानदार नौकरी में था,,,, सब तरफ़ से संतुष्ट होकर,,, उन्होंने रिश्ता लेकर जाने का विचार किया।
बढ़िया मिठाई का डब्बा लेकर,, पहुंचे,,, लड़के वालों, ने,, उम्मीद से ज्यादा, स्वागत और, सत्कार किया,,, अभिभूत होकर,, लौटे,,,, मन में अपार शांति, और संतुष्टि,,, सच में,, अपनी बेटी को ऐसे अनजाने घर में देना,,, जिसके बारे में,,, जानते तक नहीं,,, एक मां बाप के लिए कितना भारी होता है,,, एक बेटी के माता पिता ही समझ सकते हैं।
शादी की बात आगे बढ़ने लगी,,, लड़का, लड़की को एक दूसरे से परिचय भी करा दिया गया,,, पसंदगी भी जाहिर हो गई थी,, बड़ा ही शानदार जोड़ा था।
अब बारी आई,,, शादी के खर्चे और रस्मों पर दिए जाने वाली रस्मों पर नेग,, दस्तूर के शगुन का खर्च,,,,
बजट,,,, ज़रूरत से ज्यादा,,, होने पर,,, माता पिता,, निराश होकर लौट आए,,,, माता पिता का उतरा चेहरा देखकर दिया,,, समझ गई,,, अपने कमरे में आकर रो पड़ीं,,, मन ही मन रोहन को अपना मान चुकी थी,,, पर अपने घर की स्थिति को भी भली भांति जानती थी,,, पिता,,, भरसक प्रयत्न करते पर,,, ज़रुरत से ज्यादा बोझ,, उठाने में असमर्थ हो गए।



धीरे धीरे,, घर का माहौल शांत सा होने लगा,,, दोबारा लड़का घर,,, देखा जानें लगा,, पर दिया के मन में तो,,, रोहन की तस्वीर बस चुकी थी,,, उसे कोई पसन्द नहीं आता,, उधर रोहन का भी वही हाल था,,, दिया की मासूमियत,, उसकी निश्छल हंसी,,, उसका साफ सुथरे ढंग से बात करना,,, उसे हर पल याद आता,,, बेचैन हो जाता पर,,, माता पिता से कैसे अपने मन की बात कहे,,, हिम्मत न कर पाता।
एक दिन दिया को किसी रिश्ते की बहन से पता चला,,, रोहन का रिश्ता,, कहीं और तय हो गया,,, दिल दुख गया उसका,,, रही सही उम्मीद भी टूट गई।
कुछ दिनों बाद,, दिया का रिश्ता भी बहुत शानदार परिवार में तय हो गया,,, रोहन को जैसे ही इस बात का पता चला,,, असहनीय हो गया,,, उसके लिए भी कि दिया,,, किसी और के साथ,, शादी कर रही है,,, अंतरात्मा ने कहा,, जब तुम किसी और के साथ,,, बंधने जा रहे हो तो उससे कैसे उम्मीद रख सकते हो कि वो तुम्हारा इन्तजार करे,,, तुम्हारा रास्ता देखे।
रात भर सो नहीं पाया,,,, दूसरे दिन,,, मन ही मन निर्णय किया और माता पिता से बोला,,, मैं दिया के अलावा,,,, किसी और के बारे में सोच भी नहीं पा रहा,,,, जीवन भर का प्रश्न है,,, मैं शादी तो दिया के साथ ही करूंगा,,, वरना किसी के भी साथ नहीं बंधने वाला,,, कहकर,,, घर से बाहर निकल गया।

माता पिता को भूल समझ आई,, क्या फायदा ऐसी रस्मों और रिवाजों का,, जहां अपने बच्चे ही खुश न हों,,, अपने बच्चों की खुशी से बढ़कर और कुछ नहीं,,, उन्होने देर न करते हुऐ,,, तुरंत लड़की वालों के घर गए,,, माफी मांगी,,, लड़की वाले भी समझदार थे,,, वस्तु स्थिति को समझ गए।
घर की घंटी की आवाज सुनकर,,, जैसे ही दिया ने दरवाज़ा खोला,,,, सामने रोहन और उसके परिवार को देखकर,, स्तब्ध रह गई,,, माता पिता भी चौंक गए,,, सारी बातें विस्तार से हुई,,, गिले शिकवे दूर हुए,,, रोहन और दिया की खुशी का ठिकाना नहीं,,, सच में,, दुल्हन वही जो पिया मन भाए।
सच कहते हैं लोग,,, जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती हैं,,, तभी तो कहते हैं रब ने बना दी जोड़ी।
प्रीती सक्सेना
इंदौर

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